गुरजन्ट सिंह धालीवाल
Rajasthan’s new tourist destination: राजस्थान को आमतौर पर रेगिस्तान, ऊंचे दुर्गों और मरुस्थली सौंदर्य के लिए जाना जाता है पर इसी राजस्थान का एक हिस्सा है जो न तो मरुस्थली है और न ही भीड़-भाड़ वाला, बल्कि हरा-भरा, शांत और प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। मैं बात कर रहा हूं वागड़ अंचल की-डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों की उस भूमि की, जहां पहाड़ियां सांस लेती हैं, झीलें बोलती हैं और संस्कृति आज भी जमीन से जुड़ी है। यह सब हमने एक फेम ट्रिप के दौरान देखा, जिसके आधार पर इस इलाके की खूबसूरती को मैंने अपने शब्दों में बयां किया है। यह रिपोर्ट केवल एक यात्रा वृत्तांत नहीं, बल्कि सुझाव है राजस्थान सरकार और पर्यटन विभाग के लिए, कि वे इस अछूते खजाने की ओर ध्यान दें। क्योंकि वागड़ अब तैयार है, एक नए हरियाले पर्यटन युग के स्वागत के लिए। Vagad tourism
जगमेरू पर्वत- राजस्थान का नया हिल स्टेशन
बांसवाड़ा शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित जगमेरू पर्वत एक ऐसा स्थान है, जहां पहुंचते ही लगता है कि आप किसी देवभूमि में आ गए हों। चारों ओर घना जंगल, ऊपर तक जाती पगडंडियां और नीचे फैला हरियाला दृश्य। यह क्षेत्र अभी पर्यटकों की नजरों से दूर है, लेकिन इसकी संभावनाएं अपार हैं। यदि यहां इको-फ्रेंडली टूरिज्म, होमस्टे कल्चर और व्यू पॉइंट्स विकसित किए जाएं तो यह पूरे दक्षिण राजस्थान का प्रमुख हिल स्टेशन बन सकता है।
बांसवाड़ा जिले को ‘झीलों का शहर’ भी कहा जाता है। माही नदी यहां की जीवनरेखा है, जिसके किनारे बसे कई स्थल किसी पर्यटन मानचित्र की शोभा बढ़ा सकते हैं। माही बांध (माही परियोजना): विशाल बांध, जलाशय और आसपास का परिदृश्य प्राकृतिक फोटोफ्रेम जैसा है। – कागदी पिकअप वियर: सुंदर जलप्रपात जैसा दृश्य और पिकनिक के लिए आदर्श। Vagad tourism
चाचा कोटाः इतिहास और प्रकृति का संगम
इसे “राजस्थान का स्कॉटलैंड” भी कहा जाता है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह जगह इतिहास और प्रकृति का एक अनोखा संगम है, जहां हरे-भरे परिदृश्य, पहाड़ियां और झीलें मिलकर एक शांत और मनमोहक दृश्य बनाती हैं। यह क्षेत्र अपने हरे-भरे परिदृश्य और द्धीपों के साथ एक परी कथा जैसा दिखता है।
- सिंगपुर का शिव मंदिर और घाट: धार्मिक आस्था से जुड़ा स्थल।
- यह क्षेत्र झीलों और नदियों का जो संगम प्रस्तुत करता है, वह पूरे राजस्थान में विरल है।
राजस्थान के सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में गिना जाने वाला त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा जिले का गौरव है। यहां सालभर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, लेकिन पर्यटन सुविधाओं की भारी कमी है। आसपास का क्षेत्र यदि व्यवस्थित रूप से विकसित किया जाए तो यह न केवल धार्मिक पर्यटन, बल्कि सांस्कृतिक शोध का भी केंद्र बन सकता है।
डूंगरपुर : भविष्य का हरा-भरा पर्यटन स्थल | Vagad tourism
डूंगरपुर, जिसे “पहाड़ियों का शहर” भी कहा जाता है, राजस्थान का एक खूबसूरत शहर है जो अपनी ऐतिहासिक इमारतों, महलों, मंदिरों और मानव निर्मित झीलों के लिए जाना जाता है। यह शहर अरावली पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है और साबरमती और माही नदियों के बीच बसा है। डूंगरपुर की स्थापना 13वीं शताब्दी में रावल वीर सिंह ने की थी। यह शहर डूंगरपुर रियासत की राजधानी था और 1948 में राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया।
डूंगरपुर का नाम लेते ही आंखों के सामने गैप सागर झील, बादल महल, जूना महल, जैसे नाम आते हैं। हालांकि “झीलों का शहर” उदयपुर के रूप में जाना जाता है, लेकिन डूंगरपुर में भी कई खूबसूरत झीलें हैं, जैसे गैप सागर झील, जो इसके आकर्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। गैप सागर के किनारे स्थित बादल महल परिसर और उसका प्रतिबिंब मन को मोह लेता है। यदि इस क्षेत्र में हेरिटेज टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाए तो यह वागड व मेवाड़ की नई पहचान बन सकता है।
वागड़ क्षेत्र की आत्मा है यहां का भील समुदाय, जिनकी संस्कृति, लोकगीत, नृत्य, चित्रकला (पिथौरा) और जीवनशैली अपने आप में एक जीती-जागती परंपरा है। यदि यहां कम्युनिटी बेस्ड टूरिज्म को बढ़ावा मिले, तो यह क्षेत्र केवल घूमने की नहीं, जीने और समझने की जगह बन सकता है।
वर्तमान में डूंगरपुर क्षेत्र पर्यटन की सरकारी योजनाओं से लगभग अनुपस्थित है। यहां पर्यटन का ठोस बुनियादी ढांचा है। स्थानीय युवाओं में रोजगार की तलाश है, पर मौके सीमित हैं। इस रिपोर्ट के माध्यम से हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वागड़ को राजस्थान पर्यटन के नए क्लस्टर के रूप में घोषित किया जाए। यहां पर्यटन को बढ़ावा देना केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए भी आवश्यक है। Vagad tourism