
First Hydrogen Train in Haryana: सोनीपत/जींद (सच कहूँ न्यूज)। भारत की पहली हाइड्रोजन ईंधन से संचालित ट्रेन अब दौड़ने के लिए तैयार है। दीपावली के पश्चात हरियाणा के सोनीपत, गोहाना और जींद जिलों के बीच यह अत्याधुनिक और पर्यावरण अनुकूल ट्रेन शुरू की जाएगी। यह परियोजना भारतीय रेलवे की ‘नमो ग्रीन रेल’ योजना के अंतर्गत चलाई जा रही है, जो स्वच्छ ऊर्जा आधारित परिवहन को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है।
रूट और तकनीकी विशेषताएं] First Hydrogen Train in Haryana
- यह हाइड्रोजन ट्रेन सोनीपत, गोहाना, जींद मार्ग पर चलाई जाएगी।
- ट्रेन की कुल दूरी लगभग 89 किलोमीटर होगी।
- इसमें 8 बोगियां होंगी, जिनमें लगभग 2,638 यात्री सफर कर सकेंगे।
- ट्रेन की अधिकतम गति 110 से 140 किमी/घंटा तक हो सकती है।
- इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग ₹120 करोड़ आंकी गई है।
हाइड्रोजन संयंत्र एवं बुनियादी ढांचा
जींद में ट्रेन संचालन हेतु एक अत्याधुनिक हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र स्थापित किया गया है, जिसकी क्षमता प्रतिदिन 430 किलोग्राम हाइड्रोजन उत्पादन की होगी। संयंत्र में निम्न सुविधाएं मौजूद हैं:
3,000 किलो हाइड्रोजन स्टोरेज टैंक
हाइड्रोजन कंप्रेसर
प्री-कूलिंग यूनिट
फ्यूल डिस्पेंसर (ईंधन भरने की मशीन)
हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली यह ट्रेन शून्य उत्सर्जन के सिद्धांत पर आधारित होगी। इसके संचालन में ध्वनि और वायु प्रदूषण नहीं होगा — उत्सर्जन के रूप में केवल जल व उष्मा निकलेगी।
परीक्षण एवं संचालन योजना
रेलवे के अनुसंधान, डिजाइन और मानक संगठन की टीम द्वारा संयंत्र व उपकरणों की तकनीकी जांच की जा रही है। परीक्षण प्रक्रिया में लगभग 10 दिन का समय लग सकता है। सभी चरण सफल रहने की स्थिति में ट्रेन को दीपावली के तुरंत बाद ‘हरी झंडी’ दिखाई जाएगी और औपचारिक रूप से सेवा में लाया जाएगा।
महत्व और संभावित चुनौतियाँ
यह पहल पर्यावरणीय संरक्षण, सस्टेनेबल ट्रांसपोर्ट और स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
भारत उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जहाँ हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन हो रहा है — जैसे कि जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और चीन।
प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
ईंधन आपूर्ति की स्थिरता,
प्रणाली की सुरक्षा,
रखरखाव की लागत,
तथा प्रारंभिक निवेश की उच्च राशि।
सरकार और रेलवे का दृष्टिकोण
रेल मंत्रालय ने संकेत दिया है कि यदि यह परियोजना सफल रहती है, तो देश के अन्य हिस्सों में भी इसी मॉडल को लागू किया जाएगा। यह कदम ‘ग्रीन इंडिया मिशन’ और ‘नेशनल हाइड्रोजन मिशन’ के तहत आने वाली परियोजनाओं को बल देगा।