हरियाली के लिए महंगा साबित हो रहा है क्षेत्र का विकास

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भटिंड़ा-मुक्तसर सड़क के निर्माण के लिए तीन हजार वृक्षों पर कुल्हाड़ा

भटिंडा (अशोक वर्मा)। भटिंडा क्षेत्र का विकास हरियाली के लिए महंगा साबित हो रहा है। क्योंकि चार चुफेरे बड़े स्तर पर वृक्षों की कटाई हो चुकी है। इसी क्रम में अब श्री मुक्तसर साहिब राष्ट्रीय मार्ग को चौड़ा करने के लिए तीन हजार के करीब वृक्षों पर कुल्हाड़ा चला दिया गया है। हालांकि यह आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता है, किन्तु अधिकारी इसे काफी कम बता रहे हैं।

उल्लेख्नीयहै कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के वृक्ष न काटने के आदेशों पर पाबंदी के बाद 18 जून तक आवश्यक वृक्ष काटने की अनुमति दी गई थी। तय समय सीमा को देखते हुए सड़क पर लगे वृक्ष रातो रात काट दिए गए। भटिंडा क्षेत्र में सिर्फ यही सड़क बची थी, जिस पर हरियाली थी। वृक्ष काटने के बाद अब यह भी सफाचट दिखाई देने लगी है।

यातायात काफी बढ़ने के कारण हादसों की संख्या भी बढ़ने लगी थी

भटिंडा-श्री मुक्तसर साहिब सड़क को दो वर्ष पहले राष्ट्रीय मार्ग घोषित किया गया था। इसके बाद सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की पेशकश तैयार की गई थी। सड़क पर यातायात काफी बढ़ने के कारण हादसों की संख्या भी बढ़ने लगी थी, जिसके मद्देनजर बादल सरकार द्वारा इस सड़क की दस मीटर तक चौड़ाई बढ़ाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया था।

इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन 47 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान लगाया गया था। इस राष्ट्रीय मार्ग की कुल लंबाई 51 किलोमीटर बनती है। भटिंडा जिले में इस मार्ग की लंबाई 16.5 किलोमीटर है, जबकि शेष भाग श्री मुक्तसर साहिब जिले के अधीन आता है। इस सड़क के निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। भटिंडा जिले में इस प्रोजेक्ट के नोडल अधिकारी एसडीओ प्रेम सिंह ने बताया कि भटिंडा साईड वाले 16.5 किलोमीटर में करीब 800 वृक्ष काटे गए हैं।

एसडीओ मनप्रीतम सिंह का दावा था कि उनके क्षेत्र में एक हजार वृक्षों की कटाई हुई

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की रोक खत्म होने के कारण जल्दी वृक्ष काटने पड़े हैं, क्योंकि सड़क के विकास का काम प्रभावित हो रहा था। इसी तरह ही श्री मुक्तसर साहिब से संबंधित एसडीओ मनप्रीतम सिंह का दावा था कि उनके क्षेत्र में एक हजार वृक्षों की कटाई हुई है। उन्होंने बताया कि इस सड़क का काम अगले तीन माह में मुकम्मल कर लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यदि सड़क की चौड़ाई बढ़ानी है तो वृक्षों को काटना ही पड़ेगा। इससे पहले भी हजारों वृक्ष अखौती विकास की भेंट चढ़ चुके हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक भटिंडा जिले में सिर्फ सात हजार हैक्टेयर रकबा जंगल अधीन रह गया है, जोकि 1.89 फीसदी है। सरकारी नियमों के मुताबिक कुल क्षेत्रफल का 33 फीसदी रकबा हरियाली अधीन होना सही माना जाता है।

वर्णनीय है कि मालवे के दो अहम सड़क प्रोजेक्ट भटिंडा-जीरकपुर व भटिंडा अमृतसर सड़क को चहुमार्गी बनाने के लिए हजारों वृक्षों की बली दी गई है। इसी तरह अब भटिंडा शहर में बने ओवरब्रिजों के कारण वृक्ष काटने पड़े हैं। ताजा मामला भटिंडा-डबवाली सड़Þक पर रेलवे फ्लाईओवर के लिए वृक्षों की कटाई का है। भटिंडा-मलोट व भटिंडा-बादल सड़कों ने भी हरियाली को खोरा लगाया है। भटिंडा शहर में प्रमुख सड़कों के बीच से हरियाली को खत्म कर लोहे का डिवाइडर लगा दिया गया था।

विकास के नाम पर विनाश नहीं होने चाहिए: नरूला

प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करने तथा शहर में तुलसी के पौधे वितरित करके पर्यावरण बचाओं मुहिम चला रहे भटिंडा विकास मंच के अध्यक्ष रकेश नरूल ने कहा कि विकास के नाम पर विनाश नहीं होना चाहिए। विकास इस ढंग से किया जाए कि कम से कम हरियाली प्रभावित हो। उन्होंने कहा कि गत पांच वर्षों दौरान भटिंडा में काफी वृक्षों को काटा गया है, जो कि मानवता के लिए घातक है।

जो भी कटाई हो रही है, नियमों मुताबिक ही की जाती है। जितने वृक्ष काटे जाते हैं, उतने ही लगाए भी जाते हैं।
गुरपाल सिंह ढिल्लों डिवीजनल वन अधिकारी

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