कार्टून कला और राजनीति

Lok Sabha Election

पंजाब विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टियों में एक दूसरे को पछाड़ने की कशमकश जारी है। रैलियों पर पाबंदी होने के बावजूद नेता एक-दूसरों की खिंचाई करने में लगे हुए हैं। कोई नेता सुबह नाश्ता किसी ओर पार्टी में और शाम को खाना किसी ओर पार्टी के साथ खा रहा है। राजनीति के इस दौर में कार्टून कलाकार भी अपनी कला दिखा रहे हैं और सोशल मीडिया पर पार्टियों की रणनीति पर जमकर तीखे व्यंग्य कर रहे हैं। एक कार्टून काफी चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें नेता अपने चालक को कह रहा है कि पार्टी कार्यालय चलो, चालक पूछता है, ‘जी कौन सी पार्टी के’। यह व्यंग्य मौजूदा राजनीति की वास्तविक्ता है। नई पार्टी में शामिल होने के बाद किसी भी नेता की कोई गारंटी नहीं कि वो नई पार्टी में कितने दिन टिकेगा। ऐसा इसीलिए हो रहा है जब उन्हें टिकट नहीं मिलती तब वो त्याग-पत्र देकर नई पार्टी से जुड़ जाता है। पहले की पार्टी के नेता भरोसा देने लगते हैं तो वो वापिसी भी कर लेता है।

कई नेता तो ऐसे हैं विधायक बनने के बावजूद इस लोभ में पार्टी छोड़ देते हैं कि उसे सरकार बनाने पर मंत्री बनाया जाएगा। भले ही कार्टून कलाकार अपनी कला पेश करने में माहिर हैं लेकिन अब नेता लोग कार्टूनिस्टों को भी फेल कर रहे हैं। राजनीति की हालत ऐसी है कि पता नहीं लग पा रहा कि राजनीति कौन सी है और कार्टून कौन सा है। नेताओं के लिए मुद्दों की अहमियत नहीं रह गई, चुनाव मैनीफेस्टो यहां पार्टियों को याद तक भी नहीं। इसका सीधा सा अर्थ है कि राजनीति में गंभीरता, मुद्दों के प्रति वचनबद्धता ढूंढने पर भी नहीं मिल रही। विरोधी पार्टी सत्तापक्ष पर चुनावों में धक्केशाही के पुराने रटे-रटाए आरोप तो लगा रही है लेकिन वर्तमान समय में सरकार की नाकामी की तरफ कोई ध्यान नहीं। बयानबाजी चुनावों तक सीमित रह गई।

रोजाना बैंक डकैतियां, लूटपाट, हत्याएं, गैंगवार जैसी घटनाएं घट रही हैं। किसी एक भी घटना का संज्ञान विपक्षी दल नहीं ले रहा। ऐसा लगता है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए कानून व्यवस्था कोई मुद्दा ही न हो। अमृतसर, लुधियाना जैसे शहरों में एक दिन में दो डकैतियां हो गई, फिर भी विरोधी पार्टियां इन घटनाओं को लेकर सरकार पर सवाल नहीं उठा रहीं। विपक्ष के लिए किसी नेता पर मामला दर्ज होना, आयकर विभाग की छापेमारी ही बड़ा मुद्दा है। राजनीति को अपने-अपने दल के हितों तक ही सीमित कर लेना घटिया राजनीति का प्रमाण है। राजनीति लोगों की सेवा के लिए है न कि केवल सत्ता प्राप्त करने का जरिया।

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