Haryana Flood News: हरियाणा के इन गांवों में घुसा पानी, रास्ते ब्लॉक, खेत पानी में डूबे

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Haryana Flood News: हरियाणा के इन गांवों में घुसा पानी, रास्ते ब्लॉक, खेत पानी में डूबे

Haryana Flood News: कुरुक्षेत्र सच कहूँ/देवीलाल बारना। मारकंडा नदी फिर से उफान पर पहुंच गया है। मारकंडा नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी के नजदीकी गांवों में में खतरे की घंटी बज गई है। शनिवार सुबह लगभग 26 हजार क्यूसेक पानी दर्ज किया गया जबकि सायं होते-होते जनलस्तर कुछ कम होकर 24 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया। वहीं एक दिन पूर्व शुक्रवार सांय को मारकंडा का जलस्तर लगभग 18 हजार क्यूसेक ही था। ऐसे में जलस्तर बढ़ने से शनिवार को मारकंडा से सटे शाहाबाद ब्लॉक के कई गांवों में पानी घुस गया व कुछ गांवों के रास्ते भी ब्लॉक हो गए।

इस दौरान गांव कठवा में रास्ते भी बंद हो गए। जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह मारकंडा नदी में 25400 क्यूसेक पानी बह रहा था जोकि 10 बजे तक 26,234 क्यूसेक पानी हो गया। इस वर्ष 15वीं बार मारकंडा नदी उफान पर है। मारकंडा से सटे कई गांवों में सड़क और खेत पानी में डूब गए हैं। गांव कठवा में देखा गया कि सड़कों पर घुटनों तक पानी जमा हो गया। गेज रीडर रविंद्र कुमार के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के काला अंब और नाहन में लगातार हुई बारिश से मारकंडा नदी का जलस्तर बढ़ गया है। हालांकि काला अंब में नदी में पानी कम हो गया। शनिवार को शाहाबाद ब्लॉक के गांव कठवा के अलावा गुमटी, पट्टी जामड़ा, मुगल माजरा, मलिकपुर, कलसाना और तंगौर में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। पिछले सप्ताह भी मारकंडा नदी खतरे के निशान तक पहुंच गई थी, जिससे कठवा, मुगल माजरा और तंगौर के गांव में पानी घुसने से बाढ़ जैसे हालत बन गए थे।

गुहला: बाढ़ की आशंका से प्रशासन अलर्ट, किसान चिंतित

जाखल (सच कहूँ/तरसेम सिंह)। हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के चंडीगढ़ में हो रही मूसलधार बारिश के बाद, मौसम विभाग ने इन क्षेत्रों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। 1 से 4 सितम्बर के बीच बारिश में कमी की उम्मीद जताई गई है, लेकिन इस बीच फतेहाबाद जिले के जाखल में घग्गर नदी का जलस्तर फिर से बढ़ गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, घग्गर नदी का जलस्तर गुहला चीका में 14630 क्यूसेक से बढ़कर 29768 क्यूसेक तक पहुँच गया है, जबकि चांदपुरा साइफन पर 12500 क्यूसेक से घटकर शनिवार शाम तक यह मात्र 4350 क्यूसेक रह गया है। खनौरी हेड पर 8300 क्यूसेक से घटकर 7000 क्यूसेक तक जलस्तर कम हो गया है, जबकि सहायक रंगोई नाला में 275 क्यूसेक पानी का बहाव जारी है।
हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में लगातार हो रही बारिश की वजह से जलस्तर में और वृद्धि होने की आशंका जताई जा रही है। नदी के जलस्तर के बढ़ने से किसानों और प्रशासन की चिंता बढ़ गई है। विशेष रूप से तटीय क्षेत्र के किसानों के खेतों में पानी बहना शुरू हो गया है, जिससे वे परेशान हैं। उदयपुर, कासिमपुर और तलवाड़ा गांव के किसानों ने प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया।
किसान नेता लाभ सिंह उदयपुर ने कहा, “किसान मिट्टी की ट्रालियां मंगवाकर घग्गर नदी के तट को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही।” नायब तहसीलदार रसविंदर दुहन ने मौके पर पहुँचकर किसानों से मिलकर उन्हें हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

सिंचाई विभाग की तैयारी

टोहाना सिंचाई विभाग के एसडीओ संजीव सिंगला ने कहा कि नदी के जलस्तर पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। बाढ़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। उन्होंने लोगों से नदी और नालों से दूर रहने की अपील की और किसी भी नदी या नाले के किनारे खड़े होकर पानी का निरीक्षण करने से बचें क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है।

एसडीएम ने किया निरीक्षण

टोहाना एसडीएम आकाश शर्मा ने घग्गर नदी, चांदपुरा साइफन और अन्य बाढ़ संभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान सिंचाई, राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारी भी उनके साथ थे। एसडीएम ने अधिकारियों को बाढ़ से बचाव की तैयारियों को लेकर सख्त निर्देश दिए और इंजीनियरिंग विंग को अलर्ट रहने के आदेश दिए। उन्होंने कमजोर तटबंधों की तुरंत मरम्मत करने और सभी उपकरणों को तैयार रखने का निर्देश दिया।

ड्रेन व घग्गर का जलस्तर कम होने से लोगों को मिली राहत

सच कहूँ/तरसेम सैनी/शामवीर
रतिया। क्षेत्र से गुजरती घग्गर नदी व सरहिंद ड्रेन का जलस्तर रतिया क्षेत्र में धीरे-धीरे कम होने से तटवर्ती गांवों के ग्रामीणों व किसानों को राहत मिली है। सरहिंद डेÑन में 5502 क्यूसिक से घटकर शनिवार शाम को 3750 क्यूसिक रह गया है। सुरेंद्र कुमार, सुरजीत कुमार, महेंद्र, कश्मीर सिंह, भूषण कुमार व अशोक कुमार आदि ने बताया कि हरियाणा, पंजाब व हिमाचल में हुई जोरदार बारिश के बाद सरहिंद ड्रेन में पिछले कई दिनों से लगातार जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती गांवों के किसानों व ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ी हुई थी लेकिन अब एक बार ड्रेन व नदी का जलस्तर धीरे-धीरे कम होने से लोगों को बड़ी राहत मिली है।