आयातित कपास से किसानों पर संकट गहराया: संयुक्त किसान मोर्चा का राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान
- कहा-MSP\@C2+50 प्रतिशत की घोषणा हो, कपास पर आयात शुल्क हटाने की अधिसूचना तत्काल वापस ले सरकार; आत्महत्या पीड़ित परिवारों को मिले 25 लाख मुआवज़ा
नई दिल्ली (सच कहूँ/रविंद्र सिंह)। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्र सरकार द्वारा 19 अगस्त 2025 को कपास पर लगाए गए 11 फीसद आयात शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी ) को हटाने के निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए इसे किसान-विरोधी करार दिया है। एसकेएम ने मांग की है कि यह अधिसूचना तुरंत वापस ली जाए और मध्यम रेशा कपास के लिए 10,075 प्रति क्विंटल के एमएसपी\@सी2+50 प्रतिशत की घोषणा की जाए। इसके साथ ही आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को 25 लाख का मुआवजा देने की मांग भी दोहराई गई है।
एफटीए और विदेशी दबाव की आड़ में किसानों के हितों से समझौता:एसकेएम
मोर्चा ने कहा कि सरकार कोई ऐसा मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) स्वीकार न करे, जो भारतीय कृषि और किसानों के हितों को नुकसान पहुँचाए। एसकेएम ने कपास किसानों से आह्वान किया है कि वे गाँव-गाँव में अधिसूचना की प्रतियाँ जलाएँ, जनसभाओं का आयोजन करें और प्रधानमंत्री के नाम प्रस्ताव पारित कर भेजें।
‘दीवार की तरह खड़े’ होने का दावा और नीतियों में विरोधाभास
एसकेएम ने प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया उनका यह बयान कि “सरकार किसानों के खिलाफ किसी भी नीति के सामने दीवार की तरह खड़ी होगी,एक विडंबना साबित हुआ है। एसकेएम ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार विदेशी कॉरपोरेट दबाव में देश के किसानों को कुर्बान कर रही है।
आयातित कपास से गिरेंगी घरेलू कीमतें, छोटे किसान होंगे बर्बाद
विश्लेषण के अनुसार, शुल्क हटने से आयातित कपास की कीमतें गिरेंगी, जिससे देश में कपास की बाज़ार कीमत और नीचे जाएगी। भारत के छोटे और वर्षा-आधारित कपास उत्पादक, अमेरिका के सब्सिडी प्राप्त किसानों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते। अमेरिका में कपास किसानों को उत्पादन लागत का लगभग 12 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जबकि भारत में यह आंकड़ा मात्र 2.37 प्रतिशत है।
किसानों को 2024-25 में 1.23 लाख करोड़ का अनुमानित नुकसान
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी ) के अनुसार वर्ष 2024-25 में कपास की सी2 लागत 6,230/ क्विंटल आंकी गई, जिसके अनुसार सी 2+50 प्रतिशत एमएसपी = 10,075 / क्विंटल बनता है। सरकार ने केवल ₹7,121 का एमएसपी तय किया, जिससे किसानों को प्रति क्विंटल लगभग 2,365 का नुकसान हुआ।
52.1 मिलियन क्विंटल के उत्पादन पर कुल अनुमानित नुकसान-1.23 लाख करोड़ आँका गया है।खुले बाज़ार में कपास की औसत कीमतें -5,500-6,500 प्रति क्विंटल रही हैं, जिसके अनुसार वास्तविक नुकसान -18,850 करोड़ तक पहुँच गया। प्रति एकड़ नुकसान 31,500आँका गया है, जबकि PM किसान निधि केवल 6,000/वर्ष है।
एसकेएम की आगामी आंदोलन की रूपरेखा
- संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी आंदोलन की योजना घोषित करते हुए बताया
1-3 सितम्बर 2025: कपास उगाने वाले गाँवों में जनसभाएँ
10 सितम्बर तक: स्थानीय निकायों को ज्ञापन देने हेतु हस्ताक्षर अभियान
17-18 सितम्बर: एसकेएम प्रतिनिधिमंडल का **विदर्भ क्षेत्र दौरा
24 अगस्त: एनसीसी द्वारा माँग पत्र और अपील का प्रारूप
तिथि घोषित होने पर: मंडल महापंचायत और सांसदों के खिलाफ विरोध मार्च
कपास खेती का राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
भारत में कपास का क्षेत्रफल 120.55 लाख हेक्टेयर है, जो वैश्विक कपास क्षेत्रफल का 36 फीसद है। भारत, कपास क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उत्पादन में महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना शीर्ष पर हैं। भारत की 67 फीसद कपास खेती वर्षा पर निर्भर है।
हाल के वर्षों में उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई
2014-15: 6.56 MMT
2021-22: 5.36 MMT
2023-24 (अनु.): 5.50 MMT
किसान आत्महत्याओं की भयावह स्थिति
1991 के बाद से भारत में 4.5 लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। मोदी शासन में प्रतिदिन औसतन 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, लेकिन कोई व्यापक ऋण माफी योजना लागू नहीं की गई। इसके विपरीत 16.11 लाख करोड़ कॉरपोरेट ऋण माफ किए गए हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा में जुलाई 2025 में बताया गया कि केवल मार्च-अप्रैल 2025 में 479 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। वर्तमान में राज्य सरकार केवल 1 लाख मुआवजा देती है, जिसे एसकेएम ने बढ़ाकर 25 लाख करने की मांग की है और इसे 2014 से प्रभावी करने की बात कही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी कपास किसानों से आह्वान किया है कि वे इस निर्णय के खिलाफ संगठित होकर तीव्र जन आंदोलन छेड़ें। एसकेएम ने चेतावनी दी है कि यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो मंडल स्तर पर महापंचायतें होंगी और सांसदों के खिलाफ मार्च निकाला जाएगा।
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