गोरखपुर बाल संहार की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। लोग पीड़ित परिवारजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। घटना ने कई परिवारों के आंगनों की किलकारी हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दी है। घरों में मातम छाया हुआ है। 48 घंटे के भीतर प्रत्येक घंटे में एक बच्चे ने दम तोड़ा, यानी 48 घंटे में 48 नौनिहालों की जिंदगी खत्म। इस घटना को लापरवाही नहीं, बल्कि मर्डर कहा जाए। मामला इसलिए भी ज्यादा गंभीर माना जा रहा है कि हादसा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद में हुआ है। जिले से ताल्लुक रखने के चलते वहां का प्रशासनिक अमला हमेशा सतर्क रहता है।
सवाल उठता है कि फिर इतनी बड़ी घटना कैसे घटी? इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं? खैर इन मौतों के आंकड़े को स्वाभाविक बताना संवेदनहीनता के अलावा और कुछ नहीं। हम पीड़ित परिवारों के दु:ख का अंदाजा नहीं लगा सकते कि उन पर क्या बीत रही होगी। दरकार इस बात की है कि मामले की लीपापोती नहीं होनी चाहिए, बल्कि दोषियों को कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए।
सूबे की सरकार इस बात को फिलहाल नकार रही है कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में अक्सीजन की कमी से हादसा हुआ। सरकार के इस दावे की सच्चाई की पोल खोलने के लिए ताजा उदाहरण एक यह भी है।
दरअसल आॅक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी ने पिछले साल जुलाई में भी आॅक्सीजन की सप्लाई पैमेंट नहीं होने पर रोक दी थी। फिर भी सरकार सचेत नहीं हुई। आॅक्सीजन कंपनी ने जो असंवेदनहीनता का परिचय दिया है, उसका सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं। इस कृत्य में सरकार, प्रशासन व कंपनी बराबर की भागीदार हैं।
गोरखपुर के जिस अस्पताल बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में अमानवीय घटना घटी है वह सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि में आता है। ताज्जुब इस बात का है कि विगत 9 व 10 अगस्त को खुद सीएम ने इस अस्पताल का औचक निरीक्षण कर स्वास्थ्य व्यवस्था का जायजा लिया था। उन्होंने अस्पताल के प्राचार्य, सीएमओ के अलावा अन्य चिकित्सकों से बात भी की थी। तब उन्हें कहीं कोई चूक नहीं दिखाई दी। बावजूद इसके इतनी घोर किस्म की लापरवाही सामने आई है।
उत्तर प्रदेश के कई जिले इस समय घातक बीमारी इन्सेफेलाइटिस की चपेट में हैं। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री योगी ने इन्सेफेलाइटिस रोग को रोकने के लिए और उसके उन्मूलन के लिए एक अभियान छेड़ रखा है। इस बीमारी से सबसे ज्यादा रोगी उनके गृह जनपद गोरखपुर के ही हैं। आंकड़ों पर गौर करें, तो इस रोग से उत्तर प्रदेश में हर साल सैकड़ों बच्चों की जान जाती है।
योगी ने इस रोग पर काबू पाने के लिए पोलियो अभियान की तरह खत्म करने का प्रण कर रखा है। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि इन्सेफेलाइटिस का उन्मूलन हमारा लक्ष्य है। योगी ने अभियान की सफलता के लिए जागरूकता और जनता की सहभागिता पर जोर दिया था। अभियान राज्य के सबसे बुरी तरह प्रभावित पूर्वी क्षेत्र के 38 जिलों में शुरू किया गया है। क्षेत्र में पिछले चार दशक में इस रोग की वजह से लगभग 40 हजार बच्चों की मौत हो गयी।
आॅक्सीजन की कुंद मौतकाल के आगोश में समाए 60 बच्चों के परिवारों के दु:ख में सभी लोग खड़े हो गए हैं। लोग बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ मांग रहे हैं। शनिवार को सुबह खुले देश के तकरीबन स्कूलों में गोरखपुर के बाल संहार में मारे गए बच्चों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। दिल्ली के कई स्कूलों में शांति अरदास की गई, सभा के दौरान कई बच्चे भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
-रमेश ठाकुर
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