Pahalgam attack: नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच के लिए दाखिल की गई जनहित याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी चेतावनी दी। न्यायालय ने कहा कि इस प्रकार की याचिकाएं दाखिल करने से बचा जाना चाहिए, क्योंकि यह गंभीर विषय है और संवेदनशीलता की मांग करता है। Supreme Court
इस याचिका में अनुरोध किया गया था कि हमले की जांच सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित एक न्यायिक आयोग से कराई जाए। साथ ही, इसमें यह मांग भी की गई थी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को जम्मू-कश्मीर के पर्यटक स्थलों पर नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक समुचित कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया जाए।
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यह समय देश के लिए संवेदनशील है
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत को इस प्रकार के मामलों में अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए। न्यायमूर्तियों ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आप एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराना चाहते हैं? कृपया मामले की गंभीरता को समझें। यह समय देश के लिए संवेदनशील है, अतः इस तरह की याचिकाओं से परहेज करें।” गौरतलब है कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में एक भीषण आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इसके तुरंत बाद इस मामले की जांच की जिम्मेदारी एनआईए को सौंपी गई। एजेंसी की टीम ने घटनास्थल का दौरा कर साक्ष्य इकट्ठा करने की प्रक्रिया शुरू की।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, एनआईए की टीम हमले की योजना, आतंकियों के आने-जाने के मार्ग और उनके पीछे की रणनीति को समझने का प्रयास कर रही है। जांच का नेतृत्व एक महानिरीक्षक (आईजी), एक उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) और एक पुलिस अधीक्षक (एसपी) कर रहे हैं। एनआईए उन प्रत्यक्षदर्शियों से भी पूछताछ कर रही है, जिन्होंने इस भयावह घटना को अपनी आंखों से देखा। इस बीच, एनआईए के महानिदेशक सदानंद दाते गुरुवार को पहलगाम पहुंचे। वे घटनास्थल का निरीक्षण करेंगे और उस स्थान का भी दौरा करेंगे जहाँ निर्दोष नागरिकों को गोलियों से निशाना बनाया गया था। Supreme Court
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