रावी नदी के तटबंधन टूटने से स्कूल परिसर में भरा 4 फुट तक पानी
- बचाव कार्य में ग्रामीणों ने प्रशासन का किया सहयोग
गुरदासपुर (सच कहूँ न्यूज)। Flood in Punjab: पंजाब के गुरदासपुर जिले के दाबुरी गांव में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में बाढ़ के कारण लगभग 400 छात्र और 40 कर्मचारी फंस गए। रावी नदी के तटबंध टूटने से बाढ़ का पानी स्कूल परिसर में घुस गया, जिससे स्कूल का भूतल चार फुट से अधिक पानी में डूब गया। सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने तत्काल कार्रवाई करते हुए बचाव अभियान शुरू किया। इस अभियान में स्थानीय ग्रामीणों ने भी महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। Punjab Flood
रावी नदी का बाढ़ का पानी तटबंधों को तोड़कर नौ किलोमीटर अंदर तक पहुंच गया, जिससे दर्जनों गांव जलमग्न हो गए और उनकी फसलें तबाह हो गईं। जवाहर नवोदय विद्यालय, जो गुरदासपुर-दोरांगला रोड पर स्थित है, भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया। स्कूल परिसर में 3-4 फुट पानी भर गया, जिसके कारण छात्रों को पहली मंजिल पर ले जाया गया। जिला प्रशासन ने बाढ़ की आशंका को देखते हुए स्कूल बंद करने के निर्देश दिए थे, लेकिन स्कूल प्रबंधन ने इन निदेर्शों की अनदेखी की।
जब दाबुरी के ग्रामीणों को पता चला कि जिला प्रशासन के अधिकारी मुख्यमंत्री के दौरे की व्यस्तताओं के कारण देरी से पहुंच सकते हैं, तो उन्होंने स्वयं पहल की। एक स्थानीय धार्मिक स्थल से घोषणा कर ग्रामीणों ने ट्रैक्टर-ट्रॉली रखने वाले हर व्यक्ति से मदद की अपील की। मात्र 30 मिनट में आधा दर्जन ट्रैक्टर-ट्रॉली स्कूल परिसर पहुंच गईं। ग्रामीणों ने अपने ट्रैक्टरों को 3-4 फुट पानी में चलाकर स्कूल भवन के दरवाजे तक पहुंचाया और बच्चों को सुरक्षित निकालने में मदद की। Punjab Flood
सेना और एनडीआरएफ की टीमें स्कूल पहुंचीं और दो-दो नावों के साथ बचाव कार्य शुरू किया। छात्रों को धीरे-धीरे स्कूल परिसर से बाहर निकाला गया और नावों के जरिए लखनपाल गांव और गुरदासपुर पहुंचाया गया। जिला उपायुक्त दलविंदरजीत सिंह ने बताया, हम बच्चों को इन दोनों स्थानों पर उनके अभिभावकों को सौंप देंगे। जवाहर नवोदय विद्यालय एक आवासीय स्कूल है, और जिला प्रशासन के स्पष्ट निदेर्शों के बावजूद इसे खाली नहीं कराया गया। एक अभिभावक ने सवाल उठाया, जब जिला प्रशासन को तीन दिन पहले ही बाढ़ की चेतावनी मिल चुकी थी, तो बच्चों को पहले घर क्यों नहीं भेजा गया?
जांच के आदेश, होगी कार्रवाई: डीसी
जिला उपायुक्त ने बताया कि स्कूल प्रबंधन की लापरवाही की जांच की जाएगी, और जांच रिपोर्ट मिलने के बाद दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि वर्तमान जल स्तर 1988 की विनाशकारी बाढ़ से भी अधिक है। स्कूल एक बाढ़-प्रवण क्षेत्र में स्थित है, जहां लगभग हर साल जलभराव की समस्या होती है।
बाढ़ के पानी में बहने से युवक की मौत की आशंका | Punjab Flood
होशियारपुर। Hoshiarpur News: पंजाब में टांडा के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) परमप्रीत सिंह ने बुधवार को बताया कि सुबह एक ग्रामीण ब्यास नदी की तेज धारा में बह गया। मृतक की पहचान राड़ा गांव के जरनैल सिंह के रूप में हुई है, जो बाढ़ के पानी में डूबे अपने खेतों में गया था। दुर्भाग्य से, वह बह गया। उसे ढूंढने के लिए एक बचाव दल तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने भी बार-बार चेतावनी जारी कर लोगों से बाढ़ वाली नदी या अपने डूबे हुए खेतों की ओर जाने से मना किया है।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार सुबह पोंग बांध का जलस्तर 1,393 फुट दर्ज किया गया और इसमें लगभग 1.62 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ। शाह नहर बैराज में लगभग 94,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे निचले इलाकों के गांवों को अलर्ट पर रखा गया है। टांडा उपमंडल में गंधोवाल, राड़ा मंड, तल्ही, सलेमपुर, अब्दुल्लापुर, मेवा मिआनी और फत्ता कुल्ला के साथ-साथ मुकेरियां उपमंडल में मोतला, हलेर जनार्दन, सनियाल, कोलियान और मेहताबपुर में धान, गन्ना और मक्का की खड़ी फसलें जलमग्न रहीं।
सीएम मान ने राहत कार्य के लिए दिया अपना हेलिकॉप्टर
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को गुरदासपुर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि यहां आकर पता चला है कि कई गांवों में लोग फंसे हुए हैं। लोग घरों की छतों पर बैठे हैं और उन्हें राशन भी नहीं मिल पा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, लोगों ने हमें 92 सीटें देकर हेलिकॉप्टर दिया था। अब मैं वही हेलिकॉप्टर लोगों के हवाले कर रहा हूं। इसे यहीं पर छोड़ रहा हूं, ताकि इसके माध्यम से लोगों तक दूध, राशन और पानी पहुंचाया जा सके। Punjab Flood
इसके लिए डीसी साहब को निर्देश दे दिये हैं। मैं खुद कार से वापस चला जाऊंगा। भारतीय सेना ने माधोपुर हेडवर्क्स में फंसे नागरिकों और केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) कर्मियों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान सेना ने हेलीकॉप्टर को एक छत पर उतारा। सुबह तड़के यह बचाव अभियान चलाया गया। हेलीकॉप्टर को उस इमारत पर उतारा गया जो पहले से ही ढहने की कगार पर थी। अपनी जान की परवाह किये बिना, सैनिकों ने सुनिश्चित किया कि हर एक फंसे हुए व्यक्ति को सुरक्षित बाहर निकाला जाये। पठानकोट के गांव सिंबली में चारों ओर पानी भर गया है।
धान, गन्ने और मक्की की फसल डूबी गई है और बिजली भी बंद है। हालात का जायजा लेने के लिए बुधवार को कैबिनेट मंत्री कटारूचक पहुंचे। उन्होंने महिलाओं से बातचीत की। महिलाओं ने बताया कि 1988 के बाद अब इस तरह के हालात बने हैं। गुरदासपुर के मकोड़ा पतन में रावी नदी के पार बसे सात गांवों में लगभग 200 लोग फंसे हुए हैं। पुलिस के साथ एनडीआरएफ एसडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। यहां से 25 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।
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