
मुजफ्फरनगर (सच कहूँ/अनु सैनी)। Muzaffarnagar: मुजफ्फरनगर में तैनात एसडीएम जयेंद्र सिंह पर बड़ा आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने तीन करोड़ रुपये की मोटी रकम लेकर 750 बीघा सरकारी जमीन भूमाफिया के नाम कर दी। घोटाला सामने आने पर उन्होंने अपना आदेश वापस भी ले लिया, लेकिन तब तक सारा राज खुल चुका था।
1962 से चली आ रही जमीन का विवाद | Muzaffarnagar
गांव इसहाकवाला में 1962 में डेरावाल कॉर्पोरेटिव फार्मिंग सोसाइटी की स्थापना हुई थी। इस सोसाइटी के पास लगभग 743 हेक्टेयर जमीन थी। लंबे समय से इस जमीन पर सोसाइटी सदस्य जीवन दास के बेटे गुलशन और हरबंस के पोते के बीच स्वामित्व विवाद चला आ रहा था।
2018 में तहसील प्रशासन ने हाई कोर्ट में साफ कर दिया था कि हरबंस का इस जमीन से कोई संबंध नहीं है। इसके बावजूद मार्च 2024 में जानसठ तहसील में पदस्थ हुए एसडीएम जयेंद्र सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू की।
एसडीएम का विवादित आदेश
19 जुलाई 2025 को एसडीएम जयेंद्र सिंह ने अपने आदेश में 600 बीघा सोसाइटी की जमीन और 150 बीघा सरकारी जमीन हरबंस के वारिसों के नाम दर्ज कर दी। जबकि अदालत पहले ही जमीन को सरकारी घोषित कर चुकी थी।
शिकायत और पर्दाफाश | Muzaffarnagar
सोसाइटी सदस्य गुलशन ने बेटे ईशान के साथ 29 जुलाई को जिलाधिकारी उमेश मिश्रा से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई। इस बीच भाजपा के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए।
शिकायत मिलते ही डीएम ने एडीएम की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी। दबाव बढ़ते ही एसडीएम ने रातों-रात आदेश वापस ले लिया, लेकिन जांच टीम ने पुष्टि कर दी कि जमीन सरकारी ही थी और आदेश गलत तरीके से पारित हुआ था।
हाईवे किनारे की कीमती जमीन पर कब्जे का खेल
जिस जमीन को भूमाफिया के नाम चढ़ाया गया था, वह हाईवे से सटी हुई प्राइम लोकेशन की जमीन थी। इस जमीन को लेकर पहले भी मुआवजे की मांग हाई कोर्ट में की गई थी, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया था कि यह सरकारी जमीन है, इसलिए मुआवजा नहीं मिलेगा। इसके बावजूद एसडीएम का आदेश जारी करना भ्रष्टाचार की बड़ी मिसाल माना गया।
जिलाधिकारी की रिपोर्ट और बड़ी कार्रवाई
जांच पूरी होने के बाद जिलाधिकारी ने रिपोर्ट शासन को भेज दी। रिपोर्ट में स्पष्ट था कि जमीन सरकारी है और आदेश गलत तरीके से पारित किया गया। इसी आधार पर शासन ने एसडीएम जयेंद्र सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
राजस्व विभाग में हड़कंप
इस पूरे मामले ने राजस्व विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सूत्रों के मुताबिक शासन अब इस घोटाले की गहराई से जांच करेगा और अन्य संबंधित अधिकारियों व लाभार्थियों की भी जवाबदेही तय की जाएगी।
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