
हिसार सच कहूँ/श्याम सुन्दर सरदाना। जिंदगी से हार नहीं मानी… इस वाक्य को साकार किया है हिसार के पटेल नगर में रहने वाले एक विशेष परिवार ने, जहां पति-पत्नी और दोनों बच्चे मूकबधिर हैं, लेकिन सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए ये परिवार आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है। विजय अरोड़ा, उनकी पत्नी कुसुम और दोनों बच्चे जानवी व सरल सुन और बोल नहीं सकते, लेकिन इशारों में संवाद कर अपनी दिनचर्या को खुशियों से भर देते हैं। विजय टेलरिंग का काम करते हैं, पत्नी गृहिणी हैं, और दोनों बच्चे विशेष विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं।
टेक्नोलॉजी से जी रहे आत्मनिर्भर जीवन
परिवार ने डोरबेल को स्पेशल लाइट से जोड़ा है, जो बजते ही घर के हर कोने में बल्ब चमकते हैं और उन्हें आगंतुक के आने का संकेत देते हैं। जरूरत पड़ने पर घरवाले एक-दूसरे को वीडियो कॉल कर इशारों में सामान की सूची भी बता देते हैं।
बेटी जानवी बनी राष्ट्रीय प्रेरणा
जानवी ने राष्ट्रीय स्तर पर चित्रकला और शतरंज में अपनी पहचान बनाई है। उसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘श्रेष्ठ दिव्यांग बालिका’ के रूप में सम्मानित किया। जानवी भविष्य में मूकबधिरों के लिए टीवी एंकर बनने का सपना देख रही है, जबकि उसका भाई सरल रेसिंग में करियर बनाना चाहता है।
यूट्यूब चैनल और सामाजिक प्रेरणा
दोनों बच्चे मिलकर “सरल एंड जानवी” नाम से यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। विजय की कहानी यह बताती है कि अगर जज्बा हो तो कमियों को ताकत में बदला जा सकता है। पड़ोसियों के अनुसार यह परिवार न सिर्फ मिलनसार है, बल्कि उनका जीवनशैली दूसरों को सिखाती है कि जिÞंदगी को कैसे जिया जाता है। फोटो कैप्शन: (हिसार 1,2,3) मूकबधिर परिवार को सम्मनित करते राज्यपाल और पुलिस अधीक्षक।