Christmas 2025: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? कैसे हुई थी इसकी शुरूआत जानें…

Christmas 2025
Christmas 2025: क्रिसमस क्यों मनाया जाता है? कैसे हुई थी इसकी शुरूआत जानें...

Christmas 2025: त्यौहार भला किसे पसंद नहीं होते। हर वर्ग, समुदाय, जात, धर्म में अलग-अलग तरह के त्यौहार मनाए जाते हैं और यही तो हमारे देश की खासियत है कि भले ही त्यौहार किसी भी धर्म, समुदाय का क्यों न हो, पूरा भारतवर्ष उसे हर्षोल्लस से मनाता है। ईसाइयों के सबसे बड़े त्यौहार की बात करें तो निसंदेह वह क्रिसमस ही है, जिसका इंतजार साल भर ईसाई समुदाय के लोग करते हैं।

केवल ईसाई समुदाय ही क्यों, क्रिसमस एक ऐसा त्यौहार है जिसे दुनिया भर के सभी देशों और सभी धर्मों के लोग मनाते हैं। इस दिन सैंटा क्लॉज छोटे बच्चों को गिफ्ट बांटते हैं, जिसके लिए छोटे बच्चे इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। ईसाइयों के पवित्र ईसा मसीह के जन्मदिन को लेकर कई सारी मान्यताएं और धारणाएं पुराने समय से प्रचलित चली आ रही थीं, लेकिन ईसा मसीह के जन्मदिन के संशय को लेकर ईसाई समुदाय काफी चिंतित था।

इसके चलते सभी समूहों के अनुयायियों ने मिलकर यह निर्णय किया कि किसी एक दिन को सुनिश्चित किया जाए, जिस दिन ईसा मसीह का जन्मदिन धूमधाम से मनाया जा सके। सभी के परामर्श से चौथी शताब्दी में यह निर्णय लिया गया कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाएगा। 25 दिसंबर का दिन चुनने के पीछे वजह यह थी कि इस दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है।

क्रिसमस ट्री की परंपरा | Christmas 2025

25 दिसंबर यानी कि क्रिसमस के दिन सैंटा क्लॉज के साथ-साथ क्रिसमस ट्री सजाने की भी परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। क्रिसमस ट्री की बात करें तो क्रिसमस ट्री को लेकर यह कहानी प्रचलित है कि ईसा मसीह का जन्म हुआ तब सभी देवी-देवताओं ने अपनी खुशी के इजहार के लिए देवदार के पेड़ को सजाया था। तब से क्रिसमस के दिन पेड़ सजाने की परंपरा चली आ रही है। इसके लिए झाड़ीनुमा पेड़ को काट कर घर लाया जाता है, और उसके ऊपर सजावटी सामान तथा बल्ब लगाया जाता है।

जुराब में क्यों छुपाते हैं गिफ्ट

चलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। जो बहुत अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था। वो हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था। उन्हें सीक्रेट गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता रहता था। एक दिन निकोलस को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां है, जिनकी शादियों के लिए उसके पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है।

ये बात जान निकोलस इस शख्स की मदद करने पहुंचे। एक रात वो इस आदमी की घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचे और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया। उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोजा सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखा था। पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट देने यानी सीक्रेट सैंटा बनने का रिवाज है। इस मोजे में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ।

आखिरी बार में इस आदमी ने निकोलस को देख लिया। निकोलस ने यह बात किसी को ना बताने के लिए कहा। लेकिन जल्द ही इस बात का शोर बाहर हुआ। उस दिन से जब भी किसी को कोई सीक्रेट गिफ्ट मिलता सभी को लगता कि यह निकोलस ने दिया। धीरे-धीरे निकोलस की ये कहानी प्रसिद्ध हुई। क्योंकि क्रिसमस के दिन बच्चों को तोहफे देने का प्रथा रही है। इसके बाद पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट देने यानी सीक्रेट सेंटा बनने का रिवाज आगे बढ़ता चला गया।

विदेशों में क्रिसमस

क्रिसमस सारी दुनिया में उमंग और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला महान पर्व है। प्रभु ईसा के जन्मोत्सव का उल्लास सभी के चेहरे पर तो झलकता ही है,उससे कहीं अधिक उल्लास इस पवित्र पर्व के तौर-तरीकों में दिखाई पड़ता है। क्रिसमस पूरी दुनिया में अलग-अलग ढंग से पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। आइए देखें कुछ देशों में क्रिसमस के तौर-तरीके:

अमेरिका: क्रिसमस के दिन यहाँ की मौज मस्ती देखते ही बनती है। इस दिन सभी मित्र और परिजन मिलकर विशेष रूप से खान-पान व धूमधाम से जश्न मनाते हैं। इस देश में सांताक्लाज नाम का एक नगर भी है। यहाँ के बच्चे सांता के नाम इस नगर में पत्र भेजते हैं। Christmas 2025

जर्मनी: यहाँ क्रिसमस ट्री और घरों की सजावट का अंदाज ही निराला है। बच्चे क्रिसमस का इंतजार बड़ी बेसब्री से करते हैं। क्रिसमस आते ही अपने माता पिता के साथ मिलकर क्रिसमस ट्री सजाते हैं। जिस स्थान पर भोजन रखा रहता है, वहाँ एक व्यक्ति घंटी बजाकर अपने परिजनों को भोजन के लिए आमंत्रित करता है।

सिंगापुर: यहाँ भी क्रिसमस का पर्व बहुत खास होता है। कई दिनों पहले से क्रिसमस की तैयारियां प्रारंभ हो जाती है। जगह-जगह क्रिसमस ट्री की सजावट देखते ही बनती है।
बेल्जियम: यहाँ फादर क्रिसमस को कसर्टमैन या ले पेरे नोएल कहते हैं और वह बच्चों के लिए उपहार लेकर आते हैं। यहाँ सभी पारिवारिक सदस्य मिलकर एक विशेष तरह की मीठी ब्रेड कागकनोल जो शिशु ईसा के आकार की होती है, का नाश्ता करते हैं।

डेनमार्क: यहाँ सांताक्लाज जिसे ‘जुलेमांडेन’ कहा जाता है, बर्फ पर चलने वाली गाड़ी पर सवार होकर आता है। इस गाड़ी में ढेर सारे उपहार रखे होते हैं और इसे रेंडियर खींच रहे होते हैं।

फिनलैंड: पूरी दुनिया से सांताक्लाज के नाम पत्र यहीं भेजे जाते हैं। फिनलैंड वासियों के अनुसार फादर क्रिसमस फिनलैंड के उत्तरी भाग में ‘कोरवातुनतुरी’ नामक स्थान पर रहते हैं। यहाँ घरों और क्रिसमस ट्री की साज-सज्जा देखते ही बनती है। कब्रिस्तानों को भी सजाया जाता है। यहाँ के निवासी क्रिसमस के एक दिन पहले सुबह चावल की खीर खाते हैं तथा आलू बुखारे का रस पीते हैं।

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