कोरोना महामारी से बढ़ी चुनौतियां

coronavirus-cases sachkahoon

विगत दो सालों से दुनिया महामारी का दंश झेल रही है। भारत एक बड़ी आबादी वाला देश होने के कारण इस कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से चैतरफा संकटों से घिरा हुआ है। देश में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक व राजनीतिक संकटों ने यहां के नागरिकों को भविष्य के प्रति आशंकित कर रखा है। अभी भी महामारी का खतरा गया नहीं है और स्वास्थ्य की कई चुनौतियां लोगों के जीवन को प्रभावित किए हुए हैं। इसी पृष्ठभूमि में महज कुछ ही दिनों बाद देश की वित्त मंत्री वर्ष 2022-23 का आम बजट पेश करने वाली है। आने वाले बजट में देश के विभिन्न तबके और क्षेत्र की अपनी-अपनी उम्मीदें हैं, लेकिन मौजूदा दौर में स्वास्थ्य का क्षेत्र सबसे अहम है और यह समय का तकाजा भी है कि बजट में स्वास्थ्य के विषय को विशेष क्षेत्र के रूप में चिन्हित कर गम्भीरता से काम किया जाए। स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े संगठन और कम्पनियों की मांग है कि स्वास्थ्य का बजट बढ़े और सरकार स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करे।

चर्चा है कि सरकार आगामी बजट में स्वास्थ्य पर आबंटन को 40-50 फीसदी तक बढ़ा सकती है। विगत दो वर्षों से देश में कोरोना वायरस के आतंक के दौरान सबने देखा कि सबसे बुरी हालत मेहनतकश, गरीब लोगों की थी। सरकारी अस्पताल लगभग नकारा थे। कुछ अपवादों को छोड़ दें तो 85 फीसदी अस्पताल और उपचार केन्द्र धन के अभाव में महज ढाँचे के रूप में खड़े हैं। कोरोना की दूसरी लहर में हुई बड़े पैमाने पर मौतों का तो ठीक से आंकड़ा भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह तो आम लोगों तथा मीडिया को भी पता है कि कोरोना की दूसरी लहर में लाखों लोगों के मौत का आंकड़ा सरकारी रजिस्टर में दर्ज नहीं है। भविष्य के स्वास्थ्य चुनौतियों से लड़ने के लिये चिकित्सा के क्षेत्र में बजट बढ़ाने के साथ-साथ ढांचे में आमूल-चूल परिवर्तन करने की भी जरूरत है। सरकार यदि निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान दे तो स्थिति बेहतर हो सकती है।

फौरी तौर पर ध्यान देने योग्य बिन्दु निम्नलिखित हो सकते हैं। सरकारी अस्पतालों की क्षमता को बढ़ाना, डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाना, टीकाकरण को मुफ्त उपलब्ध कराना, जेनेरिक दवाओं के दुकान प्रखंड स्तर पर खोलना, सरकार द्वारा सभी नागरिकों का स्वास्थ्य बीमा, अस्पतालों को चैरिटेबल संस्था के दायरे में लाया जाए, आदि प्रावधानों पर सरकार देश की स्वास्थ्य व चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत कर सकती है। अब तो बीमा क्षेत्र भी होमियोपैथी एवं आयुर्वेदिक उपचार के लिये सुविधाएं देने को तत्पर हैं। यदि सरकार बजट में होमियोपैथी व आयुर्वेदिक अनुसंधान पर राशि आबंटित कर वैज्ञानिकों को प्रेरित करे तो स्वास्थ्य क्षेत्र में काफी प्रगति देखी जा सकती है। महामारी की चुनौती के दौर में आगामी बजट का स्वास्थ्य पर उदार नजरिया एक आशा का संचार कर सकता है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।