Wholesale inflation Rises : महंगाई की मार, कीमतों में वृद्धि से मचा हाहाकार! खाने-पीने की चीजें गरीब की हद से पार!

Wholesale Inflation

Wholesale inflation Rises : 16 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुँची थोक महंगाई!

नई दिल्ली (एजेंसी)। एक तरफ रिजर्व बैंक और सरकार महंगाई को काबू में लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, तो दूसरी ओर खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों ने महंगाई को आसमान पर पहुंचा दिया है। पहले खुदरा महंगाई ने परेशान किया और अब थोक महंगाई की दर भी लगातार चौथे महीने बढ़ गई है। Wholesale Inflation

जून में थोक मूल्य की वृद्धि दर 3.36 फीसदी रही है। खाद्य वस्तुओं, खासकर सब्जियों तथा विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति मई में 2.61 फीसदी थी, जो एक महीने बाद जून में बढ़कर 3.36 फीसदी पहुंच गई। पिछले साल जून में यह शून्य से 4.18 प्रतिशत नीचे रही थी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का रुलाने वाला आंकड़ा

यानी तब थोक महंगाई बढ़ने के बजाए लगातार घटती जा रही थी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जून 2024 में मुद्रास्फीति बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, कच्चे रसायन तथा प्राकृतिक गैस, खनिज तेल, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जून में 10.87 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई में यह 9.82 प्रतिशत थी।

प्याज ने निकलवाए आँसू | Wholesale Inflation

सब्जियों की महंगाई दर जून में 38.76 प्रतिशत रही, जो मई में 32.42 प्रतिशत थी। प्याज की महंगाई दर 93.35 प्रतिशत रही, जबकि आलू की महंगाई दर 66.37 प्रतिशत रही। दालों की महंगाई दर जून में 21.64 प्रतिशत रही। र्इंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही, जो मई में 1.35 प्रतिशत से थोड़ी कम है. विनिर्मित उत्पादों में मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत से अधिक थी।

आम आदमी की हद से बाहर

थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर उत्पादक क्षेत्रों पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है, तो उत्पादक इसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए थोक महंगाई को नियंत्रित कर सकती है। जैसे कच्चे तेल में तेजी से बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने र्इंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है।

महंगाई ही महंगाई  Dearness

जून में थोक मूल्य सूचकांक में वृद्धि महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप थी। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 प्रतिशत पर पहुंच गई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य तौर पर खुदरा मुद्रास्फीति को ही ध्यान में रखता है। ऐसे में अगस्त में होने वाली एमपीसी बैठक में एक बार फिर ब्याज दरें घटने की संभावनाओं पर विराम लग गया।

ऐसे मापी जाती है महंगाई

भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल, यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स (डब्ल्यूपीआई) का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है। Wholesale Inflation

Holiday : इस वजह से दो दिन बंद रहेंगे बैंक, यहाँ जानें क्यों?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here