Ajmer Dargah Controversy: नई दिल्ली। राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर एक बार फिर विवाद चर्चा में आ गया है। विश्व वैदिक सनातन संघ के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका में मांग की गई है कि दरगाह पर प्रधानमंत्री की ओर से प्रतिवर्ष चढ़ाई जाने वाली चादर की परंपरा को तत्काल समाप्त किया जाए। Ajmer News
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह विषय केवल धार्मिक रीति-रिवाज तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे ऐतिहासिक तथ्यों और संवैधानिक मर्यादाओं का प्रश्न भी जुड़ा हुआ है। याचिका में दावा किया गया है कि जिस स्थान पर वर्तमान में दरगाह स्थित है, वहां प्राचीन काल में संकट मोचन महादेव मंदिर विद्यमान था। ऐसे में संवैधानिक पद पर आसीन किसी व्यक्ति द्वारा वहां धार्मिक अनुष्ठान किया जाना अनुचित बताया गया है।
एक प्रकरण पहले से ही अजमेर की सिविल अदालत में विचाराधीन
इस मामले से जुड़ा एक प्रकरण पहले से ही अजमेर की सिविल अदालत में विचाराधीन है। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने उर्स के अवसर पर प्रधानमंत्री की ओर से दरगाह में चादर चढ़ाने की परंपरा को अदालत में चुनौती दी थी। इस याचिका पर हाल ही में सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क प्रस्तुत किए। अदालत ने सभी दलीलों को सुनने के बाद फिलहाल कोई निर्णय सुरक्षित रखा है और अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी निर्धारित की है।
इसी क्रम में अब विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। हालांकि, शीर्ष अदालत में इस याचिका पर सुनवाई की तिथि अभी घोषित नहीं की गई है। उल्लेखनीय है कि हर वर्ष उर्स के दौरान देश के प्रधानमंत्री और अन्य जनप्रतिनिधियों की ओर से अजमेर दरगाह में चादर भेंट की जाती रही है। इसी बीच, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के सोमवार को अजमेर पहुंचने की संभावना है, जहां वे उर्स कार्यक्रम में भाग लेंगे और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से चादर पेश की जाएगी। Ajmer News















