भारत की जूनियर हॉकी टीम ने ठीक पन्द्रह वर्ष बाद एक बार फिर भारत को हॉकी का शिरोमणि बना दिया है। इन किशोरों ने साबित कर दिया है कि भारत के राष्ट्रीय खेल के दिन अभी भी बहुत अच्छे हैं लेकिन हॉकी के बाहर, राजनीतिक स्तर पर, प्रशासनिक स्तर पर भारतीय हॉकी को अभी भी वह सम्मान नहीं दे रहे जो क्रिकेट को मिला हुआ है। आजादी से पहले दशकों व बाद के तीन दशक तक दुनिया भर में भारतीय हॉकी अजेय रही। अभी भारत ने बेल्जियम को हराया है। इस खेल में भारत के जूनियर खिलाड़ियों ने यहां पहले हाफ में आक्रामक रूख अपनाया तो बाद के हाफ में वह सुरक्षात्मक खेले। अफसोस देश में कहीं भी इन युवाओं की जीत पर पटाखे नहीं फूटे जबकि इन्होंने भारत को विश्व विजेता बनाया है। बस देशवासियों की यही उदासनीता है, जो भारत के राष्ट्रीय खेल का घात किए हुए है। कुश्ती, कबड्डी में अवश्य थोड़ा सुधार होने लगा है चूंकि इन खेलों के लिए प्रीमियर लीग व राज्य सरकारों के दिलचस्पी लेने के चलते धीरे-धीरे खेल अपना विकास करने लगे हैं। हॉकी प्रशासनिक व खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर पिछल्ले सालों में बुरी तरह विवादों में घिरी रही, हालांकि उन विवादों की एकमात्र वजह भारतीय खेल संघों में फैली भ्रष्टाचार की बीमारी ही थी जिससे हॉकी भी अछूती नहीं है। केन्द्र व वह राज्य सरकारें यहां से जूनियर हॉकी टीम के खिलाड़ी आए हैं अब उनका दायित्व है कि वह हॉकी के इस विश्वकप की बात देश के हर युवा तक लेकर जाएं। भारत के हर परिवार को वह जीत की इस खुशी में शामिल करें। ताकि भारतीय परिवार अपने बच्चों में भी भावी खिलाड़ी देख सकें। यह इसलिए जरूरी है कि जब किसी जीत का सम्मान नहीं होता तब वह जीत हार से भी ज्यादा चुभती है। भारत के ये जूनियर आज भले ही जूनियर हैं, लेकिन अगले दो-चार साल में ये सीनियर होंगे तब यदि इनका आज का हुनर और निखेरगा, तो भारत का रूख कई विश्व कप करेंगे। देश में शिक्षा के समानांतर ही खेल ढांचे का विकास तेजी से किए जाने की आवश्यकता है। अभी भारतीय जिला व ब्लॉक एवं गाँव खेलों के विकास के लिए बहुत पीछे चल रहे हैं। देश में खेलों के प्रशिक्षकों की कोई कमी नहीं है। आज देश के पास हर खेल के हजारों प्रशिक्षक हैं परंतु जब तक इन प्रशिक्षकों को नियुक्त नहीं किया जाएगा उन्हें पूरा ढांचा नहीं दिया जाएगा तब तक सब व्यर्थ है। आमजन को भी चाहिए कि वह सरकार से अपने अपने क्षेत्र के लिए हस्पताल मांगने से पहले अच्छे खेल संस्थान मांगे। इससे यहां देश का स्वास्थ्य मजबूत होगा, वहीं देश हर खेल में विश्व विजेता भी बनेगा।
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