Nepal: राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के इस्तीफे के बाद नेपाल में अब तक का सबसे बड़ा संवैधानिक संकट

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Nepal: राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के इस्तीफे के बाद नेपाल में अब तक का सबसे बड़ा संवैधानिक संकट

अब कौन देगा अंतरिम सरकार बनाने का निमंत्रण?

डॉ. संदीप सिंहमार। नेपाली प्रधानमंत्री के.पी ओली (KP Sharma Oli) के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति को भी पद छोड़ना पड़ा। राष्ट्रपति के इस्तीफा देने के बाद नेपाल में अब राजनीतिक संकट की स्थिति बन गई है। क्योंकि वर्तमान में नेपाल में न तो नई सरकार का दावा करने वाला नेता है और न ही सरकार बनाने का निमंत्रण देने वाला अर्थात राष्ट्रपति। फिलहाल नेपाली प्रदर्शनकारी काठमांडू के मेयर और रैपर बालेन्द्र शाह जिन्हें बालेन शाह भी कहा जाता है का नाम अंतरिम सरकार के मुखिया अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर चर्चा में आ गया है। Nepal

वर्तमान राजनीतिक संकट और युवा प्रदर्शनकारियों के बीच, बालेन शाह को युवा वर्ग और जनमानस का समर्थन मिल रहा है, खासकर जेनरेशन Z के बीच। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं और पारदर्शिता, जवाबदेही के लिए पहचान बनाई है। हालांकि वे लोकप्रिय हैं और युवाओं के चाहते माने जा रहे हैं, लेकिन नेपाल की पारंपरिक राजनीतिक पार्टियों का संसद में दबदबा अभी भी कायम है। इसलिए बालेन शाह का अंतरिम प्रधानमंत्री बनना पूरी तरह राजनीतिक सहमति पर निर्भर करेगा। उनका प्रॉफाइल यूनिक है – वे स्ट्रक्चरल इंजीनियर, रैपर और मेयर हैं, और उन्हें टाइम मैगजीन की 2023 में टॉप 100 उभरते नेताओं की सूची में भी शामिल किया गया है।

हालांकि उन्होंने भारत को लेकर कभी-कभी विरोधी बयान भी दिए हैं, लेकिन वे पूरी तरह से भारत विरोधी नहीं माने जाते। वर्तमान में बालेन शाह को अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में नामित करने की मांग युवाओं और कुछ जनांतर में उठ रही है, लेकिन यह निर्णायक रूप से तय होगा कि राजनीतिक दल इस पर सहमति देते हैं या नहीं,यह भविष्य के गर्भ में है!

यह है नई सरकार बनने की प्रक्रिया | Nepal

नेपाल में नई सरकार बनने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 76 के तहत होती है। जब प्रधानमंत्री इस्तीफा देते हैं या सरकार गिरती है, तब राष्ट्रपति संसद में मौजूद राजनीतिक दलों को नई सरकार बनाने का दावा पेश करने का मौका देते हैं। पर यहाँ दूसरा सबसे बड़ा संकट यह है कि राष्ट्रपति ने भी इस्तीफा दे दिया है। इसके अनुसार: दो या अधिक राजनीतिक पार्टियाँ संसद में अपनी संख्या बल के आधार पर सरकार बनाने का दावा कर सकती हैं। संसद में कुल सदस्यों की आधे से ज्यादा संख्या अर्थात् बहुमत का समर्थन आवश्यक होता है, जो लगभग 136 सांसद होते हैं। यदि कोई दल या गठबंधन विश्वास मतदान जीत जाता है, तो वह सरकार बनाता है।

यदि बहुमत नहीं बनता, तो सांसदों की संख्या कम करने के लिए इस्तीफे या अन्य विकल्पों के कारण नई कोशिश की जाती है। गठबंधन की जटिलताओं के कारण नई सरकार बनाना कभी-कभी पेचीदा हो सकता है, खासतौर पर जब प्रमुख दलों के बीच मतभेद हों। नई सरकार बनने तक कार्यवाहक सरकार स्थित रह सकती है। इस प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों की भूमिका, भागीदारी, और सत्ता-साझा समझौते महत्वपूर्ण होते हैं। इस बार के हालात में, सरकार बनाने के लिए विभिन्न दलों के बीच गठबंधन, उनके समर्थन और सांसदों की संख्या पर ध्यान रखा जा रहा है। अगर संसद में स्थिर बहुमत नहीं बन पाता, तो राष्ट्रपति नए चुनाव की भी मांग कर सकते हैं।

संवैधानिक ढाँचा चुनौतीपूर्ण

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी प्रधानमंत्री के इस्तीफे के कुछ घंटे बाद अपना इस्तीफा दे दिया है। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, नई सरकार का गठन राष्ट्रपति के निर्देशन में होता है क्योंकि वे संसद का प्रमुख होते हैं और सरकार बनाने के लिए उम्मीदवार को आमंत्रित करते हैं। लेकिन अब राष्ट्रपति के इस्तीफा देने के कारण इस व्यवस्था में अनिश्चितता आ गई है। इस स्थिति में नेपाल की संवैधानिक व्यवस्था और राजनीतिक ढांचा चुनौतीपूर्ण स्थिति में है। सामान्यतः, राष्ट्रपति की आधिकारिक भूमिका निभाने वाला उपराष्ट्रपति या संसद में वरिष्ठतम नेता जब तक नया राष्ट्रपति नहीं चुना जाता, राष्ट्रपति के दायित्वों का निर्वाह करता है।

नया राष्ट्रपति चुने जाने तक, संसद और राजनीतिक दल इस व्यवस्था को संभालेंगे।

नए राष्ट्रपति के चयन के बाद ही वे नई सरकार गठन के लिए प्रधानमंत्री उम्मीदवार को आमंत्रित कर सकेंगे।फिलहाल सरकार का संचालन अस्थायी या कार्यवाहक स्तर पर संभव होगा। देश में राजनीतिक स्थिरता के लिए गठबंधन, वार्ता और समझौते की जरूरत होगी।राष्ट्रपति के इस्तीफे की वजह से नेपाल के नए नेतृत्व और सरकार गठन की प्रक्रिया फिलहाल अस्थायी रूप से अटकी हुई है, और जल्द राजनीतिक समाधान और नया राष्ट्रपति चुनने की आवश्यकता है। ताकि देश को स्थायी सरकार मिल सके।

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