सफलता की कहानी, पारुल की जुबानी

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Uklana News: सफलता की कहानी, पारुल की जुबानी

मेहनत की बदौलत पारुल ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ

  • किसान की बेटी ने सात समुंदर पार देश और गांव का नाम किया रोशन
  • पारुल नैन का ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट में एक्जीक्यूटिव असिस्टेंट पद पर चयन
  • गांव कुलेरी की पारुल ने मेहनत और शिक्षा के दम पर हासिल किया बड़ा मुकाम, ग्रामीण परिवेश से निकलकर बनी मिसाल

उकलाना (सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र)। Uklana News: यदि हौसले बुलंद हों और इरादे मजबूत, तो गांव की गलियों से निकलकर भी बेटियाँ सात समुंदर पार अपना और अपने देश का नाम रोशन कर सकती हैं। ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है उकलाना हल्के के गांव कुलेरी की बेटी पारुल नैन ने। एक किसान परिवार में जन्मी पारुल आज ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित Australia-India Institute में Executive Assistant to the CEO जैसे अहम पद पर कार्यरत हैं।

गांव से मेलबर्न तक की संघर्ष भरी उड़ान | Uklana News

पारुल नैन, किसान दयानंद नैन (पूर्व सरपंच) व सुनैना की बेटी हैं। पारुल नैन के पिता गांव में खेतीबाड़ी का कार्य करते हैं तथा माता सुनैना वर्तमान में मुख्यमंत्री उड़नदस्ता हिसार की इन्चार्ज हैं। पारुल की माता सुनैना ने बताया कि पारुल ने प्रारंभिक पढ़ाई डीपीएस स्कूल हिसार से की,इसके बाद चंडीगढ़ के मेहर चंद महाजन कॉलेज से स्नातक और पंजाब यूनिवर्सिटी से गवर्नेस एंड लीडरशिप में स्नातकोत्तर (MA)किया। लेकिन पारुल यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने शिक्षा और मेहनत को हथियार बनाया और दो वर्ष पूर्व ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न पहुँचीं।

मेलबर्न यूनिवर्सिटी से उन्होंने पब्लिक पॉलिसी और मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके अतिरिक्त उनके पास गवर्नेंस और लीडरशिप में भी मास्टर डिग्री है।

प्रशासन, शोध और नीति निर्माण में योगदान | Uklana News

मुख्यमंत्री उड़नदस्ता इन्चार्ज सुनैना ने बताया कि बेटी पारुल नैन अब ऑस्ट्रेलिया-इंडिया इंस्टीट्यूट में कार्यरत हैं, जहां वे संस्थान के CEO और वरिष्ठ नेतृत्व को उच्च-स्तरीय सहयोग प्रदान करती हैं। वे संस्थान की रणनीतिक योजनाओं, शोध परियोजनाओं और भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सशक्त बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

पारुल का अनुभव भारत में ज़िला स्तरीय प्रशासन, सार्वजनिक नीति अनुसंधान, और शैक्षणिक लेखन जैसे क्षेत्रों में रहा है। उन्होंने हरियाणा की विभिन्न सरकारी संस्थाओं में इंटर्नशिप भी की है।

गांव में खुशी का माहौल, बेटी बनी प्रेरणा

पारुल की इस उपलब्धि पर गांव कुलेरी में गर्व और खुशी का माहौल है। उनके पिता दयानंद नैन व माता सुनैना का कहना है, “पारुल ने हमेशा बड़े सपने देखे और उन्हें सच करने के लिए दिन-रात मेहनत की। उसने साबित कर दिया कि बेटियाँ किसी से कम नहीं।”

शिक्षा और आत्मविश्वास से बदली किस्मत

सुनैना ने कहा कि पारुल की कहानी उन लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद आगे बढ़ना चाहती हैं। गांव के एक साधारण किसान परिवार से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुँचना आसान नहीं था, लेकिन पारुल ने यह करके दिखाया।

पारुल ने माता पिता व मामा को दिया अपनी सफलता का श्रेय

पारुल नैन ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता दयानंद नैन, माता सुनैना व मामा डॉ भीम सिंह पूनिया को दिया और कहा कि मेरी माता ने मुझे एक अच्छा मार्गदर्शक, दोस्त, गुरु, माता बनकर आगे बढाया। जिसकी बदौलत ही आज मै यहां तक पहुंची हूँ। मुझे कामयाब करने के लिए खुद की खुशियों को भी बलिदान देने का काम किया है। जिसका मैं कभी कर्ज नहीं उतार पाऊंगी। Uklana News

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