अमन शांति के साथ पाकिस्तान का दूर तक नहीं कोई वास्ता

Aman Shanti, Pakistan

जम्मू-कश्मीर की अपील पर केन्द्र सरकार ने राज्य में रमजान के महीने में गोलीबंदी के आदेश जारी किए हैं। लेकिन जैसे कहा जाता है कि आतंकवादियों की कोई विचारधारा व धर्म नहीं होता, वह तो सिर्फ हिंसा करना ही जानते हैं। सरकार की गोलीबंदी का संकेत अमन शांति व बातचीत को महत्व देना है।

लेकिन पाकिस्तान रेंजर्स ने सरकार की पहल को रद्द करते हुए हिंसा का नंगा नाच जारी रखा व लाईन आॅफ कन्ट्रोल के नजदीक के गांवों पर भी गोलीबारी की, जिसमें आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। सेना बलों का विरोध करने वाले अलगाववादी आज चुप हैं। वह लोग पाकिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि अलगाववादी नेता कश्मीर की आजादी का नहीं बल्कि हिंसा का समर्थन करते हैं।

अगर उनको कश्मीरियों व वादी में अमन-खुशहाली की जरा भी चिंता होती तो वह सरकार की गोलीबंदी की घोषणा के बाद पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलीबारी की निंदा जरूर करते। पाकिस्तान रेंजर्स ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कश्मीर दौरे से एक दिन पहले गोलीबारी कर दर्शा दिया है कि वह (पाकिस्तान) बातचीत में विश्वास नहीं रखता।

पाकिस्तान के दावे पहले भी झूठे साबित होते आए हैं। पाकिस्तान का रवैया हमेशा दोहरा रहा है। एक तरफ अन्तरराष्टय समुदाय के सामने पाकिस्तान, भारत पर बातचीत नहीं करने का आरोप लगाता है वहीं दूसरी तरफ भारत की तरफ से गोलीबंदी घोषित किए जाने के बावजूद लगातार गोलियों की बरसात की जा रही है।

बीते दिनों पाकिस्तान सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने भारत के साथ बातचीत को ही बेहतर तरीका बताया, लेकिन अब भारत की सकारात्मक पहल का जवाब नकारात्मक दिया जा रहा है। बात सिर्फ रमजान तक ही सीमित नहीं बल्कि चिंता इस बात की है कि पाकिस्तान अमन व बातचीत के रास्ते को अपनाने के लिए तैयार ही नहीं है। पाकिस्तान अंतरराष्टय मंचों पर सिर्फ ड्रामेबाजी ही कर रहा है। अच्छी बात यह है कि भारत सरकार ने गोलीबंदी बिना शर्ताें के लागू की है।

सिर्फ हमला होने या नागरिकों की सुरक्षा की सूरत में सेना को कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है। शांति की विचारधारा वाले चंद नेता सकारात्मक मौके का लाभ उठा लेते हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार अपनी विदेश नीति में भारत के विरूद्ध नफरत भर चुकी है कि उनका अमन व खुशहाली के साथ दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा। अब भारत को सीमा की रक्षा के लिए कठोर कदम तो उठाने ही पडेगे।

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