अब मशीनों से कर रहे फसल अवशेष प्रबंधन
Stubble Burning: कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। धीरे धीरे ही सही लेकिन अब किसान फसल अवशेष प्रबन्धन को लेकर जागरूक होने लगे हैं। किसानों की जागरूकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन दिनों हर वर्ष पराली में आगजनी की कई सैकड़ों घटनाएं घट जाती थी लेकिन अबकी बार पूरे प्रदेश में ये आंकड़ा सिर्फ 58 घटनाओं तक ही पहुंचा है। वहीं अगर बात करें कैथल जिले कि तो यहाँ पिछले वर्षों के मुकाबले बहुत बड़ा अंतर देखा गया है। इस साल सिर्फ 4 आगजनी की घटनाएं पूरे जिले में सामने आई है जोकि किसानों की जागरूकता को दर्शाता है। किसान सरकार द्वारा अवशेष प्रबंधन योजना का पूर्ण लाभ उठा रहे हैं। Kaithal News
बता दें कि कैथल जिले में इस साल करीब 4 लाख 47 हजार एकड़ में धान की फसल लगाई गयी है, पिछले वर्षों के मुकाबले इस बार फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए ज्यादा मशीनों को लगाया गया है। क्योंकि किसानों को समय पर मशीनें उपलब्ध नहीं हो पाती थी और गेंहू की बिजाई लेट होने के चलते मजबूरन उन्हें पराली में आग लगानी पड़ती थी, इस बार करीब चार हजार एक्ससीटू, इनसीटू सहित अन्य मशीनों के द्वारा फसल अवशेष प्रबन्धन किया जा रहा है इनमें से 750 मशीन तो इस साल उपलब्ध करवाई गयी है।
विभाग लगा रहा जागरूकता कैंप | Kaithal News
कृषि विभाग द्वारा भी किसानों को लगातार जागरूक किया जाता है। कृषि अधिकारी जागरूकता कैंपों के माध्यम से किसानों को समझाते हैं कि किसान कृषि यंत्रों से धान की पराली को मिट्टी में मिलाकर भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ा सकते हैं या स्ट्रा बेलर मशीन से पराली की गांठ बनाकर सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। फसल अवशेष प्रबंधन की नीति अपनाकर आय का अतिरिक्त स्त्रोत बना सकते हैं।
आगजनी की घटना पर दर्ज हुआ केस और लगा जुर्माना
फसल अवशेष जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों के दृष्टिगत सर्वोच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशोें के अनुसार फसल अवशेष जलाने वाले किसानों से जुर्माना वसूल किया जाता है। कैथल जिले में हुई आगजनी की घटनाओ को लेकर भी सबंधित किसानो पर केस दर्ज किया गया है और 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है। इसके अलावा सबंधित किसानो के नाम रेड एंट्री में दर्ज किये गये हैैं जिसके बाद अब ये किसान अगले दो साल तक अपनी फसल एमएसपी पर नहीं बेच सकेंगे।
6 साल से नहीं जलाई पराली: संदीन नैन | Kaithal News
किसान संदीप नैन सांघन ने बताया कि वैसे तो मैंने करीब 10 साल से पराली नहीं जलाई लेकिन पिछले 6 साल से तो खुद की मशीन से फसल अवशेष प्रबन्धन कर रहा हूँ और साथ में अन्य किसानो के खेतो में भी फसल अवशेष प्रबन्धन करता हूँ। हर साल 30 हजार क्विंटल पराली इकट्ठी करता था लेकिन अबकी बार 19 एकड़ जमीन सिर्फ पराली के स्टॉक के लिए ले रखे हैैं। मेरे पास दो मशीनें हैैं और दोनों ही इस समय पराली के अवशेष इक्कठा करने में लगी हुई है।
हर साल करता हूँ फसल अवशेष प्रबन्धन: मेजर सिंह सांघन
कैथल जिले के सांघन गाँव के किसान मेजर सिंह ने बताया कि वह 15 एकड़ में धान की खेती करता है और पिछले 3 वर्र्षों से सुपर सीडर से फसल अवशेष प्रबन्धन कर रहा है। सरकार लगातार फसल अवशेष प्रबन्धन को लेकर जागरूक कर रही है तो मैनें भी इसे जरूरी समझते हुए अपना लिया और खेत में भी काफी फायदा हो रहा है। सरकार द्वारा दी गयी अनुदान राशि से सुपर सीडर लिया था और अब फसल के अवशेष है जो वो खेत में ही मिला देते है जिससे उत्पादन भी सही रहता है। पराली के अवशेषों को पानी से गलाकर फिर अगर गेंहू की बिजाई की जाये तो गेंहू की फसल भी अधिक झाड़ देती है क्योेंकि पराली के अवशेष जमीन में मिलकर खाद का काम करते हैं।
किसानों में हर साल बढ़ रही जागरूकता: सुरेन्द्र यादव
कैथल कृषि उपनिदेशक सुरेन्द्र यादव ने बताया कि इस साल फसल अवशेष प्रबन्धन में कैथल जिले के किसानोें का सराहनीय योगदान रहा है, पूरे जिले में नाममात्र ही आगजनी की घटनाएं सामने आई है। किसानोें में हर साल जागरूकता बढती जा रही है। विभाग द्वारा भी टीमें बनाकर गाँव-गाँव जाकर किसानोें को फसल अवशेष प्रबन्धन के फायदे बताए जा रहे हैैं। कई किसान तो इतने जागरूक हुए है कि वो खुद तो फसल अवशेष प्रबन्धन करते ही साथ में दूसरे साथियों को भी प्रोत्साहित करते हैैं। मुझे पूरा विश्वास है अगले साल कैथल जिले में पूर्ण रूप से फसल अवशेष प्रबन्धन होगा और आगजनी की घटनायें हम जीरो पर लेकर आयेंगे। Kaithal News















