गंदगी और बिजली व्यवस्था ने किया श्रद्धालुओं को परेशान
व्यासपुर (सच कहूँ/राजेंद्र कुमार)। Mela Kapal Mochan: कपालमोचन में 5 दिवसीय राज्य स्तरीय मेले में कार्तिक पूर्णिमा का स्नान कर श्रद्धालु अपने घरों को लौटने शुरू हो गए है। पूर्णिमा पर सरोवरों में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रशासन ने तैयारियां भी 8 से 10 लाख श्रद्धालुओं के हिसाब से कर रखी थी। इस वर्ष मेले में अपेक्षा से बहुत ही कम श्रद्धालु पहुंचे। Vyaspur News
कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि मेला मुख्य प्रशासक जिला उपायुक्त पार्थ गुप्ता, मेला प्रशासक जसपाल सिंह गिल, पुलिस अधिक्षक कमलदीप गोयल सहित तमाम अधिकारी मेले में ही डटे रहें। जैसे कार्तिक पूर्णिमा लगते ही श्रद्धालुओं का सैलाब तीनों पवित्र सरोवरों में स्नान करने के लिए उमड़ पड़ा।
मेले में इतनी भारी भीड़ के बावजूद भी कहीं भी किसी तरह की असुविधा सामने नहीं आई। श्री कपालमोचन मेले में पंजाब से आए श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रही। ऐसी मान्यता है कि कपाल मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य के जन्मों-जन्मों के पाप धूल जाते हैं। ऋण मोचन सरोवर में स्नान करने से मनुष्य सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त हो जाता है और सूरज कुंड सरोवर में स्नान करने मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीर्थराज कपाल मोचन में श्री गुरु नानक देव जी भी आए थे और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जैसे ही रात्रि 12 बजे से गुरु पर्व शुरू हुआ तो मेला श्री कपाल मोचन में पधारे यात्रियों ने गुरुद्वारा श्री कपाल मोचन में माथा टेका व आतिशबाजी की और सभी श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को गुरुपर्व की बधाई दी।
पशु प्रदर्शनी में मिर्जा व हैदर घोड़े बिकने नही दिखने आएं | Vyaspur News
कपालमोचन मेले में कुछ घोड़े बिकने तो कुछ दिखने के लिए आते है। चौराही रोड पर लगी खच्चर में पंजाब व हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से पशु पालक अपने पशुओं की प्रदर्शनी लगाने के लिए पहुंचे हैं। कपालमोचन खच्चर मंडी में मिर्जा व हैदर बिकने के लिए नहीं बल्कि दिखने के लिए आए हैं। इनकी कोई भी कीमत लगाओ लेकिन मालिक बेचने को तैयार नहीं है। ऑल इंडिया चैंपियन-2022 हैदर को देखने के लिए दर्शकों की काफी भीड़ उमड़ रही है।
मारवाड़ी नस्ल के इस घोड़े को घोड़ी क्रॉस करने के लिए मेले में लाया गया है। हैदर 6 साल का है जिसकी ऊंचाई करीब साढे 64 इंच व मिर्जा ढाई साल का जिसकी हाइट 63 इंच है। दोनों ही घोड़ों की ऊंचाई बढ़ रही है। वहीं लालडू पंजाब के सरसैनी से मजूके लाइन नस्ल का गदाफी घोड़ा लेकर आए जो आकर्षण का केंद्र रहा जो 7 साल का हो चुका है। उसकी ऊंचाई 65 इंच है। नीले रंग इस घोड़े को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
मेला प्रदर्शनी में ब्रह्मकुमारीज बहनों ने लोगों को नशे से बचाव लिए बारे किया जागरूक….
कपालमोचन मेला में लगी प्रदर्शनी में ब्रह्मकुमारीज आश्रम की ओर से लगाए गए स्टॉल पर श्रद्धालुओं को नशे की लत से बचने के मोबाइल वैन पर प्रदर्शनी दिखाई गई। माऊंड अबू राजस्थान की मैडीकल विंग की ओर से राजयोग एजूकेशन एंड रिसर्च फाऊंडेशन की वैन श्रद्धालुओं को मनोरोग व टेंशन से बचने के उपाय सूझा रहे हैं। प्रदर्शनी में तैनात बी. के. सुलोचना बहन, बी. के रमेश बहन, बी. के. प्रीति बहन, बी. के. राजकुमार राणा भाई, बी. के. सुशील ने दर्शकों को महत्वपूर्ण जानकारियां दी।
उन्होंने बताया कि आध्यात्मिक ज्ञान की शक्ति से मनुष्य कुछ भी हासिल कर सकता है। परमात्मा शक्ति से स्व पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह राजयोग की मदद से सहन शक्ति बढ़ा सकते हैं। सहन शक्ति के अभाव में लोग तनाव का शिकार हो रहे हैं।
भंडारे बने श्रद्धालुओं का सहारा….
कपालमोचन मेले में सैकेड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह भंडारे लगाकर पांचों दिन-रात लंगर सेवा की। पंजाब से बड़ी संख्या में संगत यहां आकर भंडारे लगाती हैं। वही राजपूत धर्मशाला में पिछले कई वर्षों से बंसी वाले बाबा का अखंड भंडारा दिनरात चलता है, जिसमें बड़ी संख्या में बाहरी व लोकल श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण करते हैं। सुरजकुंड श्राइन बोर्ड कार्यालय पर प्रशासन के द्वारा बनाया गया यात्री निवास श्रद्धालुओं का सहारा बना हुआ हैं।
इस यात्री निवास में एक समय में करीब 200 श्रद्धालु आराम कर सकते हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए यह यात्री निवास बिल्कुल निःशुलक हैं। पिछले 5 दिनों से हजारों श्रद्धालु दिन-रात यात्री निवास में ठहर रहें हैं। प्रशासन ने यह यात्री निवास इसलिए बनाया कि मेले के समय कुछ श्रद्धालु तंबु आदि नहीं ले पाते उन्हें ठंड में बाहर खुले आसमान के नीचे रात न बितानी पड़े इसलिए सुरजकुंड पर यात्री निवास बनाया गया।
सिख धर्म से जुड़े अस्त्र शस्त्रों की जमकर हुई खरीददारी…..
कपालमोचन मेले में सिख धर्म से जुड़े अस्त्र-शस्त्रों की जमकर खरीददारी की गई। सिख धर्म में ककार का विशेष महत्व है। जोड़ मेला व धार्मिक तीर्थ स्थल से अधिकतर श्रद्धालु धर्म से जुड़ी इन वस्तुओं को जरूर खरीद कर ले जाते हैं।=मेला क्षेत्र में यह सामान बेचने वालों की दर्जन भर दुकानें सजी थी। हर दुकान पर खरीददारों की भीड़ नजर आई। जालंधर, अमृतसर व लुधियाना से दुकान लेकर आए दुकानदारों का कहना है कि मेला में धार्मिक चीजें खरीदने अधिक लोग आते हैं। अधिकतर श्रद्धालु कड़ा व कंघा खरीद रहे हैं। वहीं श्री साहब, खुंडी, गंडासी, बेसबाल, दुड़ा, सुआ, खंडा, कृपाण, तेग, भाला व सर्व लोहा बर्तन काफी मात्रा में बिक रहे हैं।
नशेडी भी रहे मेले में शामिल…
कपालमोचन मेले में नशेडियों का बोलबाला रहा। पांचों दिन शराब के ठेकों के साथ आसपास के शराब तस्कर भी मेले में शराब की सप्लाई करते देखे गए। मेले में स्मैक, शराब, भांग, सुल्फा आदि के नशेडियों ने भी माहौल खराब करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस की मुस्तस्दी ने सुरक्षा का जिम्मा संभाले रखा।
बिजली व्यवस्था ने किया परेशान…..
मेला क्षेत्र में कई बार बिजली व्यवस्था ने परेशान किया। कई बार बिजली चले के कारण यात्रियों को अंधेरे में ही सफर करना पड़ा जबकि प्रशाशन द्वारा रात के समय रास्ते में लड़ियों का प्रबंध किया हुआ था लेकिन बिजली व्यवस्था से कई बार परेशानी हुई।
सुरक्षा के चलते पुलिस से उलझी संगत…..
पुलिस द्वारा मेले की सुरक्षा के लिए कई जगह मेला क्षेत्र को सेक्टर में विभाजित कर पुलिस के नाके लगाए हुए थे। मेले के अंदर भीड़ के कारण अव्यवस्था ना हो इसके लिए सबके वाहन बिलासपुर में लगे नाके पर ही रोक दिए गए और श्रधालुओं को कई किलोमीटर का सफर तय करके मेला क्षेत्र में पहुंचना पड़ा। कई बार वाहनों को अंदर ले जाने के लिए संगतों को पुलिस के साथ उलझना पड़ा।
सफाई व्यवस्था पर भी उठे सवाल ….
मेला क्षेत्र में सफाई को लेकर दावे किए जा रहे थे कि पूरी सफाई व्यवस्था पर सैकड़ों मजदूरों को लगाया हुआ है लेकिन कई जगह सफाई व्यवस्था चरमराई हुई दिखाई दी। सरोवरों में भी काई और गंदगी का आलम रहा।
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