सेल्यूट! एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, अंधेरे परिवारों में जला दिया दीपक

anti human trafficking unit haryana

anti human trafficking unit haryana | इस साल दीपावली रही मां के नाम, कहीं ढूंढी माँ-बेटी, तो कहीं 3 साल से लापता दिव्यांग बेटा

चंडीगढ़(सच कहूँ ब्यूरो)। क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (anti human trafficking unit haryana) ने इस वर्ष की दिवाली उन परिवारों के लिए खास बनाई है जिनके वर्षों से बिछुड़े को उनके अपनों से मिलवाया है। स्टेट क्राइम ब्रांच के अंतर्गत कार्य करने वाली एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स घर से रास्ता भटक चुके परिवारजनों को उनके घर तक पहुँचाने का काम सकुशल कर रही है। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया ऐसे ही एक केस में आज से 3 साल पहले पुरनी देवी लावारिस हालत में लाडवा से कुरुक्षेत्र मार्ग पर एक निजी आश्रम की टीम को मिली थी।

जानकारी देते हुए बताया की कई बार पूछने की कोशिश की गई लेकिन पुरनी देवी अपना नाम और घर का पता बताने में असमर्थ रही। इसके बाद पुरनी देवी को रेस्क्यू कर हरियाणा के करनाल जिले के एक निजी आश्रम में रखा गया। वहां अब उसे रहने हुए 3 साल से अधिक समय हो गया था। इसी दौरान आश्रम द्वारा उसका नाम भवानी रखा गया था। इसी दौरान कई बार काउंसलिंग की भी कोशिश की गई। इसी बीच आश्रम की टीम ने एएचटीयु यमुनानगर यूनिट को बताया गया जहाँ पर तैनात इंचार्ज एएसआई जगजीत सिंह से संपर्क किया गया। एएसआई जगजीत सिंह ने मामले को समझते हुए पुरनी देवी को पारिवारिक माहौल देकर 4 बार काउंसिलिंग की जिसमें भरोसा होने पर अपना नाम और गांव पकरिया बताया, जिसको आधार बना कर क्राइम ब्रांच ने बिहार के प्रशासन से सम्पर्क किया। जहाँ पूर्णिया जिले में परिवार को ढूंढ निकाला गया।

पति बोला मैंने ढूंढा था आसाम तक, मुझे लगा नहीं होगी जिंदा

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि पति जब पत्नी को लेने आया तो उसने बताया कि उन्होंने तो आस ही छोड़ दी थी। उसे लगता था कि शायद अब उसकी पत्नी जिंदा भी नहीं बची होगी। उसने अपनी पत्नी को आसाम तक में ढूंढा लेकिन उसकी पत्नी का कोई पता नहीं चला। अब 3 साल के बाद हरियाणा पुलिस की मेहनत रंग लाई और एएचटीयु ने बिहार से परिवार को ढूंढ निकाला।

पुरनी देवी को लेने उसका पति और दामाद आये थे। परिवार को ढूंढ़ने के बाद वीडियो कॉल से जब परिवार से बात करवाई गई तो पुरनी देवी जो की लगभग अपने परिवार को भूल गई थी, वीडियो पर अपने बच्चों को देख रोने लगी और कहने लगी कि आज आश्रम में प्रसाद बटवाउंगी। पुरनी देवी 6 बच्चो की मां है और मानसिक रूप से दिव्यांग भी है। इस दिवाली, क्राइम ब्रांच ने पति सत्तन महतो गांव पकारिया जिला पूर्णिया बिहार को बुलाकर पुरनी देवी को उन्हें सौंप कर परिवार को दिवाली का तोहफा दिया है।

गोद में एक माह की बेटी को ले भटक गई थी उषा देवी, परिवार से मिलवाया

एएचटीयू यमुनानगर ने पिछले 7 महीने से गुमशुदा उषा देवी व उसकी 8 माह की बेटी के परिवार को यूपी ढूंढ कर मिलवाया है। एएसआई जगजीत सिंह ने केस पर काम करते हुए उषा देवी की काउंसलिंग की तो उसने अपने गाँव का नाम बताया। उत्तर प्रदेश के गाँव बिदकी जिला फतेहपुर में सम्पर्क कर परिवार को ढूंढा गया। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि उषा देवी भटक कर हरियाणा के करनाल रेलवे स्टेशन पर आ गई थी और वहां से जिला पुलिस ने रेस्क्यू कर करनाल के निजी आश्रम में पहुंचा दिया। उषा देवी मानसिक दिव्यांग भी है।

अपने गाँव के नाम के अलावा और कुछ नहीं बता सकती थी। एएचटीयू यमुनानागर ने मेहनत कर बिंदकी जिला, फतेहपुर, उत्तरप्रदेश में उषा देवी के पति बीरेंद्र को ढूंढ कर आॅनलाइन बातचीत करवाई गई जहाँ उसने अपनी पति को तुरंत पहचान लिया। सभी तरह की कागजी कार्रवाई के बाद उषा देवी और 8 माह की बेटी को उसके पति को सौंप दिया गया।

गुमशुदा लड़का सिर्फ बोल सकता था अपना नाम, दिवाली पर वीडियो कॉल

पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि एएचटीयू पंचकूला यूनिट ने बिहार में मधुबनी के निजी आश्रम में रह रहे 3 साल से नाबालिग 12 वर्षीय बच्चे के परिवार को ढूंढ निकाला। जानकारी देते हुआ बताया कि बच्चा मधुबनी बिहार के बाल कल्याण गृह में पिछले 3 वर्ष से रह रहा था। बाल कल्याण गृह के अधीक्षक ने कई बार नाबालिग बच्चे का आधार कार्ड बनवाना चाहा लेकिन हर बार आधार कार्ड रिजेक्ट हो जाता था। इसी दौरान पंचकूला क्राइम ब्रांच की पंचकूला एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में तैनात एएसआई राजेश कुमार से संपर्क किया गया।

एएसआई राजेश कुमार को बताया गया की बच्चे के आधार कार्ड बार बार रिजेक्ट हो रहा है। जब इस बारे आगे पता लगाया तो जानकारी प्राप्त हुई की बच्चे का आधार कार्ड पहले ही बना हुआ है। उसी आधार पर कार्य करते हुए बच्चे के असल आधार कार्ड से राजेश कुमार ने गुमशुदा बच्चे के गाँव का पता ढूंढ निकाला। पुलिस ने इंटरनेट द्वारा बच्चे के गाँव का फोन नंबर ढूंढा और वीडियो कॉल से दिवाली वाले दिन बच्चे के परिवार से बात करवाई गई।

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