
Pahalgam Terror Attack: दुनिया में शायद पाकिस्तान ऐसा इकलौता देश है, जिसने आतंकवाद के गंदे धंधे को भी व्यापार का जरिया बना लिया। वह भी अपनी ही कौम के किशोर एवं युवाओं के जीवन को दांव पर लगाने का खेल खेलते हुए, इस तथ्य को स्वयं पाकिस्तानी रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्वीकार करते हुए अमेरिकी स्काई टीवी के एक लाइव शो में बड़ा खुलासा किया है। टीवी एंकर यल्डा हाकिम ने पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने के सवाल पर ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हम (पाकिस्तान) अमेरिका, ब्रिटेन और पश्चिमी देशों के लिए 3 दशक से आतंक के गंदे धंधे का खेल खेलते रहे हैं। यह हमारी बड़ी भूल रही है, जिसके दुष्परिणाम हमें भुगतने पड़ रहे हैं। Pahalgam Terror Attack
हमने सोवियत संघ के खिलाफ 80 और 90 के दशक में और फिर 9/11 हमले के बाद अमेरिका का सहयोग नहीं किया होता तो आज हमारा आतंकवाद के सिलसिले में ट्रेक रिकॉर्ड कई गुणा बेहतर होता। आसिफ ने आरोप लगाते हुए कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका ने सोवियत संघ के विरुद्ध जंग में आतंकवादियों का खुलकर समर्थन किया था। आसिफ के इस बयान से साफ होता है कि पाकिस्तान इस गंदे धंधे के लिए अपने ही युवाओं को आतंकवादी बनाने में लगा था। इसके बदले उसे अमेरिका और ब्रिटेन समेत अनेक पश्चिमी देशों से बड़ी मात्रा में आर्थिक मदद मिलती रही है। आसिफ ने इस हकीकत का खुलासा तब किया है, जब पाकिस्तान को इन देशों से आर्थिक मदद मिलना लगभग बंद हो गई है।
इस बयान से पता चलता है कि पाकिस्तान के हुक्मरान कितने स्वार्थी हैं, कि वे अपने बच्चों को तो देश-विदेश के शिक्षा संस्थानों में पढ़ाते-लिखाते हैं, नौकरी भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कराते हैं, लेकिन अपने ही देश पाकिस्तान के गरीब और लाचार बच्चों को नादान उम्र में आतंक का पाठ पढ़ाकर आतंकवादी बनाने का काम करते हैं। आसिफ ने यह बात शायद नादान बनते हुए कह दी कि तीन दशक से हम पश्चिमी देशों के कहने पर आतंकी पैदा करने के धंधे में लगे हुए हैं। लेकिन इस परिप्रेक्ष्य में सोचने की बात यह है कि आखिर किस लालच में पाकिस्तान यह गंदा धंधा कर रहा था? वह एक स्वतंत्र देश है। ब्रिटेन या अमेरिका का कोई बंधक देश तो नहीं है? पाकिस्तान इन देशों की आज्ञा का पालन धन के लालच में तो कर ही रहा था, मुस्लिम देशों का एकमात्र नेतृत्वकर्ता बन जाने की मंशा से भी कर रहा था।
हकीकत तो यह है कि पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोम्मद और हिजबुल मुजाहिद्नि ने जम्मू-कश्मीर में सेना और सुरक्षा बलों पर जो भी आत्मघाती हमले कराए हैं, उनमें बड़ी संख्या में मासूम बच्चों और किशोरों का इस्तेमाल किया गया है। Pahalgam Terror Attack
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठनों ने ऐसे अनेक वीडियो जारी किए हैं, जिनमें किशोरों को आत्मघाती हमलों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पाकिस्तान में सशस्त्र समूहों द्वारा बच्चों व किशोरों को भर्ती किए जाने और उनका इस्तेमाल आत्मघाती हमलों के किए जाने की लगातार खबरें मिल रही हैं। कुछ साल पहले तहरीक-ए-तालिबान ने एक विडीयो जारी किया था, जिसमें लड़कियों सहित बच्चों को सिखाया जा रहा है कि आत्मघाती हमले किस तरह किए जाते है। आत्मघाती हमलों के लिए भर्ती किए गए ज्यादातर बच्चे पाकिस्तान के हैं। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दुनियाभर में बाल अधिकारों के हनन के 21,000 मामले सामने आए हैं। दुनियाभर में हुए संघर्षों में हजारों बच्चे मारे गए या विकलांगता का शिकार हुए। आठ हजार से ज्यादा बच्चों को आतंकियों, नक्सलियों और विद्रोहियों ने अपने संगठनों में शामिल किया है। ये बच्चे युद्ध से प्रभावित सीरिया, अफगानिस्तान, यमन, फिलीपींस, नाइजीरिया, भारत और पाकिस्तान समेत 20 देशों के हैं। भारत के जम्मू-कश्मीर में युवाओं को आतंकवादी बनाने की मुहिम कश्मीर के अलगाववादी चलाते रहे हैं।
दरअसल कश्मीरी युवक जिस तरह से आतंकी बनाए जा रहे हैं, यह पाकिस्तानी सेना और वहां पनाह लिए आतंकी संग्ठनों का नापाक मंसूबा रहा था। इस मकसदपूर्ती के लिए मुस्लिम कोम के उन गरीब और लाचार बच्चे, किशोर और युवाओं को इस्लाम के बहाने आतंकवादी बनाने का काम मदरसों में किया जा रहा है, जो अपने परिवार की आर्थिक बदहाली दूर करने के लिए आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं। पाक सेना के भेष में यही आतंकी अंतरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा को पार कर भारत-पाक सीमा पर छद्म युद्ध लड़ रहे हैं। कारगिल युद्ध में भी इन छद्म बहररूपियों की मुख्य भूमिका रही थी। इस सच्चाई से पर्दा संयुक्त राष्ट्र ने तो बाद में उठाया किंतु खुद पाक के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल एवं पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई के सेवानिवृत्त अधिकारी रहे, शाहिद अजीज ने द नेशनल डेली अखबार में पहले ही उठा दिया था। अजीज ने कहा था कि कारगिल की तरह हमने कोई सबक नहीं लिया है। Pahalgam Terror Attack
हकीकत यह है कि हमारे गलत और जिद्दी कामों की कीमत हमारे बच्चे अपने खून से चुका रहे हैं। कमोबेश आतंकवादी और अलगाववादियों की शह के चलते यही हश्र कश्मीर के युवा पिछले तीन दशक से भोग रहे थे। इस विकराल स्थिति से पार पाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते कश्मीर से धारा-370 और 35-ए हटाने के बाद संभव हुआ। वहां बढ़ते पर्यटन के चलते पाकिस्तान की ओर से कहा गया था कि पर्यटन कश्मीर के भारतीय उपनिवेशीकरण एक माध्यम है। उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस के श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से सांसद रुहुल्लाह मेंहदी ने भी कुछ समय पहले इसी आशय के बयान दिए थे।
इसी के चलते भारतीय जासूसी संस्थाओं को आशंका थी कि कश्मीर में किसी बड़ी आतंकी घटना को अंजाम तक पहुंचाकर बढ़ते पर्यटन पर आद्यात किया जा सकता है। जुलाई में होने वाली अमरनाथ यात्रा को लेकर भी ऐसी आशंकाएं थीं। फिलहाल पाकिस्तान ने पहलगाम में आतंकी वारदात रचकर 28 पर्यटकों को मौत के घाट उतारकर जो तांडव रचा है, उसमें वह तत्काल भले ही अपने मंसूबे को साध ले, लेकिन कश्मीरी जनता ने सद्भाव का जो वातावरण बनाया है, उससे स्पष्ट है कि वह अब किसी गलतफहमी में रहने वाली नहीं है। दूसरी तरफ भारत सरकार लगातार एक के बाद एक जो कठोर निर्णय ले रही है, उससे पाकिस्तान की बद्हाली बढ़ने के संकेत मिल रहे है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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