वचनों को मानने से ही आती हैं खुशियां: पूज्य गुरु जी

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Saint Dr. MSG: वचनों को मानने से ही आती हैं खुशियां: पूज्य गुरु जी

Saint Dr. MSG: सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि परमात्मा कण-कण में मौजूद है। उसका रहमो-कर्म मूसलाधार बरसता है, पर भाग्यशाली वही हैं जो उसके बरसते रहमो-कर्म को महसूस करते हैं। उन्हें फिर अंदर-बाहर कोई कमी नहीं रहती। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि परमात्मा की खुशियां तभी हासिल होती हैं, जब इन्सान को पूर्ण पीर, फकीर मिले और जीव उनके वचनों पर अमल करे। दरगाह में आत्मा के लिए सत्संग का फल मिलता है, लेकिन तीन परहेजों में गलती करते हो,  तो वो भयानक सजा भी भोगनी पड़ती है। तीन वचनों के अलावा कोई और गलती होती है, तो इन्सान सच्चे दिल से सुमिरन करे, तौबा करे, सत्संग में आकर माफी ले लेता है तो साथ ही साथ माफ हो जाता है।

लेकिन अगर तीन परहेजों में गलती करता है और सेवा करता है तो उससे जो बरकतें आनी चाहिएं, जो बेइन्तहा खुशियां मिलनी चाहिएं, उससे इन्सान खाली रह जाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि अगर आप संत, पीर-फकीर के साथ लगे हैं, तो वचनों पर अमल करना सीखो। आप दुनियादारी के लोगों को बुद्धू बना सकते हैं, उन्हें गुमराह कर सकते हैं, उनको पता नहीं चलने देते, लेकिन परमात्मा जो हर किसी के अंदर मौजूद है, उससे आप कोई पर्दा नहीं कर सकते। संत हर किसी का पर्दा रखते हैं और सबसे प्यार करते हैं, सबको मोहब्बत से नवाजते हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वचन मानना अति जरूरी है। अगर आपका रुतबा है, तो उसके नाम का। रूहानियत में अगर कोई आपको दुआ, सलाम करता है। आपकी इज्जत, सत्कार करता है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपके कोई अलग से ताज लगा हुआ है या आप अलग से कुछ नए भाग्य लेकर पैदा हुए हैं।

वचनों को मानने…

यह तो मालिक के नाम का रहमो-कर्म है। तू गुरमुख है, सतगुरु का मुरीद है, तू उसका अजीज है, तू भक्ति करता है, तू सेवादार है, इसलिए लोग सत्कार करते हैं। बाकि जैसे आम आदमी हैं, वैसा ही तू है। बस उसके (मालिक के) नाम को सलाम है। इसलिए उसका नाजायज फायदा न उठाओ। वरना लेने के देने पड़ते हैं। इन्सान गलतियां करता है, वचनों की परवाह नहीं करता, तो सब खुशियां चली जाती हैं और अगर वचन मानने शुरू करता है और 100 प्रसेंट वचन मान ले, तो खुशियां वापिस आ जाती हैं। Saint Dr. MSG

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वचनों में गलती करने को मखौल मत समझा करो। संतों का काम माफी देना और दिलवाना है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप खुश रहेंगे। आपकी उम्र कम हो सकती है, आपके स्वास तेजी से चलेंगे और आपका टाईम पीरियड कम हो जाएगा। आपको बीमारियां लग सकती हैं। आप परिवार की तरफ से, शरीर की तरफ से टेंशन में आ जाओगे। ये सब गलती करने के साईड इफेक्ट हैं। आदमी गलती करता है तो उसके बैक गेयर लग जाता है और जैसे-जैसे गलतियां करता जाता है, उसके बैक गेयर की स्पीड भी बढ़ती जाती है। इसलिए गलतियां न करो। संत, पीर-फकीरों की दया को मखौल मत समझो। वो दया करते हैं, क्योंकि वो दयालु होते हैं। मालिक का नूर वो हर किसी तक पहुंचाते हैं, इसलिए दया करते रहते हैं। पर, इसका मतलब यह नहीं होता कि आप गलतियां करते ही चले जाएं, बुरे कर्म करने से बाज ही न आओ।

यह तो मालिक के नाम का रहमो-कर्म है। तू गुरमुख है, सतगुरु का मुरीद है, तू उसका अजीज है, तू भक्ति करता है, तू सेवादार है, इसलिए लोग सत्कार करते हैं। बाकि जैसे आम आदमी हैं, वैसा ही तू है। बस उसके (मालिक के) नाम को सलाम है। इसलिए उसका नाजायज फायदा न उठाओ। वरना लेने के देने पड़ते हैं। इन्सान गलतियां करता है, वचनों की परवाह नहीं करता, तो सब खुशियां चली जाती हैं और अगर वचन मानने शुरू करता है और 100 प्रसेंट वचन मान ले, तो खुशियां वापिस आ जाती हैं। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि वचनों में गलती करने को मखौल मत समझा करो। संतों का काम माफी देना और दिलवाना है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि आप खुश रहेंगे। Saint Dr. MSG

आपकी उम्र कम हो सकती है, आपके स्वास तेजी से चलेंगे और आपका टाईम पीरियड कम हो जाएगा। आपको बीमारियां लग सकती हैं। आप परिवार की तरफ से, शरीर की तरफ से टेंशन में आ जाओगे। ये सब गलती करने के साईड इफेक्ट हैं। आदमी गलती करता है तो उसके बैक गेयर लग जाता है और जैसे-जैसे गलतियां करता जाता है, उसके बैक गेयर की स्पीड भी बढ़ती जाती है। इसलिए गलतियां न करो। संत, पीर-फकीरों की दया को मखौल मत समझो। वो दया करते हैं, क्योंकि वो दयालु होते हैं। मालिक का नूर वो हर किसी तक पहुंचाते हैं, इसलिए दया करते रहते हैं। पर, इसका मतलब यह नहीं होता कि आप गलतियां करते ही चले जाएं, बुरे कर्म करने से बाज ही न आओ।