Fatehabad History: फतेहाबाद को किसने बसाया था, इतिहास जानकर आप भी हैरान हो जाओगे, जानिये

Fatehabad History
Fatehabad History: फतेहाबाद को किसने बसाया था, इस इतिहास जानकर आप भी हैरान हो जाओगे, जानिये

Fatehabad History: विनोद शर्मा। हरियाणा के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में स्थित फतेहाबाद जिला अपने भीतर हजारों वर्षों का इतिहास समेटे हुए है। यह भूमि न केवल प्राचीन सभ्यताओं की साक्षी रही है, बल्कि मौर्य, तुगलक और आधुनिक भारतीय शासन की गवाह भी है। यहाँ की मिट्टी में सभ्यता के विकास, संघर्ष और परिवर्तन की कई कहानियाँ दबी पड़ी हैं।

प्राचीन काल: नंद और मौर्य साम्राज्य का प्रभाव | Fatehabad History

फतेहाबाद का इतिहास पुराणों के उल्लेखों से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यह इलाका कभी नंद साम्राज्य के अधीन था। नंदों के समय यहाँ कृषि और व्यापारिक गतिविधियाँ प्रचलित थीं। बाद में यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का हिस्सा बना। मौर्य काल में यहाँ प्रशासनिक और धार्मिक दृष्टि से कई परिवर्तन हुए। सम्राट अशोक ने अपने शासन में देशभर में धर्मप्रचार और जनकल्याण के लिए स्तंभ स्थापित कराए थे। ऐसे ही अशोक स्तंभों के अवशेष फतेहाबाद में भी मिले हैं, जो प्रमाणित करते हैं कि यह स्थान मौर्य शासन के दायरे में आता था। इन शिलालेखों से यह भी संकेत मिलता है कि यहाँ उस समय शिक्षा, धर्म और व्यापार की समृद्ध व्यवस्था थी।

सिंधु घाटी और भिरराना का महत्व

फतेहाबाद की भूमि की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ भिरराना(Bhirrana) नामक पुरातात्विक स्थल मौजूद है, जो सिंधु घाटी सभ्यता से भी पुराना माना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (अरक) की खुदाई में यहाँ से ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो बताते हैं कि यह बस्ती लगभग 7500 वर्ष पुरानी हो सकती है। भिरराना से मिट्टी के बर्तन, मोती, तांबे के औजार, और ईंटों से बने घरों के अवशेष मिले हैं। ये अवशेष बताते हैं कि फतेहाबाद क्षेत्र मानव सभ्यता के आरंभिक केंद्रों में से एक था। इस खोज ने फतेहाबाद को भारत के प्राचीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।

मध्यकाल: तुगलक काल में शहर की स्थापना

मध्यकाल में जब दिल्ली में तुगलक वंश का शासन था, तब इस क्षेत्र का राजनीतिक महत्व बढ़ गया। फिरोज शाह तुगलक (1351-1388 ई.) ने 1352 में एक नए शहर की स्थापना की और अपने पुत्र फतेह खान के नाम पर इसका नाम रखा — फतेहाबाद।
फिरोज शाह तुगलक ने इस क्षेत्र को दिल्ली से मुल्तान तक जाने वाले मार्ग पर एक रणनीतिक छावनी के रूप में विकसित किया। उस समय यह मार्ग उत्तर-पश्चिम भारत के सबसे व्यस्त व्यापारिक और सैन्य मार्गों में से एक था। फतेहाबाद शहर में मस्जिदें, सरायें, और किलेबंदी की गई थी ताकि यहाँ सैनिकों और यात्रियों को सुविधाएँ मिल सकें।

फिरोज शाह ने इस क्षेत्र में नहरों का निर्माण भी कराया था, जिससे सिंचाई व्यवस्था सुधरी और फतेहाबाद कृषि उत्पादन का केंद्र बन गया। इस काल में शहर ने प्रशासनिक और सांस्कृतिक दृष्टि से तेजी से विकास किया।

मुगल काल और बाद के शासन

तुगलक वंश के पतन के बाद यह क्षेत्र मुगलों के अधीन आ गया। मुगल काल में फतेहाबाद और इसके आसपास के इलाके में शांति और समृद्धि का माहौल रहा। यहाँ अनाज, कपास और तेलहन की खेती खूब होती थी। कुछ स्थानीय किले और सरायें इसी काल के अवशेष हैं, जो उस समय के स्थापत्य और व्यापारिक जीवन को दर्शाती हैं।

मुगलों के बाद यह क्षेत्र क्रमश:- मराठों, सिखों और ब्रिटिश शासन के अधीन भी आया। अंग्रेजों ने इसे हिसार जिले के हिस्से के रूप में अपने प्रशासनिक नक्शे में शामिल किया।

आधुनिक काल: जिले का गठन

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब हरियाणा राज्य का गठन हुआ, तब फतेहाबाद हिसार जिले का एक हिस्सा था। बढ़ती जनसंख्या और प्रशासनिक जरूरतों को देखते हुए 15 जुलाई 1997 को फतेहाबाद को एक स्वतंत्र जिला बना दिया गया। जिले के अंतर्गत तीन उपखंड- फतेहाबाद, भूना और टोहाना बनाए गए। इसके बाद यहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और परिवहन के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ।

भूगोल और संपर्क

फतेहाबाद आज राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 9 (दिल्ली-पंजाब मार्ग) से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा रेलमार्ग और राज्य मार्ग इसे हरियाणा के अन्य प्रमुख शहरों जैसे हिसार, सिरसा, भिवानी और चंडीगढ़ से जोड़ते हैं। यह इलाका मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई सुविधाओं के कारण गेहूँ, सरसों और कपास की फसलें प्रचुर मात्रा में होती हैं।

संस्कृति और विरासत

फतेहाबाद न केवल इतिहास में बल्कि संस्कृति और लोक परंपराओं में भी समृद्ध है। यहाँ हरियाणवी लोकगीत, नृत्य, और मेले लोगों की जीवनशैली का हिस्सा हैं। अशोक स्तंभ, प्राचीन किले, तुगलककालीन संरचनाएँ और भिरराना का पुरातात्विक महत्व इस जिले की विरासत को जीवित रखते हैं। यहाँ कई धार्मिक स्थल भी हैं, मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे — जो सामाजिक समरसता का प्रतीक हैं।

आज का फतेहाबाद

आज फतेहाबाद हरियाणा का एक तेजी से उभरता हुआ जिला है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और औद्योगिक क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। यहाँ आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ पुरानी परंपराएँ भी जीवित हैं। कृषि आधारित उद्योग, डेयरी व्यवसाय, और छोटे-स्तर के निर्माण कार्य यहाँ के लोगों के मुख्य रोजगार स्रोत हैं।

फतेहाबाद का अतीत इस बात का प्रमाण है कि यह भूमि हमेशा से परिवर्तन, संघर्ष और विकास का केंद्र रही है, चाहे वह सिंधु घाटी सभ्यता का दौर रहा हो या तुगलक शासन का समय या आज का आधुनिक भारत। फतेहाबाद का इतिहास हमें यह सिखाता है कि समय बदलता है, लेकिन भूमि की स्मृतियाँ नहीं मिटतीं। इस जिले ने सभ्यता की शुरूआत देखी, साम्राज्यों का उदय और पतन देखा, और अब यह आधुनिक हरियाणा का गौरव बन चुका है। अशोक के स्तंभों से लेकर तुगलक की स्थापत्य कला और भिरराना की खुदाई तक — हर काल ने इस क्षेत्र को अपनी छाप दी है। आज फतेहाबाद सिर्फ हरियाणा का एक जिला नहीं, बल्कि भारतीय इतिहास का एक जीवित अध्याय है, जहाँ अतीत और वर्तमान एक साथ साँस लेते हैं।

प्रिय पाठकों, हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं “आपके शहर का इतिहास”, एक विशेष श्रृंखला, जिसमें हर Monday हम किसी एक जिÞले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत से आपको परिचित कराएंगे। इस श्रंखला का उद्देश्य है—आपकी सामान्य ज्ञान (जनरल नॉलेज) को बढ़ाना और आपको अपने देश के गौरवशाली अतीत से जोड़ना। हर सोमवार पढ़िए एक नया जिÞला, एक नई कहानी, और जानिए अपने भारत को और भी करीब से। हमसे जुड़े रहिए, क्योंकि इतिहास जानना, अपने भविष्य को समझने की पहली सीढ़ी है।