1854 में बने किलाजफरगढ़ के किले की सवा चार करोड़ से बदलेगी सूरत, राजस्थान से आए कारीगर जुटे

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Julana News: किलाजफरगढ़ के किले का जीर्णोद्धार का कार्य करते कारीगर।

जुलाना (सच कहूँ/कर्मवीर)। Julana News: क्षेत्र के किलाजफरगढ़ गांव में स्थित किले का जीर्णोद्धार का काम शुरु हो गया है। किले के नवीनीकरण पर सवा चार करोड़ की लागत आएगी। जीर्णोद्धार के कार्य में राजस्थान के कारीगर जुटे हुए हैं। किले को 1854 में जींद के राजा स्वरुप सिंह ने बनवाया था। काफी सालों से किला खंडहर में तबदील हो रहा था। किले के जीर्णोद्धार की लोगों की मांग को अमर उजाला ने प्रमुखता से उठाया तो किले की पुरातत्व विभाग ने सुध ली और जीर्णोद्धार के लिए सवा चार करोड़ की राशि मंजूर की। अब किले के जीर्णोद्धार का काम शुरु हो गया है।

किलाजफरगढ़ गांव का किला अपने अंदर एक इतिहास संजोए हुए है। यह किला इतिहास के कई युद्धों की यादों को ताजा कर रहा है। यह किला जींद के राजा की गांगोली और लजवानां कलां गांवों के लोगों के साथ हुई रंजिश व जींद जिले की सीमा की सुरक्षा को लेकर बनाया गया था। इसके अलावा राजा की शादी दादरी हुई थी। राजा की ससुराल से आते हुए रात्रि ठहराव के लिए भी किला का प्रयोग किया जाता था। बुद्धिजीवियों के अनुसार जींद के राजा स्वरुप सिंह सिंधू ने इस किले को 1854 में बनवाया था। प्राचीन काल में इस गांव का नाम खुडाली होता था। इसी किले के नाम से ही गांव का नाम किलाजफरगढ़ रखा गया था। जिस किले के नाम पर गांव का नाम रखा गया प्रशासन और सरकार की अनदेखी के चलते किला खंडहर में तबदील हो रहा था। Julana News

यह किला केवल एक बाउंड्री बन कर रह गया था। ग्रामीणों ने इस पर अवैध कब्जे कर लिए थे। ग्रामीण महिलाएं किले के आगे गोबर के उपले बनाकर कब्जा कर रही थी। आस पास अवारा पशु घूमते रहते हैं। संबंधित विभाग भी किले की सुध नहीं ले रहा है। ग्रामीणों का कहना था कि अगर किले का पर्यटन स्थल बनाया जाए तो यहां पर पर्यटकों का आकर्षण केंद्र बन सकता है। पुरातत्व ने अब किले की सुध ली और किले का जीर्णोद्धार का काम शुरु कर दिया है।

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