Ghaggar Water Level: घग्गर नदी में बढ़ने लगा पानी का स्तर, किसानों की बढ़ी चिंता

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Moonak News: घग्गर नदी में बह रहे पानी का दृश्य। तस्वीर: मोहन सिंह

खनौरी आरडी 460 पर 739.2 फुट पर चल रहा पानी

मूनक (सच कहूँ/मोहन सिंह)। Ghaggar Water Level Update Today: पंजाब के क्षेत्रों व हिमाचल की पहाड़ियों में लगातार हो रही बारिश के कारण घग्गर नदी में पानी का स्तर पिछले कई दिनों से लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस कारण संगरूर जिला के हरियाणा पंजाब के साथ लगते व घग्गर के साथ लगते गांवों के किसानों को इस बार फिर संभावित बाढ़ का डर सताने लगा है। वहीं संगरूर की सब डिवीजन मूनक के करीब डेढ दर्जन गांवों की फसलें घग्गर नदी में आई बाढ़ से विभिन्न सालों दौरान प्रभावित होती रहीं है। Moonak News

खनौरी आरडी 460 पर लगे मापदंड के अनुसार घग्गर नदी में पानी का लैवल शाम 5 बजे 739.2 फुट पर चल रहा है व भले ही यह खतरे के निशान से काफी नीचे है, वहीं घग्गर नदी में खनौरी में लगे मापदंड पर 748 फुट पर पानी चल रहा है। साल 2023 में भी इस घग्गर ने इस क्षेत्र को बुरी तरह से प्रभावित किया था, जिस कारण अभी तक लोग उस आर्थिक मार से उभरे ही नहीं थे कि अब फिर घग्गर नदी में पानी का स्तर बढ़Þने से किसानों की चिंताएं जरूर बढ़ गई हैं। उल्लेखनीय है कि हिमाचल की पहाड़ियों से निकलने वाली यह घग्गर नदी हर साल लोगों के लिए मुसीबत का कारण बनती आ रही है।

इसके अलावा इस घग्गर नदी में मारकंडा व टांगरी नदी के अलावा और भी बहुत से छोटे नालों का पानी इस घग्गर में आता है। घग्गर नदी के साथ स्थित गांवों के लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग को बरसात के मौसम से पहले घग्गर नदी की साफ सफाई करवानी चाहिए थी व कमजोर बांधों पर मिट्टी या मिट्टी के थैले भरकर लगाने चाहिए थे, लेकिन अब सफाई नहीं होने से इसका खामियाजा आमजन को ही भुगतना पड़ेगा।

मनरेगा मजदूरों से भरवाए जा रहे मिट्टी के थैले | Moonak News

वहीं लोगों का कहना है कि संबंधित विभाग हर साल घग्गर नदी लीपा-पोती के अलावा कुछ नहीं करता व जब घग्गर नदी में पानी का स्तर बढ़ने लगता है तो मौके पर मनरेगा मजदूर व कुछ मशीनरी लगाकर खानापूर्ति जरूर कर दी जाती है। क्षेत्र के लोगों की दशकों से मांग रही है कि घग्गर नदी का स्थाई हल निकाला जाए, जिससे लोगों को राहत मिल सके।
उल्लेखनीय है कि प्रशासन द्वारा घग्गर नदी पर मनरेगा मजदूर लगाकर मिट्टी के थैले भरवाए जा रहे हैं, ताकि किसी भी जगह जरूरत पड़ने पर भरे मिट्टी के थैले लगाए जा सकें व स्थिति को कंट्रोल किया जा सके।

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