Trump Repeats mediation statement: वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता की बात दोहराई है। उन्होंने यह दावा भी किया कि उनके नेतृत्व में अमेरिका ने न केवल भारत-पाक विवाद में समाधान की कोशिश की, बल्कि दुनिया के कई अन्य गंभीर संघर्षों को भी समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई। Donald Trump India Pakistan
रविवार को ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर अमेरिकी रेडियो प्रस्तोता और लेखक चार्लमैगने था गॉड की आलोचना करते हुए लिखा, “उन्हें मेरे द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी ही नहीं है, जिनमें पाँच युद्धों का अंत भी शामिल है।” ट्रंप ने विशेष रूप से कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा के बीच चले 31 वर्षों के संघर्ष का उल्लेख किया, जिसमें उनके अनुसार 70 लाख लोगों की जान गई।
ट्रंप ने आगे लिखा कि उन्होंने ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को भी सीमित किया, अमेरिका की खुली सीमाओं को बंद किया और एक “अभूतपूर्व” अर्थव्यवस्था खड़ी की। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने में उन्होंने योगदान दिया।
”राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने छह महीनों के कार्यकाल में कई संघर्षों को समाप्त किया”
ट्रंप की यह टिप्पणी व्हाइट हाउस की पूर्व प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के उस बयान के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने केवल छह महीनों के कार्यकाल में दुनिया भर के कई संघर्षों को समाप्त किया, और इसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। लेविट ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि, “राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया, इज़राइल और ईरान, रवांडा और कांगो, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो तथा मिस्र और इथियोपिया के बीच तनाव कम कराया है। हर महीने एक समझौता कराना अद्वितीय उपलब्धि है।”
हालाँकि भारत ने एक बार फिर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। राज्यसभा में हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई बहस के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कोई फोन वार्ता नहीं हुई। उन्होंने कहा कि भारत की नीति बिल्कुल स्पष्ट है—भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय बातचीत से ही हल होंगे, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से। जयशंकर ने यह भी बताया कि जब ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत हुई, तब कई अंतरराष्ट्रीय पक्षों ने स्थिति की जानकारी प्राप्त करनी चाही, पर भारत ने साफ कह दिया कि किसी बाहरी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।