Snake News: अनु सैनी। सांपों को लेकर हमारे समाज में कई तरह की मान्यताएं और धारणाएं प्रचलित हैं। इनमें से कुछ तथ्यात्मक होती हैं, तो कुछ केवल अफवाहों और डर पर आधारित होती हैं। लेकिन एक सवाल जो अक्सर लोगों के मन में आता है – क्या सच में सांप अपने ही अंडे खा जाता है? यह सवाल जितना चौंकाने वाला लगता है, इसका उत्तर उससे कहीं अधिक दिलचस्प और वैज्ञानिक है।
-जंगल की एक रहस्यमयी घटना* Snake News
जंगलों में कई बार देखा गया है कि कुछ सांप अपने ही अंडों को निगल जाते हैं। यह दृश्य लोगों को हैरान कर देता है। सवाल उठता है कि जो जीव अपनी संतानों की रक्षा के लिए जान तक की बाजी लगा देते हैं, वह आखिर क्यों अपने ही अंडों को खा जाते हैं? क्या यह क्रूरता है या इसके पीछे कोई गहरी वजह छिपी है?
एक्सपर्ट की राय: वैज्ञानिक पहलू
मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध स्नैक एक्सपर्ट महादेव पटेल ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है। उन्होंने बताया कि सांपों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में कई भ्रांतियां फैली हुई हैं। खासकर यह धारणा कि सांप अपने ही अंडों को खा जाता है, लोगों को भ्रमित करती है। लेकिन यह सच है कि कुछ परिस्थितियों में सांप अपने अंडों को खा सकता है, और इसके पीछे कई व्यवहारिक और जैविक कारण होते हैं।
क्यों खाता है सांप अपने अंडे?
*1. भूख और जीवन रक्षा की रणनीति-
महादेव पटेल के अनुसार, अगर कोई सांप जैसे किंग कोबरा या रत्नपुच्छ अजगर (Rat Snake) ने किसी सुरक्षित स्थान पर अंडे दिए हैं और अचानक मौसम खराब हो जाए, या उसके आसपास खाने के लिए कुछ न मिले, तो वह भूख से बेहाल हो सकता है। ऐसे में जीवित रहने के लिए उसे ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जब कोई दूसरा शिकार आसपास नहीं होता, तो वह अपने ही अंडों को खाकर जीवित रहने की कोशिश करता है। यह प्रकृति की एक क्रूर लेकिन आवश्यक रणनीति है।
2. खराब हो चुके अंडों को बर्बाद न करना
कभी-कभी अंडे देने के बाद स्थान का तापमान सही न रहने, नमी अधिक होने या अन्य वातावरणीय कारणों से अंडे सड़ जाते हैं या विकसित नहीं हो पाते। ऐसे अंडे वैसे भी जीवित नहीं रहते, और यदि वहीं पड़े रहें, तो वह बीमारियां भी फैला सकते हैं। ऐसे में सांप उन्हें खाकर ऊर्जा ग्रहण करता है और अपने शरीर को कमजोर नहीं होने देता।
यह व्यवहार किन प्रजातियों में देखा गया?
सांपों की सभी प्रजातियों में यह व्यवहार नहीं पाया जाता। लेकिन कॉर्न स्नेक (Corn Snake) और किंग स्नेक (King Snake) जैसी कुछ प्रजातियों में इस प्रवृत्ति को वैज्ञानिकों ने दर्ज किया है। ये सांप कुछ खास परिस्थितियों में अपने अंडों को निगलते हैं। यह एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली की तरह काम करता है।
वैज्ञानिक नाम: ओवोफैगी (Ovophagy)
इस व्यवहार को वैज्ञानिक भाषा में ओवोफैगी कहा जाता है। यह शब्द लैटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है – “ओवो” यानी अंडा और “फैगी” यानी खाना। यह सुनने में स्वार्थी या असामान्य लग सकता है, लेकिन प्रकृति में जीवों को जीवित रहने के लिए कई बार कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं। जंगल के नियम बड़े कठोर होते हैं, जहां हर क्षण जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई होती है।
क्या यह व्यवहार सभी सांपों में सामान्य है?
नहीं, यह व्यवहार सभी सांपों में सामान्य नहीं होता। अधिकतर सांप अंडे देने के बाद उन्हें छिपाकर चले जाते हैं या उनकी देखभाल नहीं करते। कुछ प्रजातियां, जैसे किंग कोबरा, अपने अंडों की रक्षा करती हैं। लेकिन अगर परिस्थिति प्रतिकूल हो जाए – जैसे भोजन की कमी, वातावरण का बिगड़ना या शिकारियों का खतरा – तो सांपों को अपने अंडों को खाना एक विवशता बन जाती है।
सांपों को समझना जरूरी | Snake News
महादेव पटेल जैसे विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि सांपों को लेकर लोगों में डर और अंधविश्वास अधिक है, जबकि हकीकत यह है कि सांप भी एक संवेदनशील जीव है, जो केवल अपनी प्राकृतिक प्रवृत्तियों के आधार पर कार्य करता है। उसे समझना और उसके व्यवहार को वैज्ञानिक दृष्टि से देखना बहुत आवश्यक है।
इस पूरे विषय का सार यही है कि सांपों द्वारा अपने अंडों को खाना कोई क्रूरता या विचित्रता नहीं है, बल्कि यह एक प्राकृतिक उत्तरजीविता की रणनीति है। जब जीवित रहने के लिए कोई विकल्प न बचे, तब सांप वही करता है जो उसे अपने अस्तित्व के लिए जरूरी लगता है। यह व्यवहार हमें यह सिखाता है कि जंगल में जीवों की दुनिया कितनी जटिल और कठोर है।
इसलिए अगली बार जब आप यह सुनें कि कोई सांप अपने अंडे खा गया, तो डरने या नफरत करने के बजाय इस व्यवहार को वैज्ञानिक नजरिए से समझने की कोशिश करें। यह प्रकृति का वह रूप है, जो दिखने में क्रूर लग सकता है, लेकिन वास्तव में वह जीवन की निरंतरता की कहानी कहता है।