Hanumangarh Ethanol Factory Dispute: एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर जांच समिति गठित, संभागीय आयुक्त और जिला कलक्टर भी शामिल

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Hanumangarh Ethanol Factory Dispute: हनुमानगढ़। राजस्थान सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी तहसील अंतर्गत ग्राम राठीखेड़ा के चक पांच आरके में स्थित एथनॉल फैक्ट्री को लेकर उठी आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। यह समिति फैक्ट्री से संभावित भू-जल एवं पर्यावरण प्रदूषण की विस्तृत जांच कर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी। यह आदेश राज्यपाल की अनुमति से जारी किया गया है। विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, यह समिति क्षेत्र में लंबे समय से सामने आ रही शिकायतों, स्थानीय लोगों और किसानों की आशंकाओं के मद्देनजर गठित की गई है। Hanumangarh News

समिति का उद्देश्य यह आकलन करना है कि एथनॉल फैक्ट्री के संचालन से भू-जल स्तर, जल गुणवत्ता और पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है या नहीं। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि फैक्ट्री की ओर से पर्यावरणीय मानकों और स्वीकृत शर्तांे का पालन किया जा रहा है या नहीं। समिति में संभागीय आयुक्त, बीकानेर को अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। वहीं वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के विशेष शासन सचिव को सदस्य सचिव बनाया गया है। समिति के अन्य सदस्यों में जिला कलक्टर हनुमानगढ़, प्रदूषण नियंत्रण मंडल के वरिष्ठ पर्यावरण अभियंता तथा भू-जल विभाग के मुख्य अभियंता को शामिल किया गया है।

विशेषज्ञ अधिकारियों की यह टीम तकनीकी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर जांच करेगी। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि गठित समिति अपनी जांच रिपोर्ट अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राजस्थान सरकार को प्रस्तुत करेगी। समिति का कार्यकाल रिपोर्ट सौंपे जाने तक प्रभावी रहेगा। जांच के दौरान आवश्यकता पड़ने पर स्थल निरीक्षण, जल एवं मिट्टी के नमूनों की जांच तथा संबंधित अभिलेखों का परीक्षण किया जा सकता है।

निष्पक्ष-तकनीकी जांच बाद स्पष्ट होगी स्थिति | Hanumangarh News

गौरतलब है कि क्षेत्र में एथेनॉल फैक्ट्री को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद बना हुआ है। किसान और ग्रामीण फैक्ट्री से भू-जल प्रदूषण और कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका जता रहे हैं। कई संगठनों की ओर से इस मुद्दे को लेकर प्रशासन और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की जा चुकी है। राज्य सरकार के इस कदम को स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लोगों को उम्मीद है कि निष्पक्ष और तकनीकी जांच के बाद स्थिति स्पष्ट होगी और यदि किसी प्रकार की अनियमितता या पर्यावरणीय नुकसान सामने आता है, तो उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।