अमेरिका पर भी पड़ रही महंगाई की मार

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महंगाई भारत सहित पूरी दुनिया में एक आम बात है। अमेरिका ने कई पीढ़ियों से महंगाई का दंश नहीं झेला, लेकिन पिछले एक साल में वहां महंगाई की दर लगभग 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। इससे आम नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है। अमेरिकी सरकार को भी जनता के सवालों को झेलना भारी पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि 2022 के मध्यावधि चुनावों में सत्तारूढ़ डेमोक्रेट पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। एक तरफ कोविड के कारण 2.2 करोड़ अमेरिकियों के रोजगार नष्ट हुए हैं और वार्षिक उत्पादन में 30 प्रतिशत की गिरावट आयी है। दूसरी तरफ, बढ़ती महंगाई के चलते जीवन की कठिनाई बढ़ती जा रही है। सवाल है कि अमेरिका महंगाई से कैसे बचता रहा है और कैसे अब महंगाई की चपेट में आ गया है। पेट्रोल में 58 प्रतिशत, रसोई की वस्तुओं की कीमतों में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही रोजमर्रा के उपयोग की लगभग हर वस्तु में महंगाई दर्ज हुई है।

कुछ अमेरिकी अर्थशास्त्रीयों का मानना है कि कोविड के प्रभाव से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए सरकार द्वारा सहायता पैकेज देने की घोषणा हुई, फलस्वरूप मांग में वृद्धि तो हुई, लेकिन पूर्ति बाधित होने से वस्तुओं की कीमतें बढ़ गयीं। महंगाई के कारण मजदूरी दरों में भी वृद्धि हो रही है, जिससे लागत में वृद्धि हुई है। इससे ही महंगाई में तेजी आयी है। वहीं कोविड काल की स्थगित मांग भी अब वापिस आ रही है। कोविड काल में स्थायी आमदनी वाले लोग आमदनी को पूरा खर्च नहीं कर पाये। अब वे पर्यटन, ईंधन, खाद्य पदार्थों, रेस्त्रां आदि पर खर्च बढ़ा रहे हैं। हालांकि, पूर्ति सुधरेगी, तो महंगाई पर काबू पाना संभव हो पायेगा। लेकिन, यह तय है कि महंगाई से जल्द ही कोई राहत नहीं मिलनेवाली है। बढ़ती उपभोक्ता कीमतों के कारण मजदूरी दर में वृद्धि का दबाव बढ़ रहा है।

बढ़ी मजदूरी दर से लागतों में वृद्धि हो रही है और इससे कीमतें और बढ़ेंगी। यानी, अमेरिकी अर्थव्यवस्था में हो रही महंगाई अब जल्दी खत्म होने वाली नहीं है। अमेरिका में कई नीति-निमार्ताओं का कहना है कि वस्तुओं की कमी के चलते विक्रेताओं ने कीमतें बढ़ायी हैं, इसलिए कीमत नियंत्रण से भी महंगाई को रोका जा सकता है। पिछले काफी समय से अमेरिका में मैनुफैक्चरिंग उत्पादन घटता रहा है और अमेरिका में अधिकांश जीडीपी सेवाओं से प्राप्त हो रही है। उसमें भी अमेरिका की जीडीपी में काफी बड़ा हिस्सा अमेरिकी कंपनियों की विदेशों में अर्जित आय है, जिससे अमेरिका को भारी मात्रा में कराधान प्राप्त होता रहा है। लेकिन, पिछले कुछ समय से अमेरिकी कंपनियां विभिन्न तरीकों से इस कराधान से बचने का प्रयास करती रही हैं। अमेरिकी सरकार को भविष्य में भी अपने खर्चों की आपूर्ति के लिए अतिरिक्त मुद्रा के सृजन का सहारा लेना पड़ सकता है, जो और अधिक महंगाई बढ़ाने वाला होगा।

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