Terror attack in Pakistan: डॉ. संदीप सिंहमार। भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव का असर न केवल द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ रहा है, बल्कि पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी गतिविधियों की स्थिति भी विकट होती जा रही है। हाल ही में भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में आतंकवाद की समस्या और भी बढ़ गई है। हाल के दिनों में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पेशावर शहर में हुए आत्मघाती हमले ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है और स्थानीय जनजीवन में दहशत का माहौल उत्पन्न कर दिया है।
रविवार की रात, एक आत्मघाती हमलावर ने पुलिस की वैन को लक्ष्य बना कर हमला किया, जिससे दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई और तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी बनी है कि आतंकवाद यहां की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। इस हमले के बाद अस्थिरता का माहौल उत्पन्न होना, नागरिकों के लिए सुरक्षा की चिंता को और बढ़ा देता है। घायल पुलिसकर्मी अभी अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन उनकी स्थिति के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है, जो इस बात का संकेत है कि हमले की गंभीरता कितनी अधिक थी।
इस हमले के बाद स्थानीय सरकार ने तत्परता दिखाते हुए उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और सभी संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने इस मामले की गहन जांच शुरू कर दी है, लेकिन अभी तक किसी भी आतंकवादी संगठन ने इस बम धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली है। फिर भी, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के संदर्भ में आशंकाएं जताई जा रही हैं। टीटीपी का इतिहास इस क्षेत्र में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम देने का रहा है, और इसके संपर्क में आने की संभावनाएँ हमेशा बनी रहती हैं।
पाकिस्तान का खैबर पख्तूनख्वा प्रांत लंबे समय से आतंकवादियों के हमलों का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र में अस्थिरता और आतंकवाद ने नागरिक जीवन को भयानक रूप से प्रभावित किया है। हाल के वर्षों में, स्थानीय सुरक्षा बलों ने कई सफल कार्रवाइयों के माध्यम से आतंकवादियों के नेटवर्क को कमजोर करने का प्रयास किया है, लेकिन इसका प्रभाव दीर्घकालिक नहीं रहा है। ऐसे आत्मघाती हमले न केवल सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती हैं, बल्कि आम नागरिकों के जीवन में भी असुरक्षा का अहसास कराते हैं।
इस स्थिति में, पाकिस्तान को न केवल अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है, बल्कि इसे आतंकवादी विचारधारा और उसके प्रवर्तकों के विरुद्ध एक ठोस नीति अपनाने की भी आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान की जा सके।
पाकिस्तान में आतंकवाद का खतरा अब एक गहरी समस्या बन चुकी है, जो न केवल सीधे तौर पर सुरक्षा बलों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि आम जनजीवन को भी दहशत में डाल रहा है। पेशावर में हुए आत्मघाती हमले ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सुरक्षा व्यवस्था को अद्यतन करने और मजबूत करने की आवश्यकता अब अधिक आवश्यक हो गई है।