Former Jharkhand CM Shibu Soren passes away: नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से अस्वस्थ चल रहे थे। उनके निधन की खबर से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर फैल गई है। Shibu Soren dies
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री और शिबू सोरेन के पुत्र हेमंत सोरेन से फोन पर बात कर संवेदना प्रकट की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “शिबू सोरेन एक जमीनी नेता थे जिन्होंने जीवनभर जनसेवा की। वे आदिवासी समाज, गरीबों और वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित रहे। उनके निधन से गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनुयायियों के साथ हैं।”
राजनीतिक जीवन और संघर्ष का प्रतीक
शिबू सोरेन, जिन्हें सम्मानपूर्वक ‘दिशोम गुरु’ या ‘गुरुजी’ कहा जाता था, ने अपना सम्पूर्ण जीवन आदिवासी अधिकारों, सामाजिक न्याय और झारखंड की क्षेत्रीय अस्मिता के लिए संघर्ष में बिताया। उन्होंने झारखंड के गठन के लिए चले जनांदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई और आदिवासी समुदाय की समस्याओं को संसद और राष्ट्रीय मंचों तक पहुँचाया।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग जिले में हुआ था (वर्तमान में झारखंड)। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को ज़मींदारों के अत्याचार के कारण खो दिया था, जिसने उनके भीतर सामाजिक अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने की चेतना जागृत की।
राजनीतिक सफर | Shibu Soren dies
1977 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा, हालांकि हार का सामना करना पड़ा।
1980 से वे कई बार लोकसभा सदस्य चुने गए।
उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना कर आदिवासी चेतना को संगठित स्वरूप दिया।
झारखंड राज्य के गठन में उनकी भूमिका ऐतिहासिक मानी जाती है।
मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल | Shibu Soren dies
- शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने:
- 2005, 2008 और 2009 में, लेकिन दुर्भाग्यवश वे किसी बार भी कार्यकाल पूर्ण नहीं कर सके।
राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन सरकारों के कारण उनके कार्यकाल छोटे रहे, किंतु उन्होंने हर बार समाज की बेहतरी के लिए काम किया। शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है। झारखंड समेत देशभर से राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, खासकर आदिवासी समाज के उत्थान और झारखंड के निर्माण में दिए गए उनके योगदान के लिए।