TB and Diabetes: डायबिटीज से टीबी का खतरा ज्यादा, जा सकती है जान, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

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TB and Diabetes: डायबिटीज से टीबी का खतरा ज्यादा, जा सकती है जान, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी

Risk of TB in Diabetes: नई दिल्ली। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह (डायबिटीज) रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति के लिए क्षय रोग (टीबी) से लड़ना और अधिक कठिन हो जाता है। दोनों रोग, वैश्विक स्वास्थ्य के लिए गंभीर चुनौतियाँ हैं और भारत इस संघर्ष में सबसे आगे है। TB and Diabetes

साल 2024 में भारत में 28 लाख टीबी के मामले दर्ज किए गए, जो वैश्विक स्तर पर कुल मामलों का 26 प्रतिशत है। वहीं, 3.15 लाख मौतें केवल टीबी के कारण हुईं, जो पूरी दुनिया में 29 प्रतिशत का आंकड़ा दर्शाती हैं। दूसरी ओर, भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ से अधिक पहुँच चुकी है।

डायबिटीज से टीबी का खतरा क्यों बढ़ता है?

आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी, चेन्नई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हेमंत डी. शेवड़े के अनुसार, “डायबिटीज से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे टीबी के कीटाणु शरीर पर आसानी से हावी हो सकते हैं। यह स्थिति ब्लड शुगर को असंतुलित करती है और टीबी का इलाज भी प्रभावित हो सकता है।” एक हालिया शोध के अनुसार, जिन मरीजों को टीबी और डायबिटीज दोनों हैं, उनमें उपचार के बाद भी संक्रमण के जीवित रहने की संभावना 2-3 गुना, पुनः संक्रमण की संभावना 4 गुना, और मृत्यु का जोखिम 5 गुना अधिक होता है।

डॉ. शेवड़े ने इस बात पर ज़ोर दिया कि टीबी से ग्रस्त मधुमेह मरीजों की नियमित ग्लाइसेमिक स्थिति की निगरानी अत्यंत आवश्यक है। फिलहाल, राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम के अंतर्गत मधुमेह का प्रबंधन सामान्य मानकों पर आधारित है, लेकिन शोध से यह संकेत मिलते हैं कि टीबी मरीजों के लिए अधिक सख्त ब्लड शुगर नियंत्रण (HbA1c 7% से कम) की जरूरत हो सकती है। शोध में यह भी पाया गया कि कैपिलरी फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज टेस्ट इन मरीजों की निगरानी के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

टाइप-1 डायबिटीज और टीबी के बीच संबंध | TB and Diabetes

एम्स, नई दिल्ली के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. उर्वशी सिंह के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में 151 टाइप-1 डायबिटीज मरीजों की जांच की गई। इसमें से 10.6 प्रतिशत मरीजों के थूक के नमूनों में टीबी बैक्टीरिया पाया गया। यह संख्या विशेषकर उन मरीजों में अधिक थी जिन्हें पहले टीबी हो चुकी थी।

शोध में यह निष्कर्ष निकाला गया कि भारत में टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में फेफड़ों की टीबी की व्यापकता अधिक है, और इनके थूक की सक्रिय जांच जरूरी है ताकि संक्रमण का समय रहते उपचार शुरू हो सके और समुदाय में इसका फैलाव रोका जा सके। TB and Diabetes

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