इस युवक को सलाम: डेप्थ मुहिम’ के तहत नशे से की तौबा

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अबोहर/बुधरवाली। डेरा सच्चा सौदा की शाखा मौजपुर धाम बुधरवाली में रविवार नववर्ष के आगमन पर डेरा सच्चा सौदा के पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज का 104वां पावन अवतार माह बड़े ही धूमधाम व मानवता भलाई कार्य कर मनाया गया। बड़ी तादाद में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने उपस्थिति दर्ज करवाई।

‘डेप्थ मुहिम’ के तहत युवक ने नशे से की तौबा

नामचर्चा के दौरान साध-संगत की उपस्थिति में युवक ने कभी भी किसी भी नशे को न करने का प्रण लिया। पदमपुर निवासी हाल आबाद सादुलशहर निवासी बिट्टू ने बताया कि वह शराब का सेवन करता था। जिससे उसके पत्नी बच्चे परिवारजन परेशान थे। अब वह पूज्य गुरु जी की डेप्थ मुहिम का हिस्सा बनकर शराब को ना कहते हुए हमेशा के लिए शराब व अन्य नशों से तौबा करता है। इससे उसके परिजन खुश है।

नशा आदमी के फेफड़ों को खत्म कर रहा है: WHO

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डब्लूएचओ के अनुसार, सिगरेट पीने की वजह से हर वर्ष 8 करोड़ टन कार्बन डाई आॅक्साइड पर्यावरण में मिल रही है, जिससे वायुमंडल जहरीला होता जा रहा है। इससे पता चलता है कि स्मोकिंग न केवल इन्सानों के फेफड़ों को खत्म कर रही है बल्कि पर्यावरण को भी तबाह कर रही है। ऐसे में अगर आप भी बीड़ी-सिगरेट, तम्बाकू की लत में फंसे हुए है तो जल्द ये छोड़ दे।

तम्बाकू एक धीमा जहर

 

Gurmeet Ram Rahim, Dera Sacha Sauda, World No Tobacco Day, Awareness

तम्बाकू एक प्रकार के निकोटियाना प्रजाति के पेड़ के पत्तों को सुखा कर नशा करने की वस्तु बनाई जाती है। दरअसल तम्बाकू एक मीठा जहर है, तंबाकू निकोटिया टैबेकम पौधे से प्राप्त किया जाता है। यह एक धीमा जहर की तरह धीरे -धीरे आदमी की जान ले लेता है। सरकार को भी शायद यह पता नहीं कि तम्बाकू से वह जितना राजस्व प्राप्त करती है, उससे ज्यादा तम्बाकू से उत्पन्न रोगों के इलाज पर खर्च किया जाता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि तम्बाकू के सेवन से जीवन शक्ति का ह्रास भी होता है। व्यक्ति को पता चल भी जाता है कि तम्बाकू का सेवन करना हानिकारक है किंतु बाद में लाख छुड़ाने पर भी यह लत नहीं छूटता है और धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति का जीवन शक्ति भी कम होता जाता है और वह अपने आपको एक तरह से विनाश के हवाले कर देता है। तंबाकू खाने से मुंह के कैंसर की बीमारी का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

तम्बाकू के दुष्प्रभाव

World-No-Tobacco-Dayतम्बाकू को जब गुल, गुड़ाकु,पान मसाला या खैनी, के रूप में प्रयोग करते है तो इसके कारण मुंह मे अनेक रोग उत्पन्न हो सकते है। सफेद दाग, मुँह का नहीं खुल पाना, तथा कैंसर रोग भी हो सकता है। बीड़ी-सिगरेट के पीने से शरीर में व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हृदय के धमनियों में रक्त प्रवाह कम हो सकता है। हृदय रोग जैसे मायोकोर्डियल इनफेक्शन तथा अनजाइना हो सकता है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है। साँस की बीमारी जैसे ब्रोंकाइटीस, दमा, तथा फेफड़ो का कैंसर हो सकता है। इसके अतिरिक्त इसका प्रभाव शरीर के स्नायुतंत्र में पड़ता है। इसकी और बहुत सी हानियाँ हैं।

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संसार में नशों की बाढ़ आई हुई है। हमारे देश की बात कर लिजिए, बहुत जगहों पर, बहुत तरहों के नशे बर्बाद कर रहे है। नशे से देश की जवानी, देश का बचपन बर्बाद होता जा रहा है और यह नशा दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। बहुत सारी जिंदगियां नशा बर्बाद कर चुका है और खत्म कर चुका है तथा बहुत जिंदगियों को खत्म करने की कगार की तरफ लेकर जा रहा है। पहले एक हल्के पीले और लाल रंग की बेल हुआ करती थी, जिसके शायद अलग-अलग नाम हो, जिसे अंबर बेल भी कहते थे। यह बेल जिस पेड़ पर गिर जाती थी, उसको बर्बाद कर देती थी। आज उसी तरह नशा हमारे समाज के ऊपर गिरा हुआ है, गिरफ्त में ले रखा है नशे ने और इससे हमारा समाज खोखला होता जा रहा है।

-पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।

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