Citizenship Amendment Bill को लेकर बवाल, असम में हंगामा

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असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत | citizenship amendment bill

Edited By Vijay  Sharma

गुवाहाटी (सच कहूँ)। लोकसभा से नागरिकता संशोधन (citizenship amendment bill) बिला पास होने के बाद से असम में जमकर इसका विरोध किया जा रहा है। ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसु) ने मंगलवार को गुवाहाटी में 11 घंटे का बंद बुलाया। राज्य के लोगों का कहना है कि बाहर से आए नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। आसू और बाकी संगठन विधेयक का जमकर विरोध कर रहे हैं। क्षेत्रों में शुरू हुए विरोध के कारण असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की गई।

दरअसल, नार्थ ईस्ट राज्यों में रहने वाले लोगों को अपनी पहचान खोने का डर सता रहा है। क्षेत्र के कई संगठनों ने अपने-अपने स्तर पर बिल का विरोध शुरू किया। हालांकि, नगालैंड इस विरोध में शामिल नहीं हुआ। इसका कारण वहां जारी हॉर्नबिल फेस्टिवल है।

लेफ्ट संगठनों ने 12 घंटे बंद का आह्वान किया

16 लेफ्ट संगठनों ने असम में 12 घंटे बंद का आह्वान किया है। इनमें एसएफआई, डीवायएफआई, एआईडीडब्ल्यूए, एआईएसएफ, एआईएसए और आईपीटीए जैसे संगठन शामिल हैं।गुवाहाटी और डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी ने राज्य में आज होने वाली समस्त परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं।

गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता का मौका

नागरिकता संशोधन बिल 2019 गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता का मौका प्रदान करता है। इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में किसी तरह की धार्मिक बाध्यता का सामना करने वाले लोग आवेदन दे सकते हैं। भारत में पांच साल रहने के बाद उन लोगों को भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। वर्तमान नियमों के अनुसार 11 साल बाद यह नागरिकता दी जा रही थी।

बिल का भारतीय मुस्लिमों से कोई लेना-देना नहीं: शाह

  • सोमवार रात 12.04 बजे लोकसभा में हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 वोट पड़े।
  • बिल पर करीब 14 घंटे तक बहस हुई।
  • विपक्षी दलों ने इस बिल को धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया।
  • गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब में कहा कि यह बिल यातनाओं से मुक्ति का दस्तावेज है।
  • भारतीय मुस्लिमों का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
  • यह बिल केवल 3 देशों से प्रताड़ित होकर भारत आए अल्पसंख्यकों के लिए है।
  • इन देशों में मुस्लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं, क्योंकि वहां का राष्ट्रीय धर्म ही इस्लाम है।

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