Bihar Chunav 2025: बिहार का सबसे ताजा ओपिनियन पोल में हुए चौंकाने वाले खुलासे, जानिये कौन सा गठबंधन जीतेगा चुनाव

Bihar Chunav 2025
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Bihar Chunav 2025: पटना। बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है क्योंकि हाल ही में आए एक ओपिनियन पोल में बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों की लोकप्रियता में जबरदस्त उछाल देखा गया है। सर्वे के मुताबिक, अगर अभी चुनाव कराए जाएं तो एनडीए गठबंधन को राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों में से 136 सीटें मिल सकती हैं, जो स्पष्ट बहुमत से कहीं ज्यादा है। इस ओपिनियन पोल को एक प्रतिष्ठित एजेंसी द्वारा अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में कराया गया था। सर्वे में विभिन्न जिलों के 25,000 से अधिक लोगों की राय ली गई, जिसमें जातीय समीकरण, विकास कार्य, केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का प्रभाव, और मौजूदा सरकार के प्रति लोगों की संतुष्टि जैसे पहलुओं को शामिल किया गया।

बीजेपी बनी लोकप्रियता की धुरी | Bihar Chunav 2025

सर्वे में साफ संकेत मिला कि एनडीए की बढ़त में सबसे बड़ी भूमिका बीजेपी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाओं जैसे कि प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना और फ्री राशन स्कीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी को खासा फायदा पहुंचाया है।

प्रदर्शन संतुलित

हालांकि जेडीयू को लेकर मतदाता थोड़े विभाजित नजर आए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज को लेकर लोगों की राय मिली-जुली रही, लेकिन एनडीए में बने रहने के चलते जेडीयू को भी सीटों का फायदा मिल सकता है। टाइम्स नाउ जेवीसी के ओपिनियन पोल के तहत एनडीए के भीतर भाजपा को फायदा मिलने वाला है उनकी संख्या 74 से बढ़कर 81 हो जाने का अनुमान है। वहीं जेडीयू को 29 सीटों पर जीत और 2 पर बढ़त का अनुमान लगाया है जिससे उसकी अनुमानित संख्या अधिकतम 31 सीटों तक पहुंच सकती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जदयू ने 2020 में 43 सीटें हासिल की थी जो उसकी 71 सीटों की संख्या से 28 कम थी। अगर टाइम्स नाउ-जेवीसी के ओपिनियन पोल के अनुमान सही साबित होते हैं, तो 12 सीटों की और गिरावट के अनुमान के साथ, जद(यू) की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

महागठबंधन को झटका

विपक्षी महागठबंधन जिसमें राजद, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, को इस सर्वे में बड़ा झटका लगा है। सर्वे के अनुसार, महागठबंधन को सिर्फ 75 सीटें मिल सकती हैं, जो सत्ता से काफी दूर है। लोगों में तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर संशय दिखा, जबकि कांग्रेस की भूमिका को लेकर असमंजस नजर आया।