‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने अभी-अभी किया ट्वीट, जल्दी पढ़ें…

Honeypreet Insan

सरसा। ‘रूह दी’ हनीप्रीत इन्सां ने पूर्व प्रधानमंत्री Chaudhary Charan Singh जी की जयंती के अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धाजंलि अर्पित की और उन्हें नमन किया। रूह दी ने ट्वीट कर लिखा, ‘ देश के सभी अन्नदाताओं को #किसानदिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं। हमारे किसान आॅर्गेनिक खेती और आधुनिक तकनीकों से ओर आगे बढ़ें व समृद्धि प्राप्त करें। किसानों के सच्चे हितैषी, स्वर्गीय पूर्व प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जयंती ।

दत्तात्रेय की नरसिम्हा राव, चरण सिंह को श्रद्धांजलि| Chaudhary Charan Singh

हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शुक्रवार को यहां राजभवन में पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव की पुण्यतिथि तथा पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह जी की जयंती अवसर पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें नमन किया। दिवंगत चरण सिंह की जयंती राष्ट्रीय किसान दिवस के रूप में मनाई जाती है।

उन्होंने किसानों और प्रदेशवासियों को राष्ट्रीय किसान दिवस की भी बधाई दी। उन्होंने चरण सिंह को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि वह एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखर वक्ता और किसान हितैषी नेता थे। उन्होंने किसानों तथा गरीबों के कल्याण के लिए संघर्ष किया। उन्होंने दिवंगत नरसिम्हा राव जी को भी श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि वह ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों के निमार्ता थे, जिन्होंने देश के सम्पूर्ण विकास की गति को तेज किया। वह भारतीय अर्थव्यवस्था की एक महान समझ रखने वाले एक बौद्धिक राजनेता थे।

चरण सिंह का जन्म

Chaudhary Charan Singh Birthday special sach kahoon

चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार मे हुआ था। स्वाधीनता के समय उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। इस दौरान उन्होंने बरेली कि जेल से दो डायरी रूपी किताब भी लिखी। स्वतन्त्रता के पश्चात् वह राम मनोहर लोहिया के ग्रामीण सुधार आन्दोलन में लग गए।

बाबूगढ़ छावनी के निकट नूरपुर गांव, तहसील हापुड़, जनपद गाजियाबाद, कमिश्नरी मेरठ में काली मिट्टी के अनगढ़ और फूस के छप्पर वाली मढ़ैया में 23 दिसम्बर,1902 को आपका जन्म हुआ। चौधरी चरण सिंह के पिता चौधरी मीर सिंह ने अपने नैतिक मूल्यों को विरासत में चरण सिंह को सौंपा था।

कानून की शिक्षा | Chaudhary Charan Singh

चरण सिंह के जन्म के 6 वर्ष बाद चौधरी मीर सिंह सपरिवार नूरपुर से जानी खुर्द के पास भूपगढी आकर बस गये थे। यहीं के परिवेश में चौधरी चरण सिंह के नन्हें ह्दय में गांव-गरीब-किसान के शोषण के खिलाफ संघर्ष का बीजारोपण हुआ। आगरा विश्वविद्यालय से कानून की शिक्षा लेकर 1928 में चौधरी चरण सिंह ने ईमानदारी, साफगोई और कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक गाजियाबाद में वकालत प्रारम्भ की। वकालत जैसे व्यावसायिक पेशे में भी चौधरी चरण सिंह उन्हीं मुकद्मों को स्वीकार करते थे जिनमें मुवक्किल का पक्ष न्यायपूर्ण होता था।

आजादी के दीवाने चरण सिंह

Chaudhary Charan Singh Birthday special sach kahoon

कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वराज्य उद्घोष से प्रभावित होकर युवा चरण सिंह ने गाजियाबाद में कांग्रेस कमेटी का गठन किया। 1930 में महात्मा गाँधी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन के तहत् नमक कानून तोडने का आह्वान किया गया। गाँधी जी ने ‘‘डांडी मार्च‘‘ किया। आजादी के दीवाने चरण सिंह ने गाजियाबाद की सीमा पर बहने वाली हिण्डन नदी पर नमक बनाया। परिणामस्वरूप चरण सिंह को 6 माह की सजा हुई। जेल से वापसी के बाद चरण सिंह ने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में स्वयं को पूरी तरह से स्वतन्त्रता संग्राम में समर्पित कर दिया।

किसानों के नेता Chaudhary Charan Singh

किसानों के नेता माने जाते रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था। एक जुलाई 1952 को यूपी में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला। उन्होंने लेखापाल के पद का सृजन भी किया। किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया। वो 3 अप्रैल 1967 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 17 अप्रैल 1968 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

मध्यावधि चुनाव में उन्होंने अच्छी सफलता मिली और दुबारा 17 फ़रवरी 1970 के वे मुख्यमंत्री बने। उसके बाद वो केन्द्र सरकार में गृहमंत्री बने तो उन्होंने मंडल और अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की। 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की।[2] 28 जुलाई 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों तथा कांग्रेस (यू) के सहयोग से प्रधानमंत्री बने।

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