
Trump Gold Card: वाशिंगटन। अमेरिका ने विदेशों से आने वाले मेधावी छात्रों, विशेषकर भारतीय विद्यार्थियों के लिए एक बड़ा निर्णय लिया है। अब वहां की कंपनियां विश्वविद्यालयों के शीर्ष स्नातकों को पढ़ाई पूरी होने के बाद भी अपने यहां काम पर रख सकेंगी। इसी उद्देश्य से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नए ‘ट्रंप गोल्ड कार्ड’ कार्यक्रम की घोषणा की है, जिसके माध्यम से अमेरिकी विश्वविद्यालयों से उच्च रैंकिंग के साथ स्नातक करने वाले विदेशी छात्रों को देश में रोके रखने का रास्ता खुल जाएगा। US News
ट्रंप ने कहा कि कई प्रतिभाशाली छात्र अपने-अपने देशों—जैसे भारत, चीन और फ्रांस—से अमेरिका आते हैं, पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हैं, लेकिन पढ़ाई पूरी होने पर उन्हें वापस लौटना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था न तो छात्रों के अनुकूल है और न ही अमेरिकी उद्योगों के लिए लाभकारी। नए कार्यक्रम से वैज्ञानिक, तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में दक्ष विद्यार्थियों को लंबे समय तक इमिग्रेशन संबंधी बाधाओं से राहत मिलेगी और कंपनियों को भी योग्य जनशक्ति उपलब्ध रहेगी।
यह कदम एप्पल के सीईओ टिम कुक-से हुई वार्ता के बाद उठाया गया
ट्रंप के अनुसार, यह कदम तकनीकी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों—विशेषकर एप्पल के सीईओ टिम कुक—से हुई वार्ता के बाद तैयार किया गया। कार्यक्रम का विवरण प्रस्तुत करते हुए हावर्ड लटनिक ने बताया कि ‘गोल्ड कार्ड’ दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकेगा—एक, व्यक्तिगत आवेदक के रूप में; दूसरा, कंपनियों के लिए उच्च शुल्क वाले विकल्प के रूप में। कंपनी के पास यह अधिकार होगा कि वह अपने चयनित विदेशी कर्मचारी को लंबे समय तक अमेरिका में कार्यरत रख सके। US News
लटनिक ने यह भी बताया कि गोल्ड कार्ड प्राप्त करने के लिए कड़ी सरकारी जांच प्रक्रिया होगी, जिसकी लागत 15,000 डॉलर तय की गई है। स्वीकृति के बाद विदेशी कर्मचारी को पांच वर्षों के भीतर अमेरिकी नागरिकता का मार्ग मिल सकता है, और उसी कार्ड के आधार पर कंपनी आगे किसी अन्य कर्मचारी को भी नियुक्त कर सकेगी। इस प्रकार यह कार्ड स्थायी निवास जैसी घूर्णन प्रणाली की तरह काम करेगा। लटनिक ने इसे अमेरिका की वैश्विक प्रतिभा प्रतिस्पर्धा को सशक्त करने वाला कदम बताया।
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम से सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व प्राप्त होगा। उन्होंने दावा किया कि इससे अरबों डॉलर तक की आय संभव है। अभी तक वीजा संबंधी अनिश्चितताओं के कारण कई कंपनियों को अपने कर्मचारियों को कनाडा जैसे देशों में भेजना पड़ता था, परंतु अब यह समस्या दूर होगी। US News
इमिग्रेशन सुधार, आधुनिक तकनीक में निवेश और अमेरिकी कार्यबल को मजबूत बनाने के प्रयास
इस नीति पर चर्चा करने के लिए आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में डेल टेक्नोलॉजीज के माइकल डेल, आईबीएम के अरविंद कृष्णा, क्वालकॉम के क्रिस्टीआनो अमोन तथा एचपी और हेवलेट पैकर्ड एंटरप्राइज के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक को प्रशासन ने इमिग्रेशन सुधार, आधुनिक तकनीक में निवेश और अमेरिकी कार्यबल को मजबूत बनाने के प्रयास के रूप में प्रस्तुत किया।
ट्रंप ने एआई और चिप निर्माण क्षेत्रों में हुए निवेश की सराहना की और कहा कि अमेरिका का लक्ष्य इन तकनीकों में अग्रणी बने रहना है। माइकल डेल ने ऊर्जा उपलब्धता और लागत को एआई तथा सेमीकंडक्टर उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। वहीं आईबीएम के अरविंद कृष्णा ने पूर्ण एआई स्टैक—सेमीकंडक्टर से लेकर सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन तक—को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया। US News
विशेषज्ञों का मानना है कि गोल्ड कार्ड कार्यक्रम भारतीय छात्रों और उच्च कौशल वाले भारतीय पेशेवरों के लिए पिछले एक दशक में सबसे बड़ा इमिग्रेशन सुधार साबित हो सकता है। भारत, अमेरिका में दूसरे सबसे बड़े विदेशी छात्र समूह के रूप में मौजूद है और एच-1बी वीजा प्राप्तकर्ताओं में भी भारतीयों की संख्या सर्वाधिक है। ऐसे में यह कार्यक्रम भारतीय टेक एवं एआई क्षेत्र के पेशेवरों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
लंबे समय से रोजगार-आधारित आव्रजन सुधार अमेरिकी प्रशासन के लिए चुनौती रहा है। वीजा कोटे और संसदीय गतिरोध के कारण कंपनियां और विदेशी कर्मचारी वर्षों से कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। तकनीकी कंपनियां लगातार कहती रही हैं कि अनिश्चित वीजा प्रक्रियाएं अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को घटाती हैं। ट्रंप का गोल्ड कार्ड कार्यक्रम इन्हीं समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। US News














