नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। New Delhi: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में अपनी उस छिपी मंशा का इजहार किया है कि कांग्रेस अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षण हटाकर मुसलमानों को देना चाहती है। भाजपा के आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, ‘राहुल गांधी ने अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत करते हुये यह स्पष्ट कर दिया कि वह अंतत: ‘आरक्षण खत्म’ करेंगे।
इससे पता चलता है कि राहुल गांधी की जाति जनगणना तथा पिछड़ों और हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने की बात सिर्फ एक दिखावा है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि नेहरू गांधी परिवार ने आरक्षण को कमजोर किया है या सामाजिक रूप से वंचित लोगों के लिए सकारात्मक कार्यों को अपमानित किया है। यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी तक की महत्वपूर्ण घटनाओं का कालक्रम है, जो एससी, एसटी और ओबीसी के प्रति उनके और कांग्रेस के तिरस्कार को सामने लाता है। New Delhi
मालवीय ने कहा कि श्री राजीव गांधी ने 1990 में मंडल आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था और लोकसभा में ओबीसी के लिये आरक्षण का विरोध किया था। उन्होंने छह सितंबर, 1990 को लोकसभा में अपने भाषण में कहा था -‘कांग्रेस ‘सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों’ की हरसंभव सहायता के पक्ष में है। लेकिन हम एसईबीसी के भीतर एक विशेष समूह द्वारा ऐसे उपायों को अपनाने के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजीव गांधी आरक्षण उम्मीदवारों को बुद्धू भी कहते थे। New Delhi
भाजपा आईटी प्रमुख ने आरक्षण पर श्रीमती इंदिरा गांधी के रुख पर टिप्पणी करते हुये कहा कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने आरक्षण के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। सुश्री नीरजा चौधरी की किताब ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ के एक अंश से पता चलता है कि आरक्षण के संबंध में मंडल आयोग पर ह्यएक्शन टेकन रिपोर्टह्ण के लिये भी इंदिरा गांधी ने अपने कानून मंत्री शिव शंकर से कहा था, -‘ऐसे एटीआर तैयार करो कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे। उन्होंने मंडल आयोग की रिपोर्ट को वस्तुत: अस्पष्ट कर दिया था।
मालवीय ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के वर्ष 1947 से 1964 के बीच मुख्यमंत्रियों को लिखे गये पत्रों को उद्धृत करते हुए लिखा, ‘मैंने ऊपर दक्षता और हमारी पारंपरिक लीक से बाहर निकलने का उल्लेख किया है। इसके लिये हमें इस जाति या उस समूह को दिये जाने वाले आरक्षण और विशेष विशेषाधिकारों की पुरानी आदत से बाहर निकलना जरूरी है। राष्ट्रीय एकता पर विचार करने के लिये हाल ही में हमारी यहां जो बैठक हुई, जिसमें मुख्यमंत्री मौजूद थे, उसमें यह तय किया गया कि मदद आर्थिक आधार पर दी जानी चाहिये, न कि जाति के आधार पर। New Delhi
यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मदद के संबंध में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं। वे मदद के पात्र हैं, लेकिन फिर भी, मैं किसी भी प्रकार के आरक्षण को नापसंद करता हूं, विशेषकर सेवा में। मैं ऐसी किसी भी चीज के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं, जो अक्षमता और दोयम दर्जे के मानकों की ओर ले जाती है। मैं चाहता हूं कि मेरा देश हर चीज में प्रथम श्रेणी का देश बने। जिस क्षण हम दोयम दर्जे को प्रोत्साहित करते हैं, हम खो जाते हैं। New Delhi
उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने कहा था कि किसी पिछड़े समूह की मदद करने का एकमात्र वास्तविक तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर देना है। इसमें तकनीकी शिक्षा भी शामिल है, जो लगातार महत्वपूर्ण होती जा रही है। बाकी सब कुछ किसी न किसी प्रकार की बैसाखी का प्रावधान है, जो शरीर की ताकत या स्वास्थ्य में वृद्धि नहीं करता है। यदि हम सांप्रदायिक और जातिगत आधार पर आरक्षण की व्यवस्था करते हैं, तो हम प्रतिभाशाली और सक्षम लोगों को कुचल देते हैं और दूसरे दर्जे या तीसरे दर्जे के बने रह जाते हैं।
मालवीय ने पंडित नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा, ‘मुझे यह जानकर दुख हुआ कि सांप्रदायिक विचार के आधार पर आरक्षण का यह व्यवसाय कितना आगे बढ़ गया है। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि पदोन्नति भी कभी-कभी सांप्रदायिक और जातिगत विचारों पर आधारित होती है। इस रास्ते में न केवल मूर्खता है, बल्कि आपदा भी है। आइये पिछड़े समूहों की हर तरह से मदद करें, लेकिन दक्षता की कीमत पर कभी नहीं। हम अपने सार्वजनिक क्षेत्र या वास्तव में किसी भी क्षेत्र को दोयम दर्जे के लोगों के साथ कैसे खड़ा करेंगे? उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस एससी, एसटी, ओबीसी के लिये आरक्षण हटाकर मुसलमानों को दे देगी, जब तक कि हम उन्हें निरर्थक न बना दें। नेहरू-गांधी परिवार का इतिहास आरक्षण विरोधी स्वरों से भरा है। New Delhi
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