कोच्चि (एजेंसी)। भारतीय नौसेना ने कोच्चि स्थित नौसेना स्टेशन में बुधवार को आयोजित एक औपचारिक समारोह के दौरान डाइविंग सपोर्ट क्राफ्ट (डीएससी) ए-20 को औपचारिक रूप से सेवा में शामिल किया। यह जहाज नौसेना की पानी के नीचे की क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डीएससी ए20 इस वर्ष शामिल किया गया 11वां नौसैनिक जहाज है, जो नौसेना की लगातार बढ़ती स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर प्रगति को दर्शाता है। यह डीएससी ए-20 श्रेणी का पहला जहाज है, जो समुद्र के भीतर जाकर आॅपरेशन को अंजाम दे सकता है। यह एक ऐसा युद्धपोत है जो अंडरवॉटर मिशन, निरीक्षण और रिकवरी कार्यों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इससे तटीय क्षेत्रों में डाइविंग, अंडरवॉटर निरीक्षण और सैल्वेज भी किया जा सकता है। इसके कमीशन होने से नौसेना की आॅपरेशनल क्षमता में काफी इजाफा हुआ है।
इस समारोह की अध्यक्षता दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग आॅफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, वाइस एडमिरल समीर सक्सेना ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ नौसेना अधिकारी, पूर्व सैनिक, टीटागढ़ रेल सिस्टम्स लिमिटेड (कोलकाता) के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। डीएससी ए20 के सेवा में शामिल होने से गोताखोरी अभियान, बचाव एवं मलबा निकालने के काम जैसी पानी के नीचे की महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम देने की नौसेनिक क्षमता मजबूत होगी। वाइस एडमिरल ने सभा को संबोधित करते हुए इस जहाज को नौसेना की पानी के अंदर की क्षमताओं के विस्तार के लिए एक प्रमुख उपलब्धि बताया। साथ ही, इसे स्वदेशी डिजाइन एवं निर्माण का एक सशक्त प्रमाण बताया।
सक्सेना ने कहा, “यह जहाज गोताखोरी अभियानों, पानी के नीचे रखरखाव और बचाव अभियानों में मित्र देशों की सहायता करने की भारत की क्षमता को भी बढ़ाएगा। यह क्षेत्र में एक ‘प्रथम उत्तरदाता’ और विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।” डीएससी ए20 एक आधुनिक ‘कैटामरन-हल’ वाला जहाज है, जो उन्नत ‘डाइविंग सिस्टम’, पानी के नीचे वीडियो के माध्यम से निरीक्षण करने और ट्रैकिंग सुविधाओं के साथ-साथ सुरक्षित गोताखोरी अभियानों के लिए ‘टू-मैन रीकम्प्रेशन चैंबर’ से लैस है। यह बेहतर सहनशक्ति और गतिशीलता के साथ, इस क्राफ्ट से नौसेना के समुद्री सुरक्षा ढांचे को महत्वपूर्ण मजबूती मिलने की उम्मीद है। मंगलवार को आयोजित इस समारोह में गार्ड आॅफ आॅनर दिया गया, कमांडिंग आॅफिसर लेफ्टिनेंट कमांडर हेमंत सिंह चौहान द्वारा जहाज को औपचारिक रूप से शामिल किया गया। नौसेना का ध्वज फहराया गया तथा सेवा में शामिल किये जाने संबंधी आधिकारिक पट्टिका का भी अनावरण किया गया।















