जागरूकता का असर

Akshay Kumar

आखिर देश में तम्बाकू के खिलाफ जागरूकता ने अपना प्रभाव दिखा ही दिया है। फिल्मी अभिनेता अक्षय कुमार को तम्बाकू का विज्ञापन करने पर अपने प्रशंसकों से माफी मांगनी पड़ी और भविष्य में ऐसा कोई समझौता न करने का वायदा किया। नि:संदेह तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है, साथ ही इससे आर्थिक बर्बाद भी होती है। तम्बाकू के सेवन से मुँह, गले सहित कई प्रकार के कैंसर जन्म लेते हैं। पैसा न होने के कारण गरीब लोग उपचार के अभाव में दम तोड़ जाते हैं। ऐसीं खतरनाक वस्तुओं का विज्ञापन करना किसी प्रसिद्ध हस्ती के लिए नैतिक तौर पर उचित नहीं। इससे पहले दक्षिणी भारतीय फिल्मकार अल्लू अर्जुन ने भी तम्बाकू से बनीं वस्तुओं का विज्ञापन करने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था। सचिन तेंदुलकर ने भी समाज के लिए घातक वस्तुओं के विज्ञापन करने से मना कर दिया था।

अब देखने वाली बात यह भी है कि जो वस्तुएं देश के नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए घातक हैं फिर सरकारें उनके बनाने और बेचने की मंजूरी ही क्यों देती है। हैरानी की बात है कि एक तरफ सरकार का स्वास्थ्य विभाग तम्बाकू से होने वाले रोगों संबंधी जानकारी देता है और जनता को तम्बाकू का सेवन न करने की अपील करता है, दूसरी तरफ सरकार का एक विभाग और उसके संगठन पूरी प्रक्रिया के अंतर्गत तम्बाकू वाले पदार्थों को बनाने और बेचने के मानकों को भी तय करते हैं। तम्बाकू की पुड़िया या पैकेट पर ‘तम्बाकू स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है’ भी सरकार की हिदायतों के तहत लिखा जाता है। सरकारों का यह हाल बिल्कुल शराब की नीति वाला है। सरकार शराब बनाने और बेचने की अनुमति भी देती है लेकिन साथ ही शराब की बोतल पर लिखा जाता है कि ‘शराब सेहत के लिए खतरनाक है’।

इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि आज शराब की नदियां बह रही हैं। यदि सरकार ने अपने नागरिकों को स्वस्थ और मजबूत बनाना है तो शराब, तम्बाकू सहित अन्य घातक वस्तुओं के निर्माण और बिक्री को रोकना होगा। यदि किसी फिल्मी अभिनेता की आत्मा नहीं मानती कि तम्बाकू का प्रचार किया जाए तब फिर सरकारों के नुमाइंदों का भी कर्तव्य है कि अपने नागरिकों के जीवन को बचाने के लिए शराब और तम्बाकू से प्राप्त आय का मोह छोड़ दिया जाए। प्राचीन समय में देश तब भी मजबूत था जब देश चलाने के लिए शराब या तम्बाकू से पैसा नहीं कमाया जाता था बल्कि शराब को धार्मिक और राजनीतिक तौर पर भी बुरा माना जाता था। स्वस्थ नागरिकों से ही देश विकास करेगा। हमारी संस्कृति दूध, घी, दही, लस्सी जैसे खाद्य पदार्थों वाली है। देश और संस्कृति को बचाना है तो शराब और तम्बाकू का सेवन खत्म करने के लिए सरकार को ठोस नीतियां बनानीं होंगी।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।