हर वर्ष सात प्रतिशत की दर से बढ़ रहे आत्महत्या के मामले
हनुमानगढ़। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय की ओर से विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह मनाया जा रहा है। इस कड़ी में गुरुवार को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मेडिकल कॉलेज में आत्महत्या के प्रति धारणा में बदलाव विषय पर सेमीनार आयोजित किया गया। इसमें डिप्रेशन के कारण, आत्महत्या का विचार मन में आने के कारण, इसे कैसे पहचाना जाए, दोस्तों को आत्महत्या करने से कैसे रोकना है, के बारे में मेडिकल स्टूडेंट को जानकारी दी। Hanumangarh News
मेडिकल कॉलेज में आत्महत्या के प्रति धारणा में बदलाव विषय पर सेमीनार
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. ओपी सोलंकी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में यह देखने को आया है कि हर वर्ष लगभग सात प्रतिशत की दर के आसपास आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। एक दौर था 2022 का, अकेले महाराष्ट्र में 22 हजार लोगों ने आत्महत्या की थी। पूरे विश्व की बात करें तो पांच मिनट में दस व्यक्ति आत्महत्या कर रहे हैं। हर चालीस सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। यह आंकड़े भयभीत करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव हो, वह चिड़चिड़ा रहने लगे, नशा करने लगे, एकेडमिक परफॉर्मंेस अचानक खराब होना, पढ़ाई-खेलकूद में बच्चे का मन न लगना आदि लक्षण नजर आएं तो ध्यान देने की आवश्यकता है। उसके मन में क्या चल रहा है, उससे बात कर इसका पता लगाएं। डॉ. सोलंकी ने कहा कि आत्महत्या विषय पर कोई खुलकर बात नहीं करता।
लोगों में यह भ्रांति है कि यदि हम आत्महत्या के विषय पर बात करेंगे तो आत्महत्या को और बढ़ावा मिलेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। जिस घर में कोई आत्महत्या कर लेता है उस घर में दो-तीन साल तक कोई व्यक्ति आत्महत्या की बात नहीं करता। लेकिन यह धारणा गलत है। जब तक हम घरों में खुलकर बात नहीं करेंगे, बच्चों को बताएंगे नहीं कि व्यक्ति आत्महत्या क्यों करता है, आत्महत्या नहीं करनी चाहिए, तब तक हम इस धारणा को बदल नहीं सकते। इसीलिए इस वर्ष कार्यक्रम की थीम भी यही है कि जब तक हम बातचीत नहीं करेंगे तब तक इस धारणा को नहीं बदल सकते। यदि हम बातचीत करते हैं तो काफी हद तक इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। Hanumangarh News















