मातृ दिवस पर स्पेशल प्रस्तुति: सच कहूं
डबवाली(राजमीत इंन्सा)। मां का स्थान संसार में सबसे ऊंचा है। मां की गोद में सिर रखकर सोने के अलावा कोई भी दूसरा सुख संसार में नहीं है। हम जीवन पथ पर चाहे किसी भी ऊंचाई पर पहुंचे, हमें कभी भी अपने माता-पिता के सहयोग, स्नेह, उनके त्याग बलिदान को कभी नहीं भूलना चाहिए। बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करने में सहायक होती हैं मां,संस्कार की पहली सीढ़ी माता-पिता के सम्मान से ही शुरू होती है। मां अलग अलग रुप में संसार में किरदार निभाती है। चाहे पति धर्म हो जा बच्चों के परवरिश सब कार्य बाखूबी निभाती है
वेदों पुराणो में भी मां को बच्चें का पहला गुरू माना गया है और मां की महत्ता का वर्णन भी प्राचीन काल से ही वेदों पुराणों में किया हुआ है। जबकि मां ही बच्चें को बोलना, चलना फिरना, बोलना, पहनना सिखाती है और बच्चें के बचपन से लेकर ही मां सपने संयोने लग जाती है कि बच्चा पढ़ाई लिखाई कर बडा इनसांन बने।
किसी पंजाबी संगीतकार ने भी मां की महत्वता अपने अलग अंदाज से बयां किया है-
इक मां बोहड दी छाह रब दा ना तीनों इको जेहै
हर साल मई में दूसरे रविवार को मदर्स डे के रूप में मनाया जाता हैं हर बेटा-बेटी इस दिन अपनी माँ को सरप्राइज देकर विश करते हैं। कुछ लोग केक काटकर सेलिब्रेट करते हैं कोई उपहार देता हैं इस महामारी की वजह से पुरे देश में लॉक डाउन किया हुआ है जिसमें बहुत सी मां अपने बच्चों को मिलने को तरस रही है कोई कहीं नही आ सकता ना जा सकता क्योंकि पूरे देश में लॉकडाउन हैं।
हर पल मां को रहती है बच्चों की फिक्र है इसका एक उदाहरण | Mother’s Day 2020
सच कहूं संवादाता से विशेष बातचीत में माता सुरेश रानी पत्नी चंदन दास निवासी कालांवाली ने बताया कि उनके पति एक बिजनेसमैन थे और वह हाउसवाइफ दी और उनके तीन बच्चे थे। जिसमें दो बेटे व एक लड़की थी। घर में रहकर बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अच्छे संस्कार दिए और बच्चों को उच्च मुकाम तक पहुंचाया जो बच्चे आज मानवता भलाई के कार्य में लोगों का सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उनके तीनों बच्चे शादीशुदा है जबकि बड़ा बेटा नितिन कुमार गर्ग आढत का काम करता है और उसे छोटा बेटा डॉक्टर जैकी गर्ग आज लखनऊ में डॉक्टर की सेवाएं दे रहा है और कोविड-19 के आईसीयू के इंचार्ज के रूप में काम कर रहा है वही उनकी पत्नी डॉ श्वेता वह भी इस भयंकर महामारी के चलते कोविड-19 लखनऊ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
मुझे गर्व है अपने बेटे बहू पर,जब तक बेटे बहू से बात ना करूं तो दिल को सुकून नहीं मिलता: सुरेश रानी

मां का रिश्ता एक सबसे अलग होता है बेटा चाहे कितना भी बड़ा हो जाए पर मां के लिए वह बच्चा ही होता है। आज कोरोना महामारी के चलते सारा विश्व त्राहि त्राहि कर रहा है और प्रशासन की ओर से लॉक डाउन के चलते लोगों को घरों में रहने की अपील की जा रही है और कोविड-19 का इलाज करते हुए बहुत से डॉक्टर कोरोनावायरस की चपेट में आ गए हैं। जिसमें ऐसे हालातों में मां का दर्द अलग ही बयां करता है जब तक दिन में दो बार बेटे से बात ना हो तो दिल को सुकून नहीं मिलता चाहे हजारों किलोमीटर दूर होने के चलते ध्यान सारा दिन बेटे और बहू की ओर रहता है। इस लॉक डाउन के चलते बेटे बहू से मिल भी नहीं सकते बस वीडियो कॉन्फ्रेंस से बात होती है और दोनों की शक्ल देख लेती हूं।
पिछले काफी सालों से ड्यूटी लखनऊ में है और साल में एक बार ही मां के पास जाना होता है जब कभी मैं ड्यूटी पर आता तो मां कह देती बेटा रहने दो घर आ जाओ ऐसी नौकरी से तो घर ही अच्छा है पर वही दूसरे साइड में माता जी कहती की बेटा अगर बॉर्डर पर फौजी नहीं लड़ेगा तो और कौन लड़ेगा। माता जी इसी तरह प्रेरित करती रही जिसके चलते हम कभी भी अपने काम से डोले नहीं और अब भी कोविड-19 में ड्यूटी होने पर हमें फक्र है कि इस महामारी में हम लोगों की सेवा कर रहे हैं मां तो मां होती है उसको बयान नहीं किया जा सकता
डॉक्टर जैकी गर्ग














