दुनियाभर के 30 करोड़ बच्चे जहरीले आबोहवा में जीने को मजबूर

न्यूयॉर्क: दुनिया की आबोहवा दिन पर दिन इतनी प्रदूषित होते जा रही है कि अब यह नन्हें मासूम से बच्चों का भी परवाह नहीं कर रहा है। इस बढ़ती वायु प्रदूषण से इन नौनिहालों का जीवन खतरे में पड़ने लगा है।
यूनिसेफ के एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर के लगभग 30 करोड़ बच्चे जहरीले हवा के साए में अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं। साथ ही यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि विश्व का हर सातवां बच्चा विषैले हवा में सांस ले रहा है और यह वायु अंतरराष्ट्रीय मानकों से छह गुना अधिक दूषित है। रिपोर्ट के मुताबिक, बाहर और भीतर के वायु के प्रदूषित होने की वजह से सांस लेेने की और निमोनिया जैसी जानलेवा रोग होने का खतरा बढ़ जाता है और पांच साल से कम उम्र के 10 बच्चों में से एक की मौत की वजह ऐसे रोग ही होते है। गौरतबल हो कि इस वायु प्रदूषण से हर साल 600,000 बच्चों की मौत हो जाती है जो 5 साल से कम उम्र के होते हैं। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय की गई वायु गुणवता के मानकों से नीचे लगभग 62 करोड़ बच्चे अपना जीवन जी रहे हैं।
उसके बाद 52 करोड़ बच्चे अफ्रीका में और पश्चिमी एशिया एंव प्रशांत क्षेत्र के प्रदूषित इलाकों में रहने वाले बच्चों की संख्या लगभग 45 करोड़ है। बात अगर भारत की करें तो वैश्विक वायु प्रदूषण रिपोर्ट के मुताबिक यहां सबसे अधिक वायु प्रदूषण उत्तर भारत में पाया गया है। यहां के दूषित वायु में फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाला पीएम 2.5 कणों की मात्रा सामान्य स्तर के मुकाबले 10 गुणा से ऊपर जा पहुंची है। और ज्यादातर क्षेत्रों में इसका स्तर समान्य के मुकाबले 8 से 12 गुणा तक पार कर चुका है।

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