Weather:हिसार सच कहूँ/संदीप सिंहमार।। हरियाणा व दिल्ली सहित उत्तरभारत में में उत्तर-पश्चिमी हवाओं की सक्रियता के चलते तापमान में लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई है। भारत मौसम विभाग व विश्व मौसम संगठन पहले ही संभावना बता चुका है कि इस बार भारत में सर्दी के दिनों में बढ़ोतरी होगी। सर्दी के दिनों में धूप भी पहले के वर्षों के अपेक्षा कम निकलेगी। वर्तमान में हिसार, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद जैसे इलाकों में तापमान 17 डिग्री के करीब पहुंच गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दोपहर के वक्त 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ये हवाएं अधिकतम तापमान को सामान्य से 1 से 2 डिग्री तक कम रख सकती हैं। अक्टूबर के पहले 9 दिनों में पश्चिमी विक्षोभ के कारण हरियाणा में लगभग 30 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो 2004 के पूरे अक्टूबर की 58.4 मिलीमीटर बारिश के करीब आधी है। बारिश के प्रभाव से प्रदेश के अधिकांश जिलों में तापमान सामान्य से नीचे चला गया है, और रात के समय ठंडक ने कूलर व एसी बंद करने पर मजबूर कर दिया है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि मौसम विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. मदन खीचड़ का कहना है कि 14 अक्टूबर तक मौसम सामान्यतः खुश्क रहने की संभावना है। यह मौसम दिन में धूप के साथ और रात को ठंडी हवा के कारण किसानों के लिए रबी फसलों की बुआई के लिहाज से बिल्कुल उपयुक्त है। IMD Alert
Bullet Train to Moon: चंद्रमा तक जाएगी बुलेट ट्रेन… धरती की ग्रैविटी का होगा उपयोग, जानें…
उत्तर बंगाल की खाड़ी में चक्रवातीय परिसंचरण बना | IMD Alert
स्काईमेट वेदर के मुताबिक उत्तर बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवातीय परिसंचरण विकसित हुआ है। यह सिस्टम नीचे और मध्यम स्तरों पर दिखाई दे रहा है और ऊँचाई के साथ दक्षिण की ओर झुका हुआ है। हालांकि यह बहुत शक्तिशाली प्रणाली नहीं लगती, इसलिए यह समुद्र की सतह पर लो प्रेशर एरिया नहीं बनने वाली। फिर भी, यह सिस्टम मौसम के पैटर्न में बदलाव ला सकता है और दक्षिण-पश्चिम मानसून से पूर्वोत्तर मानसून की ओर संक्रमण को गति दे सकता है।
अगले 2 दिनों में अधिकांश समय समुद्र में रहेगा
यह चक्रवातीय परिसंचरण अगले 2 दिनों तक मुख्य रूप से समुद्र में ही रहेगा। हालांकि, इसके ओडिशा और आंध्र प्रदेश की तटरेखा के साथ दक्षिण की ओर स्थानांतरित होने की संभावना है। मौसम गतिविधि जमीन पर गहराई तक नहीं पहुँचेगी, लेकिन गंगीय पश्चिम बंगाल के दक्षिणी हिस्सों और ओडिशा व आंध्र के तटीय भागों में बिखरी हुई बारिश और गरज के साथ बारिश होने की संभावना है। यह गतिविधि तमिलनाडु के तटीय और भीतरी हिस्सों तक भी फैल सकती है।
कृषि विशेषज्ञों के सुझाव
डॉ. मदन खीचड़ ने किसानों को सलाह दी है कि वे इस मौसम का लाभ उठाते हुए जल्द ही सरसों, चना और गेहूं की बुआई करें। रबी फसलों के लिए यह मौसम विशेष रूप से अनुकूल माना जाता है क्योंकि धूप के साथ ठंडक से फसलों की बढ़वार अच्छी होती है। उन्होंने कहा कि ठंडी रातें फसलों को मजबूती प्रदान करती हैं, जिससे पैदावार में वृद्धि होती है। इसके अलावा मौसम में आ रहे बदलाव के अनुसार किसानों को अपने बीज, खाद, एवं कीटनाशकों की सही मात्रा एवं समय पर उपयोग ध्यानपूर्वक करना चाहिए। साथ ही खेतों में जल निकासी का उचित प्रबंध किया जाना आवश्यक है ताकि बारिश का पानी निकाला जा सके और फसलों को नुकसान न पहुंचे।
फसलों की नियमित निगरानी जरूरी
प्रदेश के उत्तरी और पूर्वी जिलों में तापमान गिराव के साथ ही किसानों को बीमारियों से बचाव हेतु फसलों की नियमित निगरानी भी करना जरूरी है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस मौसम का सही सदुपयोग करके किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकती है। हरियाणा में वर्तमान सर्दी और मौसम की अनुकूलता किसानों के लिए नयी उम्मीदें लेकर आई है, पर सावधानी और विशेषज्ञ सलाह के साथ ही खेती करना सफल साबित होगा। किसानों को अपने स्थानीय कृषि अधिकारियों से भी संपर्क में रहकर मौसम व कृषि संबंधी नवीनतम जानकारी प्राप्त करते रहना चाहिए।