पाकिस्तान में पत्रकारों पर बढ़ते हमले और सेंसरशिप पर आईएफजे ने जताई चिंता

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पाकिस्तान में पत्रकारों पर बढ़ते हमले और सेंसरशिप पर आईएफजे ने जताई चिंता

Target Killings in Pakistan: इस्लामाबाद। अंतरराष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (आईएफजे) ने पाकिस्तान में काम कर रहे मीडिया कर्मियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। संगठन का कहना है कि देश में पत्रकारों पर होने वाली लक्षित हिंसा, प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट (पीईसीए) का दुरुपयोग, बिना जानकारी के सेंसरशिप, सरकारी एवं गैर-सरकारी दबाव, जबरन नौकरी से हटाना और वेतन रोके जाने जैसी घटनाएँ लगातार बढ़ रही हैं। Pakistan News

स्थानीय मीडिया में प्रकाशित जानकारी के अनुसार, इन समस्याओं पर चर्चा करने के लिए पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (पीएफयूजे) का एक प्रतिनिधिमंडल पेरिस स्थित सिंडिकैट नेशनल डेस जर्नलिस्ट्स (एसएनजे) के मुख्यालय में आईएफजे अध्यक्ष डोमिनिक प्राडाली और महासचिव एंथनी बेलेंजर से मिला। बैठक का उद्देश्य पाकिस्तान में पत्रकारिता के गिरते हालात को सामने रखना था।

डेली डॉन के मुताबिक, आईएफजे नेतृत्व ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के बड़े पदाधिकारियों से अपील की है कि वे पत्रकारों पर बढ़ते अत्याचारों को तुरंत रोकने के लिए पहल करें। साथ ही चेतावनी दी गई कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र तक ले जाया जा सकता है। Pakistan News

बैठक के दौरान पीएफयूजे की टीम—जिसमें महासचिव शकील अहमद, रावलपिंडी-इस्लामाबाद यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के अध्यक्ष तारिक उस्मानी और विदेशी मामलों के प्रभारी वसीम शहज़ाद क़ादरी शामिल थे—ने पाकिस्तान में पत्रकारों की वास्तविक परिस्थितियों की विस्तृत जानकारी दी।

आईएफजे की ओर से जारी संयुक्त बयान में पत्रकारों के खिलाफ जारी “अवैध कार्रवाइयों” की निंदा की गई। संगठन ने पीईसीए के तहत दर्ज सभी मामलों को तत्काल वापस लेने, मीडिया कर्मियों की सुरक्षा के लिए मज़बूत कानून लाने और पत्रकारों की टारगेट किलिंग में शामिल लोगों पर कठोर कार्रवाई की मांग की। साथ ही सरकारी संस्थानों द्वारा लागू “अघोषित सेंसरशिप” को असंवैधानिक और लोकतंत्र के खिलाफ बताया गया।

मीडिया संगठनों में हो रही जबरन छंटनी और वेतन रोकने पर भी आईएफजे ने नाराज़गी जताई। संगठन ने प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से कहा कि पत्रकार समुदाय के आर्थिक संकट को रोकने के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए जाएँ। आईएफजे ने वादा किया कि आगामी अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में यह मुद्दा प्रमुख रूप से उठाया जाएगा।

इस बीच, नई रिपोर्टों में राजधानी इस्लामाबाद और पंजाब के एक अन्य शहर को पत्रकारों के लिए सबसे अधिक ख़तरनाक स्थान बताया गया है। मौजूदा वर्ष में पत्रकारों पर होने वाले हमलों और कानूनी मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में 60 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।

फ्रीडम नेटवर्क की ‘इम्प्युनिटी रिपोर्ट 2025’, जो इंटरनेशनल मीडिया सपोर्ट (आईएमएस) के सहयोग से तैयार की गई है, बताती है कि पाकिस्तान में मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा की स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार इस साल 142 मामलों में पत्रकारों को निशाना बनाया गया—जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। फरवरी 2024 के आम चुनावों के बाद माहौल और अधिक असुरक्षित हो गया है।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि वर्तमान सरकार के पहले वर्ष में विवादित पीईसीए कानून के तहत 30 पत्रकारों के खिलाफ 36 कानूनी मुकदमे दर्ज किए गए। हाल के संशोधनों ने इस कानून को और कठोर बना दिया है, जिसके कारण मीडिया संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने खुलकर विरोध दर्ज कराया है। Pakistan News