ईडी की जांच में बड़ा खुलासा: कुम्भ मेले में भ्रष्टाचार व फजीर्वाड़े से बढ़ी महामारी, नलवा लैब ने करोड़ो डकारे

नाम,पता,मोबाइल नंबर,रिपोर्ट व बिल सब फर्जी

सच कहूँ/संदीप सिंहमार
हिसार। उत्तराखंड के हरिद्वार में लगे कुंभ मेले के दौरान कोविड जाँच के नाम पर बड़े स्तर पर हुए गड़बड़झाले के मामले में हिसार की नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी के दौरान प्रारंभिक तौर पर भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हिसार के जिला प्रधान डॉ जे पी एस नलवा कि इस लैब ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के माध्यम से अपनी सहयोगी दिल्ली की लैब लालचंदानी के साथ मिलकर कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के नाम से फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट तैयार की। इतना ही नहीं रिकॉर्ड में जिनकी जांच रिपोर्ट दर्शाई गई है, उनके नाम, पते, मोबाइल नंबर व बिल भी फर्जी बनाए गए। इसी फर्जी बिलिंग के आधार बनाकर नलवा लैब में उत्तराखंड सरकार से 3.5 करोड रुपए का भुगतान भी करवा लिया। खास बात यह है कि करीब एक माह तक चले कुंभ मेले के दौरान 22 प्राइवेट प्रयोगशालाओं के माध्यम से करीब चार लाख टेस्ट किए गए थे। जिनमें से 104796 टेस्ट हिसार की नलवा लैब व सहयोगी लैब ने किए। इससे भी बड़ी बात महामारी के दौर में लोगों के स्वास्थ्य को दांव पर लगाकर इन्होंने अधिकतर रिपोर्ट नेगेटिव ही थी। कुछ लोगों की रिपोर्ट तो ऐसी थी जो कुंभ मेले में गए लेकिन अपनी रिपोर्ट नेगेटिव चाहते थे,लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकतर रिपोर्ट ऐसे लोगों की बनाई गई जो कभी हरिद्वार या कुंभ के मेले में गए ही नहीं। फर्जी रिपोर्ट पर नाम पता राजस्थान में उत्तर प्रदेश के दर्शाई गए। कुछ पता हरियाणा और पंजाब के भी थे।
बाप-बेटे दोनों से हुई पूछताछ

जून माह में उत्तराखंड पुलिस द्वारा भ्रष्टाचार अधिनियम सहित महामारी एक्ट के तहत मामला दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इसी मामले की गहराई तक बात करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने स्थानीय पुलिस को साथ लेकर छापेमारी कर जांच अभियान चलाया इस दौरान नलवा लैब के संचालक डॉ जीपीएस नलवा व डॉयरेक्टर डॉ नवतेज से पूछताछ भी हुई। फिलहाल इस मामले में पुलिस ने नलवा लैबोरेट्री से 30.9 लाख को नकदी,फर्जी बनाए गए बिल,लैपटॉप,हार्ड डिस्क व कुछ अन्य साक्ष्यों से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं।

ऐसे मिला था जाँच का जिम्मा

हिंदुओं की आस्था का प्रतीक कुंभ मेला अप्रैल माह में उत्तराखंड के हरिद्वार में लगाया गया था। इसी दौरान वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर भी अपने चरम की ओर बढ़ती जा रही थी। कुंभ मेले को रुकना या स्थगित करना तो उत्तराखंड सरकार के हाथ में नहीं था लेकिन आने वाले श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा व संक्रमण को रोकने के लिए आरटी पीसीआर रैपिड एंटीजन टेस्ट जरूरी किया गया। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए उत्तराखंड सरकार ने 9 एजेंसियों के माध्यम से देश भर की 22 प्राइवेट लैब को कोविड-19 जाँच के लिए अधिकृत किया। इनमें से एक लैब हिसार की नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड भी थी।

मनी लॉन्ड्रिंग के तहत चली कार्रवाई

कोविड-19 जाँच के नाम पर फजीर्वाड़ा सामने आने के बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी रविशंकर ने सीडीओ की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इस मामले की जांच की थी। प्रारंभिक जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद उत्तराखंड पुलिस ने मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू की। बाद में करोड़ों रुपए का गड़बड़झाला होने की आशंका के बीच ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर छापेमारी की है।

 

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