Bihar Voter list verification Case: नई दिल्ली। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। इस याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय से मामले की शीघ्र सुनवाई की मांग की है। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, “यह लाखों मतदाताओं के अधिकारों का प्रश्न है। यदि इस प्रक्रिया पर शीघ्र रोक नहीं लगाई गई तो इसका सीधा असर समाज के सबसे कमजोर वर्गों पर पड़ेगा।” Bihar News
वकीलों ने इस मामले की सुनवाई आज या कल करने का आग्रह किया, क्योंकि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए केवल एक माह की समय-सीमा निर्धारित की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को सुनवाई के लिए 10 जुलाई (गुरुवार) की तारीख तय की है, लेकिन अंतरिम रोक लगाने से फिलहाल इनकार कर दिया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे अपनी याचिका की प्रतियां निर्वाचन आयोग और अन्य संबंधित पक्षों को सौंपें। अब सभी की निगाहें आगामी गुरुवार को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।
चार याचिकाएं दाखिल | Bihar News
अब तक इस अभियान के विरुद्ध कुल चार याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इनमें आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोज झा, एडीआर, पीयूसीएल, सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा याचिकाकर्ता हैं।
बिहार में कुछ ही महीनों में संभावित विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग ने 11 दस्तावेजों की सूची जारी की है, जिन्हें मतदाता पंजीकरण हेतु बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) को फॉर्म के साथ प्रस्तुत करना आवश्यक होगा।
राज्य सरकार और निर्वाचन विभाग द्वारा अलग-अलग माध्यमों से नागरिकों को मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस कड़ी में बिहार पीआईबी ने भी सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट साझा कर मतदाताओं से अपील की है— “अगर वोट देना है, तो फॉर्म भरना होगा।” Bihar News