Rural Economy India: मुंबई। यदि इस वर्ष मानसून सामान्य से बेहतर रहता है, तो इसका सीधा लाभ कृषि आधारित क्षेत्रों को मिल सकता है। एक हालिया आर्थिक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में ट्रैक्टर, कृषि-इनपुट, ग्रामीण एनबीएफसी तथा उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं (कंज्यूमर ड्यूरेबल्स) जैसे क्षेत्रों की आय में 10 से 15 प्रतिशत तक की सालाना वृद्धि देखने को मिल सकती है। Agriculture Sector News
स्मॉलकेस प्रबंधन संस्था ‘गोलफाई’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि अनुकूल मानसून से न केवल फसलों की अच्छी पैदावार संभव होगी, बल्कि इससे खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर भी नियंत्रण बना रहेगा। इसी आधार पर यह अनुमान लगाया गया है कि आगामी 6 जून को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट को 25 आधार अंकों की कटौती के साथ 5.75 प्रतिशत तक लाया जा सकता है।
आर्थिक संकेतक दे रहे हैं सकारात्मक संकेत | Agriculture Sector News
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि यदि महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे बनी रहती है, तो अगस्त 2025 में आयोजित एमपीसी बैठक में रेपो रेट को और घटाकर 5.5 प्रतिशत किया जा सकता है। इससे आवास, ऑटोमोबाइल और एनबीएफसी जैसे ब्याज दरों के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों को अतिरिक्त गति मिलने की संभावना है।
गोलफाई के संस्थापक और स्मॉलकेस प्रबंधक रॉबिन आर्य ने कहा, “भारत में 2025 एक विशिष्ट अवसर लेकर आया है — समय से पहले और औसत से अधिक वर्षा की संभावना है, वहीं चुनावों के स्पष्ट परिणामों ने नीति निर्माण में स्थिरता की नींव रख दी है।” उनका यह भी मानना है कि सेक्टर्स में रोटेशन चल रहा है और सहायक मौद्रिक नीतियों की उम्मीद से ग्रामीण-केन्द्रित और ब्याज दर-संवेदनशील क्षेत्रों में आने वाली तिमाहियों में बेहतर प्रदर्शन की संभावना है।
खाद्य महंगाई में राहत, बाजार से उम्मीद | Agriculture Sector News
रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर 3.16 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि खाद्य महंगाई केवल 1.78 प्रतिशत रही, जो कि कई वर्षों में सबसे निम्न स्तर है। इससे यह संकेत मिलता है कि अच्छे मानसून का असर पहले से ही देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि यदि उपभोग में वृद्धि, महंगाई में गिरावट, और ब्याज दरों में कटौती का रुझान जारी रहता है, तो आगामी दो तिमाहियों में निफ्टी में 6 से 8 प्रतिशत तक का रिटर्न संभव है। इतिहास के आधार पर देखा जाए तो, सामान्य मानसून से ग्रामीण आय में औसतन 5 से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है, जिससे खपत आधारित क्षेत्रों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।